सलमान रुश्दी पर हमले से व्यथित हैं नटवर सिंह, उनकी किताब पर प्रतिबंध लगवाने वालों में थे शामिल

By अंकित सिंह | Aug 13, 2022

अमेरिका में जाने-माने लेखक सलमान रुश्दी पर एक व्यक्ति ने हमला कर दिया। इस हमले में सलमान रुश्दी बुरी तरह से घायल हो गए हैं। फिलहाल उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। आपको बता दें कि सलमान रुश्दी जाने-माने लेखक रहे हैं। हालांकि, इनकी किताब ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ पर प्रतिबंध लगाया गया था। भारत में भी राजीव गांधी की सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया था। जिन लोगों ने इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की पैरवी की थी उनमें पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का भी नाम शामिल था। हालांकि, सलमान रुश्दी पर हुए हमले को लेकर नटवर सिंह का बयान सामने आया है। नटवर सिंह ने कहा है कि सलमान रुश्दी पर हमले से व्यथित हूं, वह 20वीं सदी के महान लेखकों में से एक हैं। 

 

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आपकों बता दें कि मुंबई में जन्मे विवादास्पद लेखक रुश्दी को ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ लिखने के बाद वर्षों तक इस्लामी चरमपंथियों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा था। नटवर सिंह ने कहा है कि राजीव गांधी सरकार द्वारा सलमान रुश्दी की किताब ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ पर रोक लगाने का फैसला उचित था, पूरी तरह से कानून और व्यवस्था के मद्देनजर लिया गया था।  उन्होंने दावा किया कि  मैं ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का हिस्सा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री को कहा था कि किताब पर प्रतिबध लगाया जाना चाहिए क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इन साब के बीच रुश्दी के एजेंट एंड्रयू वायली ने बताया है कि लेखक वेंटिलेटर पर हैं और बात नहीं कर सकते हैं। वायली ने ‘एनवाईटी को दिए एक बयान में कहा, ‘‘खबर अच्छी नहीं है।

 

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अब तक की खबर के मुताबिक अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) पर हैं और उनकी एक आंख खोने की आशंका है। इसके साथ ही चाकू से हमले के बाद उनका लीवर भी क्षतिग्रस्त हो गया है। उन्हें न्यूजर्सी के 24-वर्षीय निवासी ने पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य में एक कार्यक्रम में चाकू मार दिया था। आपातकालीन चिकित्सा कर्मियों के घटनास्थल पर पहुंचने तक रुश्दी का वहां कार्यक्रम में मौजूद ‘‘एक डॉक्टर ने तुरंत प्राथमिक उपचार शुरू किया’’। लेखक को तब एक स्थानीय ट्रॉमा सेंटर में ले जाया गया और स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 10 बजकर 47 मिनट पर हुए हमले के कई घंटे बाद शाम लगभग पांच बजे उन्हें ‘‘सर्जरी से गुजरना’’ पड़ा।

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