राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मोदी और शिवराज सरकार को नोटिस भेज मांगा चार सप्ताह में जवाब

By दिनेश शुक्ल | Aug 08, 2020

भोपाल। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार को लगभग सात महीनों से बंद पड़ी गैस पीड़ित विधवा पेंशन के सम्बन्ध में नोटिस भेजा है। भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति द्वारा दर्ज कराई गई एक आपत्ति का संज्ञान लेते हुए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने केन्द्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर अपना जबाब देने के लिए कहा है। आयोग ने यह नोटिस शुक्रवार को भेजा है। गत 30 जुलाई को भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने आयोग के सामने शिकायत दर्ज कराई थी।

 

इसे भी पढ़ें: मध्य प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए नया मंत्रिसमूह गठित

भोपाल गैस पीड़ित के लिए काम कर रहे इन संगठनो का कहना था कि सरकार ने भोपाल गैस कांड की जीवित महिलाओं के बुढ़ापे का एकमात्र आर्थिक सहारा 1000 रुपये मिलने वाली गैस पीड़ित विधवा पेंशन को दिसंबर 2019 से बंद कर रखा है। इस सम्बन्ध में संगठनो ने मध्य प्रदेश सरकार को अवगत करवाया था। जिसको लेकर संगठन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से 26 जुलाई को मिले थे और इस पर आपत्ति दर्ज करवाई थी। साथ ही मुख्यमंत्री से गैस पीड़ित विधवा पेंशन को तुरंत शुरू किये जाने सम्बन्धी पत्र भी लिखा था। इसके अलावा भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा ने भी कई बार पत्र लिख कर सरकार का इस मामले की तरफ ध्यान आकर्षित करने की कई बार कोशिश की थी। संगठन शिवराज सरकार से सात महीने से बंद पड़ी गैस पीड़ित विधवा पेंशन को शुरू करवा पाने में असफल रही। जिसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को चार हफ्ते के भीतर इस मामले पर जवाब देने को कहा है।

 

इसे भी पढ़ें: जीआई टैग को लेकर MP और पंजाब की सरकार के बीच छिड़ा विवाद ? समझिए पूरा मामला

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा जारी नोटिस पर भोपाल गैस पीड़ित संगठनों ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा है कि आयोग के इस निर्णय से इन वृद्ध महिलाओं के जीवन में बदलाव की झलक साफ़ नजर आएगी। उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस कांड ने शहर की जिन 5 हजार महिलाओं के जीवन का सहारा छीना था उनमें से 4650 आज भी जीवित हैं। बाकी की 350 महिलाएं बीमारी के कारण दुनिया से चल बसी हैं। जीवित महिलाएं जिंदगी के लिए जद्दोजहत कर रही हैं। इनके बुढ़ापे का एकमात्र आर्थिक सहारा 1000 रुपये मिलने वाली गैस पीड़ित विधवा पेंशन है जो दिसंबर 2019 से बंद है।

 


प्रमुख खबरें

Jammu-Kashmir के पुंछ जिले में बड़ा हादसा, खाई में गिरी सेना की गाड़ी, 5 जवानों की मौत

हाजिर हों... असदुद्दीन ओवैसी को कोर्ट ने जारी किया नोटिस, सात जनवरी को पेश होने का आदेश, जानें मामला

An Unforgettable Love Story: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर विशेष

आरक्षण के मुद्दे का समाधान करें, अदालत पर इसे छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण : Mehbooba Mufti