By एकता | Sep 01, 2024
17वीं सदी के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राज्य के मुख्य एकनाथ शिंदे इस घटना को लेकर महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांग चुके हैं। बावजूद इसके विपक्ष के विरोध-प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रविवार को महाविकास आघाडी गठबंधन के नेताओं ने इस घटना के विरोध में मार्च निकाला। ये मार्च दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक से ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ तक निकाला गया, जिसमें शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे, पार्टी नेता आदित्य ठाकरे और संजय राउत और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले भी विरोध मार्च में शामिल हुए।
हुतात्मा चौक पर शिवाजी की एक आवक्ष प्रतिमा स्थापित की गई। विरोध मार्च में शामिल लोगों ने मूर्ति ढहने की घटना की निंदा करने वाली तख्तियां लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार के खिलाफ नारे लगाए। शरद पवार ने विरोध मार्च के तहत कुछ दूरी तक पैदल यात्रा की।
महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ विरोध मार्च में शामिल हुए एनसीपी-एससीपी नेता राजेश टोपे ने कहा, 'छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र का गौरव और आत्मा हैं। मुझे लगता है कि इस घटना ने इन दोनों को आहत किया है। हमारा विरोध मार्च लोकतंत्र का हिस्सा है। अनुमति न देना लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए, उन्हें अनुमति देनी चाहिए।'
कांग्रेस नेता भाई जगताप ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को लेकर कहा, 'यह भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि के रूप में जानी जाती है, उनकी प्रतिमा गिर गई और उन्हें इस पर कोई शर्म नहीं है। वे कह रहे हैं कि इसका राजनीतिकरण न करें लेकिन अगर भाजपा समर्थन में विरोध कर रही है, तो उन्हें शर्म आनी चाहिए। महाराष्ट्र के लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे। वे चाहते हैं कि पीएम मोदी माफी मांगे। आप हजारों लोगों के सामने मुट्ठी बांधकर माफ़ी नहीं मांगते। महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है, वे हेलिकॉप्टर से मालवण क्यों नहीं गए और उस जगह का दौरा क्यों नहीं किया जहां राज्य का पतन हुआ था?'