मुकाबला मोदी-राहुल के बीच नहीं, मोदी-ममता के बीच नजर आ रहा है

By नीरज कुमार दुबे | May 13, 2019

लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच जोरदार टक्कर होने वाली है लेकिन छह चरणों का मतदान संपन्न होने के बाद बने राजनीतिक हालात का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि मुकाबला तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हो रहा है और राहुल गांधी तीसरे नंबर पर चले गये हैं। यह भाजपा की रणनीतिक सफलता भी कही जायेगी कि एक तीर से दो शिकार साधने में वह सफल होती दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस बार पश्चिम बंगाल में अंगद की तरह पाँव जमा कर बैठ गये हैं और कोशिश यही है कि राज्य की 42 में से कम से कम 23 सीटें भाजपा के खाते में जाएं जबकि मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी पूरा जोर लगा रही हैं कि राज्य में भाजपा की बढ़ती ताकत को रोक दिया जाये।

 

वाद-विवाद का जो मुकाबला नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होना चाहिए था वो मोदी और ममता के बीच देखने को मिल रहा है। इस पूरे चुनाव प्रचार में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच जिस प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप हुआ है उसने मुख्य विपक्षी की भूमिका से कांग्रेस को दूर कर दिया है। भाजपा 'बंगाल बचाओ' की लड़ाई लड़ रही है तो ममता बनर्जी देश का संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिये लड़ाई लड़ने का दावा कर रही हैं। जरा इस बारे के चुनाव प्रचार की बानगी देखिये- ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को थप्पड़ मारने की बात कही तो प्रधानमंत्री ने कह दिया, 'मैं आपको दीदी मानता हूँ इसलिए आपका थप्पड़ भी मेरे लिए आशीर्वाद होगा।' थप्पड़ संबंधी अपने बयान के बाद आलोचनाओं के घेरे में आईं ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने कहा था, 'मैं मोदी को लोकतंत्र का करारा थप्पड़ मारूँगी।' ममता बनर्जी अब कह रही हैं कि 'आपका सीना 56 इंच का है, मैं आपको थप्पड़ कैसे मार सकती हूँ।' 

इसे भी पढ़ें: बिहार में सातवें चरण का चुनाव- 2014 की हार का बदला लेने को उतरे दिग्गज

सत्ता की लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ी जाये इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन आप देखिये पश्चिम बंगाल में आखिर हो क्या रहा है। केंद्रीय चुनाव आयोग की सख्त निगरानी और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के बावजूद राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं की सरेआम पिटाई की जा रही है। मतदाताओं को तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से धमकाने की खबरें सामने आ रही हैं, पश्चिम बंगाल में तो जैसे लोकतंत्र बेबस-सा नजर आता है। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। लेकिन जो तसवीरें सामने आ रही हैं वह वाकई विचलित करने वाली हैं और कहीं ना कहीं तृणमूल कांग्रेस के दावों और उसकी मंशा पर सवाल उठाती हैं।

 

इसमें कोई दो राय नहीं कि इस बार के लोकसभा चुनाव परिणाम सर्वाधिक चौंकाने वाले होंगे। पश्चिम बंगाल में जो परिवर्तन की लहर चल रही है उसे संभवतः तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी समझ गये हैं। तृणमूल कांग्रेस नेताओं की अशालीन बयानबाजी, भाजपा को रोकने के लिए कुछ भी करने के चक्कर में हो रहीं गलतियां इस बार के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भारी पड़ने वाली हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने मोदी लहर के बावजूद राज्य की 42 में से 34 सीटों पर विजय हासिल की थी। इस बार ममता बनर्जी ने ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए अधिक संख्या में फिल्मी सितारों को मौका दिया है। ममता को शायद अपनी रणनीति की सफलता को लेकर अति-आत्मविश्वास हो गया है और यही उनकी पार्टी की हार का बड़ा कारण बन सकता है। दरअसल ममता बनर्जी को घेरे रहने वाले पार्टी नेता उन तक असल ग्राउंड रिपोर्ट नहीं पहुँचने दे रहे हैं।

 

ममता बनर्जी को भी इस बात का आभास नहीं था कि भाजपा इतनी आक्रामक हो जायेगी इसलिए भाजपा के वारों को संभालना तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किल होता चला जा रहा है। दूसरी ओर इस बार का लोकसभा चुनाव सात चरणों में लगभग दो महीने खिंच गया और किसी भी क्षेत्रीय पार्टी के लिए आजकल के खर्चीले चुनाव को इतने लंबे समय तक झेलना बड़ा कठिन होता है। बंगाल में आज हालात क्या हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि ममता बनर्जी ने कभी अपने से बड़े नेता से चुनाव प्रचार नहीं कराया लेकिन इस बार समूचे विपक्ष को एक साथ लाने के प्रयास में उन्होंने जी-जान लगा दिया। यही नहीं इस बार के लोकसभा चुनावों में तो उनकी पार्टी का प्रचार करने बांग्लादेश से एक फिल्मी हस्ती तक बुलायी गयी थी। इसके अलावा विपक्ष के अन्य नेता खासतौर पर वह नेता जो भाजपा से अलग हो गये हैं, उनको बंगाल बुलाकर चुनाव प्रचार कराया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें: चिंता मत करिये, एक बार फिर मजबूत और स्थिर सरकार ही आने जा रही है

बहरहाल, लोकतंत्र और संविधान की दुहाई देने वालीं ममता बनर्जी को यह बताना चाहिये कि क्यों उन्हें सब पर अविश्वास ही रहता है। उन्हें ईवीएम पर विश्वास नहीं है, जबकि यही ईवीएम के नतीजों ने उनकी सत्ता में दूसरी बार वापसी सुनिश्चित की थी। ममता बनर्जी को केंद्रीय सुरक्षा बलों पर भी विश्वास नहीं है। अब वह कह रही हैं कि केंद्रीय बलों को मतदाताओं को प्रभावित करने का निर्देश दिया गया है। ममता बनर्जी का बड़ा आरोप है कि पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की नियुक्ति करने के नाम पर भाजपा जबरन आरएसएस और अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं को केंद्रीय बलों की वर्दी में यहां भेज रही है। देखना होगा कि 23 मई को चुनाव परिणाम यदि उनकी उम्मीदों के एकदम विपरीत आये तो वह क्या बड़ा आरोप लगाती हैं। इस बार के चुनाव प्रचार पर यदि एक वाक्य में टिप्पणी की जाये तो यही कहा जा सकता है कि पद की मर्यादा का ख्याल किसी ने नहीं रखा। एक दूसरे पर निशाना साधने में नेतागण राजनीतिक मर्यादा लगातार तोड़ते चले गये।

 

-नीरज कुमार दुबे

 

प्रमुख खबरें

Maharashtra Election | महाराष्ट्र के लोगों को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों से भड़काया नहीं जा सकता, राज बब्बर का बीजेपी पर तीखा हमला

शिकायतों के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, नड्‌डा और खड़गे से मांगा जवाब, दी यह सलाह

Worli Assembly Election: वर्ली सीट पर बढ़ी आदित्य ठाकरे की मुश्किलें, मिलिंद देवड़ा और संदीप देशपांडे ने दिलचस्प बनाया मुकाबला

पिछले चुनाव में अजित पवार के सामने दावेदारी पेश करने वाले Gopichand Padalkar को बीजेपी ने जाट सीट से मैदान में उतारा