By अनन्या मिश्रा | Aug 07, 2024
हर साल 07 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भारत की समृद्ध हथकरघा विरासत को संरक्षित करने के साथ हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना है। बता दें कि नेशनल हैंडलूम डे हथकरघा बुनकरों के कौशल और समर्पण का जश्न मनाने का एक मौका है। हथकरघा बुनकर सदियों से भारत की सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न अंग रहे हैं। तो आइए जानते हैं नेशनल हैंडलूम डे क्यों मनाया जाता है और साथ ही जानेंगे इसके इतिहास और महत्व के बारे में...
क्यों मनाया जाता है नेशनल हैंडलूम डे
हमारे देश में हथकरघा उद्योग लाखों लोगों के लिए रोजगार का अहम स्त्रोत है। ऐसे में नेशनल हैंडलूम डे मनाकर इस उद्योग को बढ़ाना देने और हस्तनिर्मित वस्त्रों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। यह भारत की हस्तकला विरासत का एक अहम और अनमोल हिस्सा है। यह दिन इस विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसके बारे में जागरुक करने का एक अवसर है। हथकरघा बुनकर अपनी मेहनत और कुशलता के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में नेशनल हैंडलूम दिवस हथकरघा बुनकरों के योगदान को प्रोत्साहित और सम्मानित करने का एक अवसर है।
नेशनल हैंडलूम डे का महत्व
हथकरघा उत्पाद पूरी तरह से स्वदेशी होते हैं। यह दिन स्वदेशी उत्पादों को बढ़ाने के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करता है। भारत की अर्थव्यवस्था में हथकरघा उद्योग महत्वपूर्ण योगदान देता है। हथकरघा उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करता है और गरीबी को कम करने में मदद करता है। हथकरघा उत्पादों के मांग न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में हैं।
नेशनल हैंडलूम डे का इतिहास
बता दें कि 07 अगस्त 2015 को पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया था। क्योंकि इसी दिन यानी की 07 अगस्त 1905 को स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ विदेशी सामानों का बहिष्कार करना था।
विशेषताएं
हथकरघा उत्पादों की वैसे तो कई विशेषताएं हैं, जो मशीन से बने कपड़ों से अलग होती हैं। हथकरघा उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल, अधिक टिकाऊ और बेहतर गुणवत्ता वाले होते हैं। वहीं इनमें विभिन्न प्रकार की डिजाइन और रंग होते हैं। जो इन उत्पादों को अद्वितीय बनाते हैं।