By अनन्या मिश्रा | Nov 15, 2024
आज ही के दिन यानी की 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा सुनाई गई थी। नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी के सीने में गोली मारकर उनकी हत्याकर दी थी। हालांकि गोडसे को हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक माना जाता है। साथ ही यह भी जानकारी सामने आती है कि वह महात्मा गांधी जी का पक्के अनुयायी भी थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि फिर नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या क्यों कर दी और महात्मा गांधी के सबसे बड़े विरोधी क्यों बन बैठे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर नाथूराम गोडसे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
पुणे के बारामती में 19 मई 1910 को नाथूराम गोडसे का जन्म हुआ था। यह अपने परिवार के चौथे पुत्र थे और जन्म के समय इनका नाम रामचंद्र रखा गया था। लेकिन नाथूराम से पहले हुए 3 पुत्रों की मृत्यु के बाद उनकी मां ने नाथूराम को लड़कियों की तरह रखना शुरूकर दिया था और उनकी नाक तक छिदवा दी थी। जिसके कारण बाद में उनका नाम रामचंद्र से नाथूराम पड़ गया। वह ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़कर वह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।
RSS से जुड़ाव
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नाथूराम आरएसएस से भी जुड़े थे। हालांकि बाद में उन्होंने 'हिंदू राष्ट्रीय दल' के नाम से अपना संगठन बना लिया था। इसके अलावा गोडसे को लेखन में भी रुचि थी। वह हिंदू राष्ट्र के नाम से अपना न्यूज पेपर भी निकालते थे। शुरूआत में वह महात्मा गांधी के पक्के अनुयायी हुआ करते थे। जब महात्मा गांधी ने सविनय अविज्ञा आंदोलन शुरू किया, तो नाथूराम ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लेकिन बाद में गोडसे के दिमाग में यह बात घर कर गई कि गांधी ने 'आमरण अनशन' नीति से हिंदू हितों की अनदेखी की। जिसके बाद से वह गांधी जी के खिलाफ हो गए।
देश ने राष्ट्रपिता खोया
बताया जाता है कि नाथूराम गोडसे कई बार महात्मा गांधी की हत्या की कोशिशें कर चुका था। आखिरकार 30 जनवरी 1948 में वह अपने नापाक मकसद में कामयाब रहे और उन्होंने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्याकर दी। दरअसल, नाथूराम आजादी के बाद देश के विभाजन के लिए गांधीजी को जिम्मेदार मानता था। नाथूराम गोडसे का मानना था कि महात्मा गांधी ने मुसलमानों के बीच अपनी अहिंसा और शांति वाली छवि बनाने के लिए देश का बंटवारा होने दिया।
गोडसे की गिरफ्तारी और मृत्यु
गोडसे का मानना था कि महात्मा गांधी के दबाव में तत्कालीन सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ऐसा कर रही है। एक बार गोडसे ने कहा था कि गांधी जी एक साधु हो सकते हैं, लेकिन वह एख अच्छे राजनीतिज्ञ नहीं हैं। गांधी जी की हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया और उनपर मुकदमा चलाया गया। वहीं 08 नवंबर 1949 को गोडसे का पंजाब हाईकोर्ट में ट्रायल हुआ और फिर 15 नवंबर 1949 में नाथूराम गोडसे को अंबाला जेल में फांसी की सजा दी गई।