By नीरज कुमार दुबे | Aug 03, 2022
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन बिलबिला उठा है लेकिन पेलोसी ने ऐलान कर दिया है कि अभी कई अमेरिकी नेता ताइवान के दौरे पर आएंगे। चीन ने नैंसी पेलोसी की यात्रा को बाधित करने की पूरी कोशिश की लेकिन पेलोसी भी पूरी तैयारी के साथ आई थीं। नैंसी पेलोसी की यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए अमेरिका ने अभेद्य सुरक्षा चक्र बनाये थे जिसे चीन नहीं तोड़ सका। चीन ने अपने लड़ाकू विमान भेज कर उसकी गड़गड़ाहट से डराना चाहा, चीन ने ताइवान पर साइबर हमले किये लेकिन यह कोई भी प्रयास काम नहीं आया तो ड्रैगन बौखला उठा है।
हम आपको बता दें कि 1997 के बाद यह पहला मौका है जब कोई बड़ा अमेरिकी नेता ताइवान की यात्रा पर आया है। अभी पिछले सप्ताह ही चीनी राष्ट्रपति और अमेरिकी राष्ट्रपति की बातचीत के दौरान भी चीन ने पेलोसी की ताइवान यात्रा का विरोध किया था और अंजाम भुगतने तक की चेतावनी दी थी लेकिन अमेरिका पर कोई फर्क नहीं पड़ा। चीनी धमकियों को नजरअंदाज करते हुए पेलोसी ताइवान पहुँचीं और कहा कि हमें हंगामे से कोई फर्क नहीं पड़ता। यही नहीं पेलोसी की ताइवान यात्रा के दौरान जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें उनकी भाव भंगिमाएं देखकर चीन गुस्से से उबल रहा है। चीन की बात करते समय बार-बार पेलोसी जिस तरह मुट्ठी भींच रही थीं उसको देख कर चीन गुस्से से पागल हो गया है। नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुँचने पर जनता ने जिस तरह उनका स्वागत किया उसको देखकर भी चीन को मिर्ची लगी है। यही नहीं ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने नैंसी पेलोसी को ताइवान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जोकि ड्रैगन को नागवार गुजरा है।
नैंसी पेलोसी ने ताइवानी संसद को संबोधित किया जिसके कुछ घंटों बाद ही ड्रैगन ने बीजिंग में अमेरिकी राजदूत को तलब कर अपनी नाराजगी प्रकट कर दी और वाशिंगटन को धमकी दी है कि उसे अपनी 'गलतियों' की 'कीमत चुकानी होगी।' पेलोसी ने अपने संबोधन में कहा कि 'आज दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। पेलोसी ने कहा कि अमेरिका कभी भी जोर-जबरदस्ती के दम पर ताइवान को दबाने नहीं देगा। उन्होंने कहा, 'अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है।' लेकिन अमेरिका के इस वादे से चीन आग बबूला हो गया है। चीन ने चेतावनी दी है कि उसकी चेतावनियों के बावजूद हो रही अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का द्विपक्षीय संबंधों पर ‘गंभीर असर’ पड़ेगा क्योंकि यह क्षेत्र की शांति और स्थिरता को ‘गंभीर रूप से कमजोर’ करता है। चीनी सरकारी मीडिया ने कहा कि सेना उनकी यात्रा का मुकाबला करने के लिए ‘लक्षित’ अभियान चलाएगी। चीन ने राजनयिक स्तर पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि पेलोसी की यात्रा ‘एक चीन सिद्धांत’ का उल्लंघन करती है। उसने अमेरिका पर उसे नियंत्रित करने के लिए ताइवान कार्ड खेलने का आरोप लगाया।
उल्लेखनीय है कि चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और कहता है कि वह उसे अपने में मिलाएगा। चीन विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि ताइवान का मसला चीन का आंतरिक मामला है और किसी भी अन्य देश को यह अधिकार नहीं है कि वह ताइवान के मसले पर न्यायाधीश बनकर काम करे। विदेश मंत्रालय ने कहा, ''चीन अमेरिका से ‘ताइवान कार्ड' खेलना और चीन को नियंत्रित करने के लिए ताइवान का उपयोग बंद करने का आग्रह करता है। बयान में कहा गया है कि अमेरिका को ताइवान में दखल देना और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर देना चाहिए।” चीन ने कहा कि दुनिया में केवल एक-चीन है, ताइवान चीन के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है, और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार है।
इस बीच, चीनी धमकियों से अमेरिका बेपरवाह नजर आ रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच अमेरिका और इंडोनेशिया ने आपसी संबंधों के और मजबूत होने का संकेत देते हुए आज से सुमात्रा द्वीप में वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया, जिसमें पहली बार अन्य देशों ने भी भाग लिया। जकार्ता में अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में बताया कि इस साल इस सैन्य अभ्यास में अमेरिका, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर के 5,000 से अधिक जवान हिस्सा ले रहे हैं।
वहीं जवाब में चीन ने ऐलान किया है कि उसकी सेना ताइवान के आपसपास के जलक्षेत्र में बृहस्पतिवार से रविवार तक सैन्य अभ्यास करेगी। सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने बताया कि चीनी सेना "ताइवान द्वीप पर पेलोसी की यात्रा का मुकाबला करने के लिए लक्षित सैन्य अभियानों की एक श्रृंखला शुरू करेगी और राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेगी।" चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की पूर्वी थिएटर कमान ताइवान द्वीप के आसपास संयुक्त सैन्य अभियानों की एक श्रृंखला भी शुरू कर चुकी है। हम आपको बता दें कि नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचने से कुछ समय पहले, चीन के सरकारी मीडिया ने कहा था कि चीनी एसयू-35 लड़ाकू जेट ताइवान जलडमरूमध्य को "पार" कर रहे हैं। यही नहीं कुछ हैकर्स ने ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय की वेबसाइट पर एक साइबर हमला किया, जिससे यह मंगलवार शाम अस्थायी रूप से अनुपलब्ध हो गई थी। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि हमले के तुरंत बाद वेबसाइट को बहाल कर दिया गया था।
तो इस तरह ड्रैगन बौखलाया हुआ है। विस्तारवादी देश चीन इस समय ताइवान को डराने धमकाने में लगा हुआ है। नैंसी पेलोसी तो अपनी यात्रा कर चली गयी हैं लेकिन ताइवान पर अब चीनी दबाव बढ़ने का अंदेशा है। देखना होगा कि अमेरिका और अन्य देश ताइवान का कितना साथ देते हैं क्योंकि इसी साल यूक्रेन का उदाहरण भी सामने है जिसने अमेरिका और नाटो देशों के बल पर रूस से पंगा ले लिया और युद्ध अब तक समाप्त नहीं हुआ है।
- नीरज कुमार दुबे