यदि आप आंध्र प्रदेश की सैर पर आए हैं और आधुनिक निर्माण की कला का दर्शन करना चाहते हैं तो आपको नागार्जुन सागर बांध को अवश्य देखना चाहिए।
यह बांध विश्व का सबसे लंबा बांध है। यह हैदराबाद से 150 किलोमीटर दूर स्थित है। आज जहां बांध है, प्राचीनकाल में यही विजयपुरी हुआ करती थी जो उस काल में मुख्य बौद्ध स्थल था।
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आंध्र प्रदेश के विख्यात बौद्ध संत आचार्य नागार्जुन के नाम पर ही इस 380 वर्ग किलोमीटर में पसरे जलकुंड का नाम नागार्जुन सागर बांध रखा गया है। कृष्णा नदी पर निर्मित यह बांध अपनी भव्यता और विशालता के द्वारा इंसान की मेहनत, लगन और जीवंतता की कहानी कहता है।
आंध्र प्रदेश टूरिज्म कंडक्टिड टूर की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। हैदराबाद आदि स्थानों से भी पर्यटक इस कंडक्टेड टूर का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा मोटरबोट सेवा की भी सुविधा यहां उपलब्ध है। इसका किराया भी ज्यादा नहीं है। बच्चों के लिए तो यह खासकर रोमांचक यात्रा रहती है। यहां ठहरने और खाने−पीने की अच्छी सुविधा है। छोटे−बड़े दोनों दर्जे के होटल यहां उपलब्ध हैं। आप अपनी जरूरतों के हिसाब से इनका चयन कर सकते हैं।
आप नागार्जुन कोंडा टापू भी देखने जा सकते हैं। प्रकृति की अद्भुत छटा बिखेरता नागार्जुन कोंडा एक टापू सदृश्य स्थल है इस टापू का निर्माण नागार्जुन सागर में किया गया है। इसका नाम भी तीसरी शताब्दी में बौद्धों के महायान संप्रदाय की स्थापना करने वाले महान बौद्ध दार्शिनक नागार्जुन के नाम पर ही रखा गया है।
नागार्जुन सागर बांध निर्माण के समय प्राचीन बौद्ध स्मृतियों को, जो खुदाई से मिले थे, को नागार्जुन कोंडा में संरक्षित किया गया है। इसलिए नागार्जुन कोंडा इतिहासवेत्ताओं के लिए भी खास महत्व रखता है।
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यहां के दर्शनीय स्थलों में इथिपोथाला जलप्रपात का नाम भी लिया जा सकता है जोकि नागार्जुन बांध से 11 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां नदी का पानी 70 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरता है जिस समय झरने का पानी संगमरमर पर फिसलता है उस समय उसकी झिलमिलाहट की मनोहारी छटा देखते ही बनती है। यह प्रपात बहुत ही सुंदर घाटियों में से होकर गुजरता है।
च्रंद्रवनका नदी की धारा यहां पर ऊंचाई से एक छिछली झील में गिरती है और फिर हरी−भरी घाटियों से बहती हुई पर्यटकों को आनंदित करती है। इथिपोथाला जलप्रपात पर क्रोकोडायल सेंचुरी भी मनोहारी पर्यटन स्थल है।
- प्रीटी