नवीन जिन्दल मामले में पांच नए आरोपियों को जमानत

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 10, 2017

कांग्रेस नेता एवं उद्योगपति नवीन जिन्दल तथा अन्य के खिलाफ कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में विशेष अदालत ने आज उन पांच नए आरोपियों को चार मई तक के लिए अंतरिम जमानत प्रदान कर दी जिन्हें सीबीआई ने हाल में अपने पूरक आरोपपत्र में आरोपी बनाया था। विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने आरोपियों- जिन्दल स्टील के सलाहकार आनंद गोयल, गुरग्राम स्थित ग्रीन इन्फ्रा के उपाध्यक्ष सिद्धार्थ मद्रा, निहार स्टॉक्स लिमिटेड के निदेशक बीएसएन सूर्यनारायण, मुंबई आधारित के.ई. इंटरनेशनल के मुख्य वित्त अधिकारी राजीव अग्रवाल और मुंबई की एस्सार पॉवर लिमिटेड के कार्यकारी उपाध्यक्ष सुशील कुमार मारू को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर अंतरिम जमानत प्रदान कर दी।

यह मामला झारखंड में अमरकोंडा मुर्गदंगल कोयला ब्लॉक के आवंटन से जुड़ा है। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने पांच आरोपियों में से दो आरोपियों- गोयल और मारू की नियमित जमानत के लिए दायर याचिका का विरोध किया और कहा कि उन्होंने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की तथा मामले में गवाह सुरेश सिंघल को धमकी दी। इन दोनों आरोपियों के वकील ने यह कहते हुए संबंधित बिन्दु पर दलील के लिए समय मांगा कि उन्हें मामले में संबंधित दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं। अदालत ने अब सीबीआई के ताजा आरोपों के मद्देनजर मामला इस सुनवाई के लिए रखा है कि इन आरोपियों को नियमित जमानत दी जाए या नहीं। यह माद्रा, अग्रवाल और सूर्यनारायण की नियमित जमानत के लिए दायर अर्जियों पर भी सुनवाई करेगी जिनका सीबीआई ने विरोध नहीं किया।

 

इन पांचों लोगों के नामों का खुलासा चार्टर्ड एकाउंटेंट सिंघल ने किया था जिसे सीबीआई ने मामले में पूर्व में आरोपी बनाया था। अदालत ने सीबीआई द्वारा 24 मार्च को दायर पूरक आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए इन पांचों लोगों को तलब किया था। जिन्दल के अतिरिक्त मामले में पूर्व कोयला राज्य मंत्री दसारी नारयण राव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा भी शामिल हैं। अदालत ने पूर्व में एजेंसी को निर्देश दिया था कि वह तेजी से अपनी जांच रिपोर्ट दायर करे। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कोडा ने झारखंड में अमरकोंडा मुर्गदंगल कोयला ब्लॉक आवंटन में जिन्दल समूह की कंपनियों- जिन्दल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड (जेएसपीएल) और गगन स्पोंज आयरन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसआईपीएल) का पक्ष लिया था। सभी आरोपियों ने आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि कोयला ब्लॉक आवंटन प्रक्रिया में किसी प्रकार की साजिश थी।

 

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