नरेंद्र मोदी ने देश को अब तक क्या दिया...अगर यह सवाल आपके मन में है तो जवाब हाजिर है

By नीरज कुमार दुबे | May 27, 2021

26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सँभाली और तीन दशक से ज्यादा समय बाद केंद्र में स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनी तो देश की जनता की उम्मीदें हिलोरें मार रही थीं क्योंकि वह परेशान थी नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार में डूबे तंत्र से। जनता परेशान थी नीतियों में शिथिलता की तत्कालीन सरकार की आदत से। जनता परेशान थी परिवारवाद से। जनता परेशान थी गठबंधन राजनीति की आये दिन होने वाली खींचतान से। जनता परेशान थी बेरोजगारी, महँगाई और बैंक ब्याज दरों के बढ़ते चले जाने से। केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले सत्ता के गलियारे दलालों के अड्डे के रूप में देखे जाने लगे थे, केंद्रीय मंत्रियों पर इतनी बड़ी रकम के भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे जिसको अंकों में लिखने को कहें तो सामान्य व्यक्ति निश्चित तौर पर ही गलती कर बैठेगा। विदेशों में भारत की छवि भी कुछ अच्छी नहीं थी, रेटिंग एजेंसियों ने भारत के आर्थिक परिदृश्य पर कुछ कहना ही बंद कर दिया था। भ्रष्टाचार के सूचकांकों में हम छलांग मारे जा रहे थे। यह वह दौर भी था जब देश में भूख से मौतें भी हो रही थीं। युवा आबादी सर्वाधिक निराश और परेशान थी और बस हर किसी में पढ़-लिख कर देश छोड़ने का जज्बा भरा हुआ था। यही नहीं सशस्त्र बल भी अपने आधुनिकीकरण की प्रक्रिया कभी ना कभी शुरू होगी इसकी उम्मीद लगाये सही वक्त आने का इंतजार कर रहे थे। यह देश का दुर्भाग्य ही था कि इन सब परिस्थितियों को तबके प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सिर्फ देखते रहने के लिए मजबूर थे क्योंकि वह तब तक कुछ नहीं कर पाते थे जब तक दस जनपथ से उन्हें निर्देश नहीं मिल जाता था।

इसे भी पढ़ें: कोरोना से लड़ाई सिर्फ सरकार को नहीं, हम सबको मिलकर लड़नी है

पहले दिन से ही मोदी ने सबको चौंकाना शुरू कर दिया था


देश की नयी उम्मीद बनकर उभरे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली की राजनीति के मामले में नया माना गया और राजनीतिक दिग्गजों ने यही उम्मीद लगायी कि वह काफी समय तो सीखने में ही लगा देंगे लेकिन शायद मोदी गुजरात में रहते हुए ही देश के विकास की रूपरेखा को तेजी से आगे बढ़ाने की ठान चुके थे इसीलिए उन्होंने कैबिनेट की पहली बैठक में कालाधन मामले पर आयोग गठित करने के फैसले के साथ ही संदेश दे दिया कि भ्रष्टाचार को खत्म करते हुए उनकी सरकार अपनी कार्ययोजना को आगे बढ़ायेगी। मोदी की शानदार शुरुआत देख हर कोई भौंचक्का था। मोदी ने देश के सुस्त तंत्र में नई जान फूंक कर सभी को जवाबदेह तो बनाया ही साथ ही हर योजना की खुद समीक्षा करने लगे जिससे योजनाओं के समय पर या समय से पहले पूरा होने जैसी अद्भुत घटनाएं इस देश में होने लगीं। मोदी ने शीर्ष स्तर से भ्रष्टाचार को पूरी तरह खत्म किया और इस बात की पूरी निगरानी की कि गरीब जनता को मिलने वाला पैसा सीधे उनके खाते में जाये कहीं कोई बिचौलिया एक पैसे का भी हेरफेर नहीं कर पाये। मोदी के सात साल के शासन को देखें तो यह बड़ी उपलब्धि है कि केंद्र सरकार पर एक पैसे के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है जो आरोप विपक्ष ने लगाये भी वह न्याय की अदालत और जनता की अदालत में साबित नहीं हो पाये। गौरतलब है कि राफेल लड़ाके विमान खरीद मामले में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे को कांग्रेस ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में मुख्य मुद्दा बनाया था लेकिन यह आरोप ना तो अदालत में साबित हो पाये और ना ही जनता ने इन्हें तवज्जो दी बल्कि मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को पहले से ज्यादा सीटें देकर सत्ता में वापस भेजा।


विपक्ष सवाल पूछने से पहले जवाब दे


विपक्ष आज सवाल पूछता है कि मोदी ने गरीबों को क्या दिया, मोदी ने युवाओं को क्या दिया, मोदी ने महिलाओं को क्या दिया, यह सवाल अपने आप में प्रासंगिक हैं लेकिन इनके उत्तर जानने के लिए जरा हमें प्रश्न पूछने वालों से ही सवाल करने चाहिए। आजादी के 70 साल बाद भी देश के सभी गांवों तक बिजली नहीं पहुँची थी, आजादी के 70 साल बाद भी सभी गरीबों के बैंक खाते नहीं थे, आजादी के 70 साल बाद भी गरीबों के घर में गैस चूल्हे नहीं थे, आजादी के 70 साल बाद भी सभी नागरिकों के लिए न्यूनतम प्रीमियम पर बीमा की सुविधा उपलब्ध नहीं थे, आजादी के 70 साल बाद भी गरीबों के लिए कोई आयुष्मान भारत जैसा सरकारी मेडिकल इंश्योरेंस उपलब्ध नहीं था, आजादी के 70 साल बाद भी गरीबों को उनके हक की रकम उन्हें पूरी मिल जायेगी इसकी कोई गारंटी नहीं थी। मोदी के 7 साल के शासन में यह सभी समस्याएं खत्म हो चुकी हैं।


महिलाओं का उत्थान


बालिकाओं के खिलाफ यौन अपराध करने वालों के खिलाफ कड़े दंड वाले कानून बनाये गये। यही नहीं मोदी सरकार बालिका शिक्षा का महत्व लोगों को समझाने और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का सामाजिक परिवर्तन लाने में सफल रही। मोदी सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देकर इसे देश का अभियान बना दिया। महिलाओं के सशक्तिकरण के अनेक उपाय किये गये जिनमें उन्हें छह माह का मातृत्व अवकाश भी शामिल है। उज्ज्वला गैस योजना के तहत हर घर गैस सिलेंडर और चूल्हा पहुँचा कर ना सिर्फ महिलाओं का काम आसान किया गया बल्कि उनको लकड़ी के चूल्हे का उपयोग करने से जो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ रही थीं वह भी बंद हुईं। आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चलाये गये साथ ही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत महिलाओं ने ही सर्वाधिक ऋण लेकर अपने काम-धंधे शुरू किये और आत्मनिर्भरता की राह पर कदम आगे बढ़ाये। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के अभिशाप से आजादी दिलाकर उनका एक बड़ा सपना भी मोदी सरकार ने ही पूरा किया। देशभर में स्वच्छता अभियान चलने और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में शौचालय बनने से भी काफी लाभ हुआ है। यही कारण है कि चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का, महिलाओं के सर्वाधिक वोट भाजपा के ही खाते में जाते हैं क्योंकि पिछले सात साल में महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक दशा में बड़ा सुधार हुआ है।

इसे भी पढ़ें: नकारात्मकता और अफवाह फैलाकर कैसे जीत पाएंगे कोरोना के खिलाफ लड़ाई ?

युवाओं के सपनों को पूरा करने का अभियान


हर युवा का सपना होता है कि उसके पास अच्छी नौकरी हो, या अपना कारोबार हो, अपना घर हो, गाड़ी हो आदि आदि। अब चूँकि 2014 में नरेंद्र मोदी बड़ी संख्या में निराश बैठे युवाओं की बदौलत ही सत्ता में आये थे तो उन्होंने युवाओं की परेशानियों को दूर करने पर ही ज्यादा ध्यान दिया। नौकरी सबको मिल जाये और तुरंत मिल जाये, यह जादू तो कोई भी नहीं कर सकता लेकिन बेरोजगारी दूर करने के कई उपाय हो सकते हैं जोकि तेजी के साथ किये गये। अधिकांश नियोक्ताओं की शिकायत थी कि उन्हें कुशल लोग नहीं मिलते इसलिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर युवाओं के हुनर को निखारने का काम बड़े स्तर पर शुरू किया गया और आज इसके अपेक्षित परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यही नहीं सरकारी नौकरियां निकाली भी गईं और उनमें पूरी पारदर्शिता बरतते हुए भर्तियां की गयीं साथ ही युवाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें अपना कारोबार करने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया। स्टार्टअप इंडिया स्टैण्डअप इंडिया, मेक इन इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी सरकारी योजनाओं की बदौलत भारत में स्टार्टअप्स की बाढ़ आ गयी और इनमें से अधिकांश को विदेशी और देशी निवेश भी मिला। यही नहीं मोदी सरकार ने आर्थिक जगत को भी ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन कर सकने के लिए प्रोत्साहित किया और लाल फीताशाही को खत्म कर नियमों को आसान बनाया।


हर वर्ग के चहेते नेता बने मोदी


मोदी चूँकि टेक्नालॉजी का उपयोग कर कार्य को आसान बनाने में यकीन रखते हैं इसलिए उन्होंने तकनीक के उपयोग को खूब आगे बढ़ाया और बात चाहे सरकारी नीतियों को बनाने की हो या सरकार के कामकाज से जनता को अवगत कराने की, उन्होंने पूरी पारदर्शिता के साथ आम आदमी को इसका हिस्सा बनाया। मोदी ने हर वर्ग के लिए काम करते समय यह नहीं देखा कि किससे वोट लेना है किससे नहीं। अगर ऐसा होता तो वह स्कूली छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा नहीं करते। देश में पहली बार हुआ कि प्रधानमंत्री स्कूली बच्चों से सीधे संवाद कर रहा हो और उन्हें परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए महज शुभकामनाएं ही नहीं बल्कि टिप्स भी दे रहा हो। कहा जा सकता है कि जहाँ 2014 के चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी की छवि वरिष्ठ भाजपा नेता, हिंदूवादी नेता के रूप में थी लेकिन जिस तरह उन्होंने सरकार में आने के बाद हर वर्ग के लिए काम किया उससे वह कारोबारी जगत, युवा वर्ग, छात्र वर्ग और विज्ञान और तकनीक जगत में भी समान रूप से लोकप्रिय होते चले गये।


आर्थिक मोर्चे पर जनता को दिलाई राहत


मोदी सरकार के आने से पहले जहाँ देश में बैंक ब्याज दरें और महँगाई आसमान छू रही थी वहीं आज यह दोनों अपने न्यूनतम स्तर पर हैं। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पर्सनल लोन की तो क्या बात करें हाउसिंग लोन की ही ब्याज दरें 13 प्रतिशत पर चल रही थीं लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इस क्षेत्र पर तत्काल ध्यान दिया गया और आज हाउसिंग लोन की ब्याज दरें छह या साढ़े छह प्रतिशत पर चल रही हैं जिससे आम आदमी का घर खरीदने का सपना पूरा हुआ है। यही नहीं प्रधानमंत्री जन आवास योजना के तहत हाउसिंग लोन की ब्याज दरों में सब्सिडी भी मिलती है। इसके अलावा बड़ी संख्या में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर बना कर दिये जा चुके हैं। जहाँ तक महँगाई की दर की बात है तो वह महामारी के दौर में जरूर थोड़ा बढ़ी है वर्ना पिछले सात साल से औसतन काबू में ही चल रही है।


मोदी ने देश को नया क्या दिया ?


नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में आम जन और वीआईपी के बीच की दूरी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए माननीयों की गाड़ियों पर से लाल बत्ती हटवा दीं, सदियों पुराने कानून खत्म कर अपने दस्तावेजों को प्रमाणित करने की आजादी देश की जनता को दी। मन की बात कार्यक्रमों के जरिये जनता से सीधे संवाद की परम्परा को शुरू किया और यह ऐसा खास कार्यक्रम बना जिसमें प्रधानमंत्री किन विषयों पर बोलें यह जनता तय करती है। आजादी के 70 साल बाद भी देश में कोई वॉर मेमोरियल नहीं था जबकि भारतीय सेना कई युद्ध लड़ और जीत चुकी है। लेकिन मोदी के आने के बाद देश में पहला वॉर मेमोरियल बना। दुनिया जिस स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊँचाई पर गर्व करती थी वह अब गुजरात में सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ युनिटी की ऊँचाई पर गौरवान्वित होती है।

इसे भी पढ़ें: संकट के इस समय दोषारोपण करने की बजाय एकजुट होकर महामारी से मुकाबला करें

देश को नई संसद, नया संसदीय सचिवालय देने का काम भी मोदी ही कर रहे हैं। जिस जीएसटी को कांग्रेस सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद संसद में पेश नहीं कर पाती थी उसको मोदी सरकार ने ना सिर्फ पास कराया बल्कि उसे सफल रूप से चलते हुए कई वर्ष भी हो चुके हैं। यही नहीं जिस अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर का विकास रोक रखा था, वहां भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा था उसे एक झटके में खत्म कर जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ वास्तविक रूप से विलय मोदी सरकार ने ही किया। अयोध्या में राम मंदिर बने, यह हर भारतीय का सपना जरूर था लेकिन इसे पूरा करने का साहस कोई नहीं दिखा सका लेकिन यह काम भी नरेंद्र मोदी को ही करना था सो उन्होंने किया। हमारी जाँच और सुरक्षा एजेंसियों की ताकत बढ़ाने की बात हो, संसदीय परम्पराओं का मान सम्मान करने और लोकतंत्र को मजबूत करने की बात हो, सभी क्षेत्रों में मोदी सरकार का कार्य अतुलनीय रहा है। नोटबंदी, सीएए, गरीब सवर्णों को आरक्षण जैसे फैसले भी मोदी जैसी प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति वाले नेता ही कर सकते थे। इसी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बाट सब जोह रहे थे लेकिन इसे लाने की पहल कोई नहीं कर रहा था। लेकिन मोदी सरकार ने इसे पूरा कर दिखाया।


राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी को पूरे नंबर


भारत की रक्षा और सुरक्षा आज ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर हर भारतीय प्रधानमंत्री की क्षमता पर पूरा यकीन रखता है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जिस तरह दो बार पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर सबक सिखाया, चीन को दो बार पीछे हटने पर मजबूर किया वह अपने आप में मिसाल है। वैश्विक पटल पर देखें तो भारत की छवि ना सिर्फ मजबूत देश की है बल्कि संकट के समय अपने नागरिकों को बचाने के लिए जीजान और पूरा संसाधन लगा देने वाले देश की भी है। भारतीयों पर संकट चाहे चीन के वुहान में आया हो, सीरिया में आया हो, यमन में आया हो, इराक में आया हो या फिर कहीं और, मोदी सरकार ने तुरंत अपने लोगों को बचाया। कोरोना काल में तो वंदे भारत मिशन के तहत जिस तरह भारतीयों को स्वदेश लाने की कवायद हुई उसकी मिसाल तो पूरी दुनिया में नहीं मिलेगी।


विश्व पटल पर मोदी के नेतृत्व में भारत की साख बढ़ी


विश्व पटल पर आज भारत की साख की बदौलत उसकी राय भी महत्व रखने लगी है। पूरे विश्व ने देखा कि किस तरह कोरोना काल में चाहे दवाइयों के माध्यम से मदद की बात हो, मेडिकल उपकरणों को भेजकर मदद करने की बात हो या फिर वैक्सीन भेजने की बात हो, भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम की अपनी परम्परा को कायम रखा है और स्वयं के साथ ही दूसरों के कल्याण की भावना से ही काम किया है। आज दुनिया के हर बड़े-छोटे देश के साथ भारत के पहले से बहुत बेहतर संबंध हैं और अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में मोदी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि जिन देशों के साथ पूर्व में प्रधानमंत्री स्तर पर कोई संवाद नहीं हुआ था वह किया जाये और देशों के साथ संबंधों में नयी गर्माहट लाई जाये। यही कारण रहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के प्रस्तावों को गजब का समर्थन मिलने लगा है और भारत की बात का महत्व बढ़ा है।


कठिन दौर में अनुभवी नेता का नेतृत्व काम आया


आज भले महामारी के दौर में सरकार की इस बात के लिए आलोचना हो रही हो कि उसने दूसरी लहर से निबटने की तैयारी नहीं की थी लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस कठिन समय में देश अनुभवी और ईमानदार नेता के हाथों में है इसलिए हम जल्द ही सँभल भी गये। पहली लहर के दौरान भी जिस तरह मोदी समय-समय पर देश की जनता के साथ सीधा संवाद करते रहे और उनका आत्मविश्वास बढ़ाते रहे, मुख्यमंत्रियों को महामारी से लड़ने के लिए पूरा सहयोग प्रदान करते रहे, गरीबों को भोजन और आवास की तथा मध्यम वर्ग के लिए ईएमआई को टालने की सुविधा प्रदान की उससे लोगों को काफी संबल मिला। दूसरी लहर में भी एकदम से जिस तरह देश के सभी संसाधनों का उपयोग कर ऑक्सीजन या जीवन रक्षक दवाएं सब जगह पहुँचाने का अभियान युद्ध स्तर पर छेड़ा गया वह दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है। यह मोदी मैत्री का ही परिणाम था कि दुनिया का हर देश संकट के समय भारत की मदद करने के लिए खड़ा हो गया।


मोदी से मुकाबले की बात तो होती है लेकिन विपक्ष का नेता कौन है ?


यह सही है कि महामारी की दूसरी लहर से निबटने को लेकर प्रधानमंत्री पर उठे सवालों के चलते नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कुछ गिरावट आई है लेकिन अगर राजनीतिक लिहाज से देखें तो 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले जब मनमोहन सिंह की लोकप्रियता में गिरावट आ रही थी तब नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ रही थी लेकिन आज अगर मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे जा भी रहा है तो कांग्रेस या किसी और नेता की लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर नहीं बढ़ रहा है। साफ है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प किसी भी दल के पास नहीं है। यहाँ यह भी गौर करने वाली बात है कि मोदी के सत्ता में आने से पहले एक वर्ग के लोगों में भय का माहौल बना दिया गया था लेकिन मोदी ने 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' मंत्र जपते हुए अपना कार्य जारी रखा और आजादी के इतने वर्षों बाद देश का अल्पसंख्यक समाज सशक्त हुआ है।


बहरहाल, मोदी के नेतृत्व में भारत का आत्मविश्वास बढ़ा है, जनता में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ी है, जनता के लिए बुनियादी सुविधाएं बढ़ी हैं, किसानों और गरीबों की आय बढ़ी है, देश मुश्किलों से उबर कर जल्द खड़ा होना सीख गया है। कोरोना की पहली लहर के बाद जिस तरह अर्थव्यवस्था में वी शेप रिकवरी हुई वह दर्शाता है कि नेतृत्व मजबूत है और नीतियां सही हैं तो देश को खड़ा होने और आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। आत्मनिर्भर भारत की जो बुनियाद नरेंद्र मोदी ने रखी है उसके सकारात्मक परिणाम आने में थोड़ा समय जरूर लगेगा। कुल मिलाकर कहा जाये तो इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले सात सालों में भारत आर्थिक, सामाजिक और सैन्य रूप से तो मजबूत हुआ ही है साथ ही दक्ष कार्यक्षमता वाले युवाओं के रूप में भी पूरी दुनिया पर राज कर रहा है।


-नीरज कुमार दुबे

प्रमुख खबरें

सांसदों को अनुकरणीय आचरण का प्रदर्शन करना चाहिए : धनखड़

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में जंगल की आग से बारूदी सुरंग में विस्फोट

अजित पवार एक दिन मुख्यमंत्री बनेंगे : फडणवीस

गंगानगर में ‘हिस्ट्रीशीटर’ की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या: पुलिस