उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है देवी श्यामला के नाम पर बसा शिमला। अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला का आकर्षण ही ऐसा है वहां सभी आना चाहते हैं। यह शहर आवारगी, मस्ती, घुमक्कड़ी और आराम के लिए उपयुक्त है। पर्यटक सबसे पहले रिज पर पहुंचते हैं वहां टहलकर चारों तरफ का नज़ारा आंखों में समा लेते हैं। नीला, साफ़ आसमान और देवदार और चिनार के खूबसूरत वृक्ष। सामने उत्तर दिशा स्थित हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं जिन पर बर्फ का स्थायी राज है। नियोगोथिक शैली में बना क्राइस्ट चर्च यहां का प्रसिद्ध आकर्षण है। खूब सारी फ़ोटोज़ खींचकर माल पर चहकते हैं। हर पर्यटक दुनिया की इस ख़ास सड़क पर चहलकदमी ज़रूर करता है जहां कभी हिन्दुस्तानियों को चलने की मनाही थी। शाम होती है तो आसमान और बादलों के बदलते रंग खूब लुभाते हैं। ‘दि मॉल’ की रात जवान होती है तो माहौल, बढ़ती बहती रंगीन रोशनी में खुशगवार, रोमांटिक हो उठता है। नज़रें और मुस्कुराहटें बतियाती हैं। आइसक्रीम और गर्म गुलाब जामुन खाए जाते हैं। स्कैंडल प्वाइंट पर सेल्फी ली जाती है। भारतीय, विदेशी व चाइनीज़ खाना और अनेक किस्म का पहनना मॉल पर उपलब्ध है। हिमाचली खाने का स्वाद तो है ही।
यहीं स्थित गेयटी थियेटर, कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है जिसकी वास्तुकला देखने लायक है। समय निकालकर कालीबाड़ी मंदिर भी जा सकते हैं। सात चोटियों वाले शहर शिमला की सबसे ऊँची पहाड़ी 8000 फुट जाखू है जहां हनुमानजी का प्राचीन मंदिर और विशाल मूर्ति स्थापित है। यहां के दर्जनों बंदर पर्यटकों का चश्मा उतार लेने में माहिर हैं। इस चोटी पर पैदल पहुंचने का अपना मज़ा है लेकिन रोपवे भी हाज़िर है। पहाड़ पर जाएं तो रोमांच महसूस करने के लिए पैदल चलना चाहिए। शिमला और अडोस पड़ोस वास्तव में अपनी ‘हैरिटेज वाक्स’ के लिए जाना जाता है। ऐसी राहों पर चलो तो लगता है ज़िंदगी एक पिकनिक ही तो है। अगर पुरानी वास्तुकला में दिलचस्पी रखते हैं तो अंग्रेजों के जमाने की ख़ास, दिलकश इमारतें देखते देखते काफी घूम सकते हैं। उस ज़माने में पत्थर, ईँट, लकड़ी और लोहे से बनी इमारतें खासी शानदार व मनमोहक हैं।
शिमला की असली खूबसूरती तो कुदरत ने रची है। देवदार, ओक, कैल, चीड़ और बुरांस के शानदार सुन्दर वृक्ष, औषधीय पौधे और मनोरम फूलों की छटा और सुगंध आपको महका देगी। ट्रैकिंग, स्केटिंग और आइस स्केटिंग सक्रियता बढ़ा सकती है। चौड़ा मैदान होकर, उच्च अध्ययन संस्थान जाएंगे तो इस नायाब इमारत के आंगन में लगे फूल पौधों और वास्तु शिल्प की तारीफ़ करेंगे। यहां धूप में काफी देर बैठना, टहलना चाहेंगे ताकि शिमला आना सार्थक हो सके। वैसे तो कई जगहों पर लगेगा कि आप इंग्लैंड जैसी जगह पर हैं लेकिन इस इमारत के पास पहुंचकर महसूस होता है कि इंग्लैंड में हैं। एलिज़बेथन शैली में बनी इस ईमारत के अंदरुनी कक्षों में जाकर इसकी उच्च कोटि की भवन निर्माण कला मन मोह लेगी। अखरोट की लकड़ी से बनी सैंकड़ों बरस पुरानी छतों का विरला कलात्मक शिल्प हैरान कर देगा।
अनेक पूजालय शिमला और अडोस पडोस में स्थित हैं। समय हो तो घूमने ग्लेन, सिपुर, कैरिग्नानो, छरबडा, कुफरी, फागु, नालदेहरा, तत्तापानी, नारकंडा तक जा सकते हैं। शिमला पहुंचने का सबसे दिलचस्प, रोमांचक सफ़र आप यकीनन, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज रेल ट्रैक पर चलने वाली शिवालिक एक्सप्रेस रेलगाड़ी से कर सकते हैं।
किसी ने सही कहा है कि आप उतना घूम सकते हैं जितना पैसा हो और जब तक आप न थकें। शिमला से बाहर कुदरत की असली सोहबत और सेब के बागों का स्वाद लेने के लिए बहुत सी जगह हैं जो हमेशा बुलाती रहेंगी. एक बार शिमला आएंगे तो फिर आना होगा।
- संतोष उत्सुक