बदलती दुनिया में युद्धों का स्वरूप भी अलग होगा और युद्ध मैदान भी अलग तरह के होंगे

By अशोक मधुप | Nov 01, 2021

दुनिया के देश आधुनिक युद्धास्त्र बनाने में लगे हैं। परमाणु बम, हाइड्रोजन बम के आगे के विनाशक बम पर काम चल रहा है। सुपर सोनिक मिसाइल बन रही हैं, किंतु लगता है कि आधुनिक युद्ध इन सबसे अलग तरह के अस्त्र−शस्त्रों के लड़ा जाएगा। अलग तरह के युद्ध होंगे। लगता है कि आने वाले युद्ध सीमा पर नहीं, शहरों में लड़े जाएंगे। घरों में लड़े जाएगे। गली–मुहल्लों में लड़े जाएंगे। अभी से हमें इसके लिए सोचना और तैयार होना होगा।

इसे भी पढ़ें: क्या अगली महामारी हो सकती है निपाह वायरस? भविष्य में बढ़ सकता है खतरा

पुणे इंटरनेशनल सेटर द्वारा आयोजित ‘पुणे डॉयलॉग’ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि भविष्य में खतरनाक जैविक हथियार दुनिया के लिए गंभीर परिणाम साबित हो सकता है। दुनिया के लिए किसी भी जानलेवा वायरस को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना गंभीर बात है। एनएसए डोभाल ने अपने बयान में कोरोना वायरस का उदाहरण देते हुए जैविक हथियारों का मुद्दा उठाया। ‘आपदा एवं महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों’ पर बोलते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि आपदा और महामारी का खतरा किसी सीमा के अंदर तक सीमित नहीं रहता और उससे अकेले नहीं निपटा जा सकता। इससे होने वाले नुकसान को घटाने की जरूरत है।


अभी तक पूरी दुनिया इस खतरे से जूझ रही है कि परमाणु बम किसी आतंकवादी संगठन के हाथ न लग जाए। उनके हाथ में जाने से इसे किस तरह रोका जाए ॽ उधर आतंकवादी नए तरह के हथियार प्रयोग कर रहे हैं। शिक्षा बढ़ी है तो सबकी सोच बढ़ी है। दुनिया के सुरक्षा संगठन समाज को सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं कैसे रोकी जाएं, ये योजनाएं बना रहे हैं। आतंकवादी इनमें से निकलने के रास्ते खोज रहे हैं। वे नए−नए हथियार बना रहे हैं। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले से पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि विमान को भी घातक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसमें विमानों को बम की तरह इस्तेमाल किया गया। माचिस की तिल्ली आग जलाने के लिए काम आती है। बिजनौर में कुछ आतंकवादी इन माचिस की तिल्लियों का मसाला उतार कर उसे गैस के सिलेंडर में भर कर बम बनाते समय विस्फोट हो जाने से घायल हुए।


हम विज्ञान और कम्यूटर की ओर गए। हमारे युद्धास्त्र कम्यूटरीकृत हो रहे हैं। उधर शत्रु इस सिस्टम को हैक करने के उपाय खोज रहा है। लेजर बम बन रहे हैं। हो सकता है कि हैकर शस्त्रों के सिस्टम हैक करके उनका प्रयोग मानवता के विनाश के लिए कर बैठे। रोगों के निदान के लिए वैज्ञानिक रोगों के वायरस पर खोज रहे हैं। उनके टीके बना रहे हैं। दवा विकसित कर रहे हैं, तो कुछ वैज्ञानिक इस वायरस को शस्त्र के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।


साल 1763 में ब्रिटिश सेना ने अमेरिकियों पर चेचक के वायरस का इस्तेमाल हथियार की तरह किया। 1940 में जापान की वायुसेना ने चीन के एक क्षेत्र में बम के जरिये प्लेग फैलाया था। 1942 में जापान के 10 हजार सैनिक अपने ही जैविक हथियारों का शिकार हो गए थे। हाल ही के दिनों में आतंकी गतिविधियों के लिए जैविक हथियार के इस्तेमाल की बात सामने आई है। इससे हमें सचेत रहना होगा। सीमाओं की सुरक्षा के साथ इन जैविक शस्त्रों से निपटने के उपाय खोजने होंगे। चीन की लैब में विकसित हो रहा कोरोना का वायरस अगर लीक न होता तो आने वाले समय में उसके किस विरोधी देश में फैलता यह नहीं समझा जा सकता, क्योंकि आज चीन की एक–दो देश छोड़ पूरी दुनिया से लड़ाई है।

इसे भी पढ़ें: आसियान सम्मेलन में बोले PM मोदी, कोरोना काल में आपसी संबंध हुए और मजबूत

लगता है कि आधुनिक युद्ध कोरोना की तरह शहरों में, गलियों में और भीड़ वाली जगह में लड़ा जाएगा। किसी विषाक्त वायरस से हमें कोरोना से बचाव की तरह जूझना होगा। बुजुर्ग कहते आए हैं कि ईश्वर जो करता है, अच्छा करता है। हर मुसीबत में कोई संदेश, कोई भविष्य के लिए तैयारी होती है। ऐसा ही शायद कोरोना महामारी के बारे में माना और समझा जा सकता है। जब यह महामारी फैली तो इसके लिए पूरा विश्व तैयार नहीं था। इसके फैलने पर सब आश्चर्यचकित से हो गए किसी की समझ में कुछ नहीं आया। आज डेढ़ साल से ज्यादा हो गया, इसकी दुष्ट छाया से हमें मुक्ति नहीं मिली। आंकड़ों के अनुसार इस दौरान पूरी दुनिया में 50 लाख से ज्यादा मौत हुई है।


जब यह महामारी आई तो किसी को न इसके बारे में पता था, न ही इसके लिए कोई तैयार था। आज डेढ़ साल के समय में दुनिया ने इसके अनुरूप अपने को तैयार कर लिया। वैक्सीन बनाई ही नहीं, तेजी से लगाई भी जा रही है। ये सब जानते हैं कि कोराना अभी गया नहीं, फिर भी अधिकतर लोग लापरवाह हो गए। इसके प्रति बरते जाने वाले सुरक्षा उपाय करने छोड़ दिए। हमने इसके साथ जीना सीखा लिया।

 

आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस की मार झेल रही है। भविष्य के जैविक हथियारों के खिलाफ सुरक्षा रणनीति को लेकर अजीत डोभाल ने कहा कि देश को अब नई रणनीति बनाने की जरूरत है। चीन का नाम लिए बिना अजीत डोभाल ने कहा कि बायोलॉजिकल रिसर्च करना बेहद जरूरी है। लेकिन इसकी आड़ में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसी रणनीति बनाई जाए जो हमारे मकसद को पूरा करे और हमारा नुकसान कम से कम हो।


कोरोना से युद्ध के बाद देश चिकित्सा सुविधा का विस्तार कर रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मारामारी मची। आज हम जिला स्तर पर सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन बनाने के संयंत्र लगा चुके हैं। जिला स्तर तक मेडिकल कॉलेज बनाना शायद इसी रणनीति का भाग है। जगह–जगह आधुनिक अस्पताल बन रहे हैं। वैक्सीन विकास का काम भी इसी की कड़ी का एक हिस्सा है। प्रकृति के दोहन के दुष्परिणाम से होने वाली आपदाएं हमें झेलनी होंगी। उसके लिए तैयार होना होगा और काम करना होगा। चिकित्सा सुविधाएं गांव−गांव तक पहुँचानी होंगी। स्वास्थ्य वर्कर गांव–गांव तक तैयार करने होंगे। आपदा नियंत्रण के लिए जन चेतना पैदा करने के लिए गांव−गांव तक वालंटियर बनाने होंगे और उन्हें प्रशिक्षित करना होगा। हमला किस तरह का होगा, उसका रूप क्या होगा, नहीं कहा जा सकता। बस नए हालात और परिस्थिति के लिए हम अपने और अपने समाज को तैयार कर सकते हैं।


-अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

प्रमुख खबरें

क्रिसमस कार्यक्रम में पीएम मोदी हुए शामिल, कहा- राष्ट्रहित के साथ-साथ मानव हित को प्राथमिकता देता है भारत

1 जनवरी से इन स्मार्टफोन्स पर नहीं चलेगा WhatsApp, जानें पूरी जानकारी

मोहम्मद शमी की फिटनेस पर BCCI ने दिया अपडेट, अभी नहीं जाएंगे ऑस्ट्रेलिया

अन्नदाताओं की खुशहाली से ही विकसित भारत #2047 का संकल्प होगा पूरा