गरीबी झेली, मिथ्या आरोप भी झेले पर माँ भारती की सेवा का संकल्प मजबूत होता चला गया

By प्रभात झा | Sep 17, 2019

कौन कहता है कि गरीबी अभिशाप है। कौन कहता है कि गरीबी संस्कारहीन बना देती है। कौन कहता है कि गरीबी गुहार लगाने की जिंदगी देती है। कौन कहता है कि गरीबी साहस से दूर करती है। कौन कहता है कि गरीबी विकास में बाधा होती है। कौन कहता है गरीबी परिवार को तोड़ देती है। कौन कहता है कि गरीबी अन्धकार है। कौन कहता है कि गरीबी का कोई भविष्य नहीं होता। कौन कहता है कि गरीब की समाज में कोई इज्जत नहीं हो सकती। कौन कहता है कि गरीब देश की पतवार नहीं थाम सकता। इन सभी प्रश्नों का भारत में एक व्यक्ति ने उत्तर दिया है। उस व्यक्ति का नाम है नरेंद्र मोदी।

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कौन कहता है कि गरीब की ओर देश नहीं देख सकता। कौन कहता है कि गरीब प्रथम पंक्ति में आ नहीं सकता। 'चाय गरम चाय गरम' कहते हुए रेल गाड़ी में लोगों को चाय पिलाने वाला अपना भविष्य नहीं, बल्कि भारत का भविष्य संभालेगा, यह कोई सोच नहीं सकता था। मां हीरा बा ने जन्म दिया, पिता ने गरीबी दिखाई, वो चाय बनाते थे और ये दौड़-दौड़ कर यात्रियों को चाय पिलाते थे। माता-पिता ने इस गरीबी में भी नरेंद्र को रात-दिन संस्कारित करने का प्रयत्न जारी रखा। गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में जन्मा वह नन्हा बालक गरीबी के हर थपेड़े सह रहा था। वो चाय जाकर बेचता था, पर अपने स्वाभिमान को कभी बिकने नहीं दिया। गांव की माटी में पले नरेंद्र भाई को यह जब समझ में आया कि एक मां ने तो जन्म दिया है, पर दूसरी मां तो भारत माता है, और उसकी सेवा करना भी बतौर भारतीय हमारा कर्तव्य है तो वे अपनी इस समझ को धीरे-धीरे बढ़ाते चले गए। वे बालकाल से ही बड़े निडर थे। कुछ वर्षों बाद भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व के लिए काम करने वाली राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा पर नरेंद्र भाई जाने लगे। परिवार का संस्कार और भारत माता की माटी का संस्कार बढ़ता गया और वे आगे बढ़ते गए। कुछ बड़े हुए तो उन्होंने अपनी समझ बढ़ाई। स्कूली शिक्षा समाप्त कर वे कुछ समय के लिए हिमालय की ओर बढ़ गए। उनका मूल स्वभाव अध्यात्मिक ही रहा। माता-पिता की जिद के कारण विवाह भी हुआ, पर वे उस जीवन की ओर नहीं बढ़े।


मां से बढ़कर कोई नहीं

 

मनुष्य के जीवन में जन्मदात्री "मां" का स्थान कहां है, को यदि देखना है तो हमें नरेंद्र मोदी और उनकी मां "हीरा बा" की ओर देखना होगा। 96 वर्षीय "हीरा बा" के आशीष लेने का कोई मौका नरेंद्र भाई नहीं छोड़ते। वे मां के आशीष को ईश्वर का प्रसाद मानते हैं। पूरे देश में माता-पिता के प्रति एक बालक का कैसा संपर्क होना चाहिए उसका जीता-जागता उदाहरण स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तुत किया।

 

नरेंद्र भाई को बचपन से ही ललक थी कैसे मैं मां भारती की सेवा करूं। वे संघ के प्रचारक निकले। संघ कार्यालय और संघ कार्य से गहरा नाता जुड़ता गया। गुजरात को देखने और समझने लगे। लोगों की पीड़ा उनका मन दुखाती थी। दूसरों का दर्द उन्हें अपने परिवार का दर्द लगता था। एक समय आया कि वे गुजरात भाजपा के संगठन मंत्री बने। राजनीति को उन्हें करीब से देखने का मौक़ा मिला। धीरे-धीरे नरेंद्र भाई घर से दूर और समाज के निकट पहुंचने लगे। संघ का कार्य और बाद में भाजपा का कार्य उनके जीवन का मुख्य हिस्सा बन गया। किसी भी विषय को जानना और समझना उनका स्वभाव रहा। उत्सुकता को उन्होंने कभी कम नहीं होने दिया। उसके बाद गुजरात की राजनीति से संगठन ने उन्हें केंद्र की राजनीति में लाने का निर्णय भी लिया। वे बतौर प्रचारक राष्ट्रीय मंत्री के नाते दिल्ली आ गए। वे नई-नई तकनीकी से जुड़ते गए। दिल्ली में उन्हें अटल जी, आडवाणी जी और डॉ. जोशी का जहां आशीष मिला वहीँ अरुण जेटली जैसे मित्र भी मिले। दिल्ली का 9 अशोक रोड उनका स्थायी पता हो गया। वे अखंड प्रवास करते रहे। संगठन का कार्य उनके माथे पर बढ़ता गया। वे महामंत्री बने। 

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डॉ. जोशी द्वारा पूरे भारत में निकाली गई एकात्मता यात्रा के वे प्रभारी भी बने। उनका अखिल भारतीय स्वरूप धीरे-धीरे उभरता गया। जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा कभी फहराया नहीं जाता था, वहां जोशीजी के साथ उन्होंने तिरंगा फहराया। उनकी कौशलता, उनकी कार्य पद्धति, उनकी कार्य योजकता और उनकी कार्य क्षमता सबको समझ में आ रही थी। राजनीति में नए प्रयोग करना और उन प्रयोगों के माध्यम से पार्टी का विस्तार करना उनकी मूल प्रकृति रही। इसी बीच गुजरात में भाजपा सरकार संक्रमण काल से गुजर रही थी। अटलजी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने आडवाणीजी से चर्चा कर गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को गुजरात भेजा। नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए।

   

नरेंद्र भाई का बतौर मुख्यमंत्री शासन-प्रशासन, विकास का नजरिया लोगों ने देखना शुरू किया। वे शुरू से धुनी रहे हैं। वे जुट गए गुजरात के विकास पर। गुजरात के विकास के नए-नए आयाम उन्होंने तय किये। एक मुख्यमंत्री अपने राज्य को भारत के सभी राज्यों से आगे कैसे ले जा सकता है, उसका अनोखा और अनुपम उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया। देश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्रियों में उनके नाम की चर्चा शुरू होने लगी। इसी बीच गुजरात में गोधरा काण्ड हो गया। विरोधी बहुत हावी हुए। विरोधियों ने क्या-क्या नहीं किया। पर अटलजी के कथनानुसार नरेंद्र मोदी 'राजधर्म का पालन' करते रहे। आंतरिक और बाहरी विरोधों के बावजूद वे सोने की तरह तपकर निकले और पुन: गुजरात में अपनी सरकार बनाकर अपनी साख को बढ़ाया। वे गुजरात के लोगों के मसीहा बन गए। उन्होंने गुजरात का इतना विकास किया कि धीरे-धीरे उनके विरोधी भी दम तोड़ते चले गए। उनकी सफलता ने न केवल गुजरात का बल्कि उनके स्वयं के कार्य करने की पद्धति निरंतर चर्चा में आती रही। केंद्र में यूपीए सरकार रही पर उन्होंने गुजरात में भाजपा सरकार को कभी केंद्र की यूपीए सरकार के आगे झुकने नहीं दिया। वे सभी बाधाओं को पार करते हुए अपने सभी सहयोगियों के साथ आगे बढ़ते गए, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह को विरोधियों ने गुजरात निकाला तय करवा दिया। पर न नरेंद्र मोदी झुके, न अमित शाह टूटे। 

 

समय पलटते देर नहीं लगी। एक समय ऐसा आया जब राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब सबके मन में आया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कैम्पेन कमिटी का संयोजक नरेंद्र भाई मोदी को क्यों न बना दिया जाए। नरेंद्र मोदी खुद नहीं आये, उन्हें दिल्ली में भारत माता ने बुलाया। क्योंकि यूपीए सरकार से त्रस्त भारत को एक नये उदयीमान व्यक्ति की तलाश थी। राजनाथ सिंह ने कुछ ही महीनों बाद दल की सर्वानुमति से यह निर्णय लिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में हमारे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी होंगे।

 

भाग्य, भविष्य और भगवान् को किसी ने नहीं देखा है। पर हर मानव का भाग्य और भविष्य भगवान् निर्धारित करता है। इस सत्य को कोई नहीं नकार सकता। अखिल भारतीय स्तर पर राजनीति में आई शून्यता और यूपीए सरकार से उत्पन्न हताशा के बाद एक आशा की किरण बनकर नरेंद्र मोदी देश के सामने आये। उन्होंने अटूट मेहनत की। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपना सिरमौर बनाया। नरेंद्र भाई यायावर की तरह फकीरीपन में रात को गुजरात के मुख्यमंत्री का दायित्व निभाते थे और सुबह आठ बजे से रात के दस बजे तक भाजपा का प्रतीक बनकर जनता को विश्वास दिलाने में लगे रहते थे। वे कहते थे 'देशवासियों तुम मुझे विश्वास दो मैं तुम्हे विकास दूंगा'। देश के कोने-कोने में वे पहुंच गए। फिजां बदल गई।

  

भारत के जन-जन के मन में उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि अगर भाजपा सरकार बनाती है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत माता का परचम विश्व में फहरेगा। इस बीच भारत की सबसे अधिक लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश की वाराणसी संसदीय सीट से भी संगठन ने उन्हें लड़ाने का निर्णय लिया, वहीँ गुजरात के बडौदा से भी उन्हें लड़ाया गया। उन्होंने वाराणसी में फॉर्म भरते हुए कहा कि 'मुझे मां गंगा ने बुलाया है'। नरेंद्र भाई के इस शब्द को सुनकर पूरे उत्तर प्रदेश में एक नए प्रकार का जागरण हुआ। इस बीच अमित शाह राष्ट्रीय महामंत्री बन चुके थे। उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी भी बनाया गया। अमित भाई ने अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय उत्तर प्रदेश में दिया। वहीँ राजनाथ सिंह ने अपने अध्यक्ष के दायित्व की उदारता संगठन में दिखाई। सबने एकमत से माना कि हमारे नेता नरेंद्र भाई मोदी हैं। भाजपा के देशभर के कार्यकर्ता पूरी जी जान से जुट गए। 16वीं लोकसभा का परिणाम इतिहास रचने जैसा आया। भाजपा को अपने बल पर पूर्ण बहुमत मिला और एनडीए की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। 

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गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। एक अभिनव नायक के रूप में वो देश के सामने उभरकर आये। विपक्ष धराशायी हुआ। भाई नरेंद्र मोदी ने भारत के विकास की एक नई गाथा लिखनी शुरू की। लाल किले की प्राचीर से दिया गया उनका पहला भाषण 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' की पुष्टि करता है। वहीँ एकात्म मानववाद और अन्त्योदय के सपने को भी साकार करता हुआ दिखाई पड़ा। लाल किले से वे वैसे नहीं बोले जैसे पूर्व के प्रधानमंत्री बोलते थे। उन्होंने भारत के आम आदमी की नब्ज टटोली। भारत के गांव और कृषि को आधार बनाया। भारत के नारकीय जीवन जी रहे लोगों के जीवन में नया सवेरा लाने का प्रयास किया। उसी में से निकली शौचालय, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता अभियान, जन धन योजना, आयुष्मान योजना, मुद्रा योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति योजना, 60 से अधिक उम्र के किसान और व्यवसायी परिवार को पेंशन, किसान सम्मान निधि योजना, किसान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को दोगुना करने के साथ-साथ नोटबंदी और जीएसटी, एक साथ 104 उपग्रह छोड़ने, मंगलयान, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे अकल्पनीय, अद्भुत, अवस्मरणीय निर्णय लेकर उन्होंने विरोधियों के राजनीतिक मिजाज को ठंडा कर दिया।

 

भारत में एक नए विश्वास का संचार हुआ, इस बीच नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अमित शाह आये। लगातार एक एक राज्य में भाजपा की सरकार बनती गई। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, गोवा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अनेक राज्यों में भाजपा या एनडीए की सरकार बनी। एक समय ऐसा आया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 23 राज्यों में भाजपा और भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई। इतना ही नहीं भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई। पूरे देश में 11 करोड़ से अधिक सदस्य भाजपा के बने। भाजपा का विस्तार होता गया और आज भी विस्तार हो रहा है। वर्तमान में भाजपा के 18 करोड़ सदस्य बन गए हैं।

  

भारत माता के सच्चे सपूत नरेंद्र मोदी ने बिना युद्ध किये पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया। जब उरी की घटना हुई तब सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के भीतर जाकर आतंकियों को मार कर भारत का मस्तक ऊंचा किया। पुलवामा की घटना जब घटी तब एयर स्ट्राइक कर भारत ने विश्व में अपनी धाक जमाई। यह अदम्य साहस दिखाकर जो काम नरेंद्र मोदी ने किया, उसकी सराहना हर भारतीय ने की। वहीँ विश्व में सभी राष्ट्र भारत के साथ खड़े हुए।

 

विश्व के रंगमंच पर अगर नजर दौड़ाएं तो अपने साढ़े पांच साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी ने विश्व के 70-80 से अधिक राष्ट्रों का दौरा कर उन राष्ट्रों के मन को जीतने का भरसक प्रयत्न किया। आज स्थिति यह है कि चाहे जी-20 की बैठक हो, ब्रिक्स की बैठक हो, बिम्सटेक की बैठक हो, ईस्टर्न इकॉनमी फोरम की बैठक हो या फिर यूएन की बैठक हो, विश्व नरेंद्र मोदी का इन्तजार करता है और उनके मंच पर आते ही सैंकड़ों राष्ट्र रोमांचित हो जाते हैं। सात से अधिक मुस्लिम राष्ट्रों ने अब तक अपने सर्वोच्च सम्मान से नरेंद्र मोदी को नवाजा है। दो-तीन मुस्लिम राष्ट्रों ने तो मंदिर बनाना शुरू भी कर दिया है। अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों ने भी अपने देश का सर्वोच्च सम्मान नरेंद्र मोदी के नाम किया है।

 

21 जून को योग दिवस आज विश्व भर में नरेंद्र मोदी के प्रयत्न से मनाया जाता है। नरेंद्र भाई ने सभी राष्ट्रों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को गीता प्रदान कर उन्हें "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" का सन्देश देने की कोशिश की। चाहे भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात हो, विश्व में सबसे तेज गति से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था बनाने की बात हो, व्यापार सुगमता की रैंकिंग में सुधार की बात हो या फिर विश्व को जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों से बचाने की बात हो या फिर विश्व को आतंकवाद और गरीबी से मुक्त करने की बात हो कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है जिसमे भारत का मस्तक ऊंचा करने के लिए नरेंद्र भाई ने कसर छोड़ी हो।

 

कल तक भारत के लोग यह कहा करते थे कि अमेरिका, रूस, जर्मनी और फ्रांस की कतार में भारत कब खड़ा होगा। आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे देश को उस कतार में खड़ा कर दिया है। विश्व में लोग अब यह चर्चा नहीं करते कि ट्रम्प, पुतिन दमदार हैं, आज विश्व में बल्कि यह कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा होना चाहिए। आज यह वैश्विक चर्चा का विषय बना हुआ है कि नरेंद्र मोदी भारत के ही नहीं अब वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो रहे हैं।  

 

मोदी-मोदी अब वैश्विक स्वर बना

 

आजादी के बाद अब तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं उनमें से प्रवासी भारतीयों में नरेंद्र मोदी जैसा लोकप्रिय प्रधानमंत्री कोई नहीं हुआ। विश्व के प्रवासी भारतीयों में गौरव के साथ-साथ उत्साह और उमंग का भाव जगा। वे अब अपने को विदेशों में दीन-हीन भारत के नागरिकों की बजाय अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, जर्मनी जैसे देश के नागरिकों के भाव से रह रहे हैं। प्रवासी भारतीय मानते हैं कि भारत के लोगों के जीवन में यदि परिवर्तन आया है तो विश्व के हर कोने में रहने वाले भारतीयों के गौरव का ग्राफ बढ़ा है। 'मोदी-मोदी' यह सिर्फ भारत का स्वर नहीं है, यह अब वैश्विक स्वर बन चुका है। विदेशों में भारत के बारे में सर्वे होते हैं उनमें वैश्विक नेताओं में विश्व के लोग अब यह स्वतः कहने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी अब भारत के ही नहीं बल्कि वैश्विक नेता हो चुके हैं।

 

इसी बीच सत्रहवीं लोकसभा का चुनाव आया। इस चुनाव में पूरे देश में मोदी लहर का ज्वार उठा। विरोधियों ने क्या-क्या नहीं कहा। सारी मर्यादाएं तोड़ीं, लेकिन देश ने नरेंद्र मोदी की मर्यादा को तोड़ने नहीं दिया। भाजपा 303 और एनडीए 366 सीटें जीतकर आई। इस चुनाव परिणाम से विश्व का केवल नजरिया ही नहीं बदला बल्कि यह सन्देश भी गया कि नरेंद्र मोदी भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। 

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उन्होंने अपने कार्यकाल में अंत तक एक दिन का भी विराम नहीं किया। अनवरत चलते रहना दीनदयाल जी के आदर्श 'चरैवेति चरैवेति' को उन्होंने जिंदगी का पर्याय बना लिया। जिस भाजपा को कांग्रेस सहित कुछ अन्य राजनीतिक दल सदैव साम्प्रदायिक कहते रहे, नरेंद्र मोदी पर खासकर यह लेबल चिपकाते रहे, वही नरेंद्र मोदी दस करोड़ मुस्लिम महिलाओं के लिए वे मसीहा बनकर उभरे। तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी से हटा दिया। इस अमानवीय तीन तलाक को ख़त्म कर मुस्लिम महिलाओं के बीच मानवता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। इससे विश्व के अन्य मुस्लिम देशों में भी इस बात का तिलिस्म टूट गया कि भाजपा एक साम्प्रदायिक पार्टी है। 

 

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की भूल जो शूल बनकर भारत माता के जीवन में चुभ रही थी, उस धारा 370 को निरस्त कर उन्होंने भारत माता के सच्चे सपूत और देश में एक प्रधान, एक निशान, एक विधान के इस नारे को सार्थक किया, जिसे कहते-कहते जनसंघ के आद्य संस्थापक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी मौत हो गई। संविधान में एक अस्थायी धारा 370 को 70 साल बाद हटाकर उन्होंने 130 करोड़ भारतवासियों का न केवल मन जीता बल्कि विश्व में यह सन्देश दिया कि राष्ट्रहित में निर्णय लेने वाली मोदी सरकार दमदार सरकार है।

 

आजादी के बाद से सदैव आंख दिखाने वाला पाकिस्तान, जो चार बार युद्ध में चित्त हो चुका है, वह आज अपने ही कर्मों से अपनी ही धरती पर आज अंतिम सांसें ले रहा है। विश्व में पाकिस्तान को अलग-थलग करने में किसी को श्रेय जाता है तो वह नाम है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। भारत की कूटनीति के आगे आज पाकिस्तान विश्व में अलग-थलग पड़ गया है। भारत के लोग नरेंद्र मोदी के साहस को देख कर यह कहने में जुट गए हैं कि वह दिन दूर नहीं जब पीओके हमारे कब्जे में होगा। आम नागरिकों के मुंह पर यह जो बात है उसमें एक आदमी के साहस की प्रेरणा है। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ओर से विश्व को यह सन्देश दिया है कि न आंखें दबाकर, न आंखें झुकाकर, बल्कि आंखें मिलाकर काम करने की ओर बढ़ रहे हैं। नागरिकों में आया यह मौलिक परिवर्तन स्वतः दर्शाता है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है।

 

भारत में आजादी के बाद स्वराष्ट्र के बारे में सोचने की बजाय स्वयं के बारे में लोग अधिक सोचने लगे थे। आजादी के पहले जो जज्बा राष्ट्र के प्रति था, वह आजादी के बाद धीरे-धीरे क्षीण होता गया। पर आज पुन: प्रत्येक भारतीय में यह जज्बा पैदा हुआ है कि 'रोटी से बड़ा राष्ट्र' है। जिस देश में आम नागरिक रोटी की बजाय राष्ट्र को पहले देखने लगे तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि भारत एक विकसित और वैभवशाली देश बनने की दिशा में अग्रसर है। नागरिकों में यह जो प्रेरणा आई है 'रोटी के पहले राष्ट्र', यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इसका श्रेय पिछली और वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए अभूतपूर्व फैसले को जाता है। 

 

भाजपा ने पिछली बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाया था। इस बार भी उनके जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। वे अब सिर्फ भारतीय जनता पार्टी  की सम्पत्ति नहीं हैं, बल्कि अब भारत की संपत्ति बन गए हैं। उनके रख-रखाव की चिंता देश के 130 करोड़ लोगों ने शुरू कर दी है। वर्षों बाद भारत को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो कहते हैं, 'सबका साथ सबका विकास' के आगे हमें अब 'सबका विश्वास' जीतना है।

 

-प्रभात झा 

सांसद (राज्य सभा)

एवं भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

 

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