By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 17, 2022
महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों ने शक्ति प्रदर्शन के तहत राज्य में एकनाथ शिंदे-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के खिलाफ शनिवार को यहां हल्ला बोल विरोध मार्च निकाला और छत्रपति शिवाजी महाराज समेत प्रतिष्ठित हस्तियों के खिलाफ ‘‘अपमानजनक’’ टिप्पणी करने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को हटाने की मांग की। एमवीए के घटक दलों शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस ने राज्यपाल की टिप्पणी तथा अन्य मुद्दों को लेकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ अपने ‘हल्ला बोल’ प्रदर्शन के खत्म होने पर आयोजित रैली में यह मांग की।
राकांपा प्रमुख शरद पवार, पार्टी नेता अजित पवार, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) में आयोजित रैली को संबोधित किया। रैली का समापन सीएसएमटी में हुआ। पैदल मार्च दोपहर के करीब भायखला में जे जे अस्पताल के पास एक कंपनी से शुरू हुआ था। इस अवसर पर अजित पवार ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र को बचाने के लिए राज्यपाल को हटाना चाहिए।’’ शरद पवार ने कहा कि राज्य की राष्ट्रीय हस्तियों का अपमान करने के लिए केंद्र को राज्यपाल कोश्यारी को हटाना चाहिए।
पिछले महीने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने शिवाजी महाराज को ‘‘पुराने जमाने के प्रतीक’’ के रूप में बताया था। उन्होंने इस साल की शुरुआत में समाज सुधारक महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी भी की थी। हल्ला बोल विरोध रैली को संबोधित करते हुए, शरद पवार ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज और महात्मा फुले का अपमानित करने के लिए राज्यपाल को तुरंत हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एमवीए में शामिल तीनों दलों की विचारधारा अलग हो सकती है लेकिन महाराष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए उन्हें एक साथ रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, अगर राज्यपाल को नहीं हटाया गया तो हमें उन्हें सबक सिखाने के लिए कदम उठाने होंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य की प्रगति और विकास के लिए नहीं बल्कि इसे बदनाम करने की होड़ मची हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि बी आर आंबेडकर, महात्मा फुले ने स्कूल शुरू करने के लिए भीख मांगी थी ... इस तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। राज्य की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए हमें अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के बावजूद एकजुट होना होगा। यदि राज्यपाल को नहीं हटाया जाता है तो हमें अपने भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए कदम उठाने होंगे।’’
ठाकरे ने आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार वैचारिक रूप से दिवालिया हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कोश्यारी को राज्यपाल नहीं मानता। राज्यपाल का पद सम्मानित होता है। मैं अपनी मांग दोहराता हूं कि राज्यपाल के चयन के लिए एक मानदंड तय किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य के स्वाभिमान और गौरव से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर, उन्होंने कहा कि बेलगावी, कारवार, निपानी और अन्य गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने संबंधी संयुक्त महाराष्ट्र के अधूरे सपने को हासिल करना है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र को बचाने के लिए राज्यपाल को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि राष्ट्रीय प्रतीकों की गरिमा की रक्षा के लिए एक सख्त कानून बनाया जाए। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने एकजुट रहने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह विरोध मार्च उस दिशा में पहला कदम है क्योंकि एमवीए का उद्देश्य राज्य की अखंडता की रक्षा करना है। उन्होंने आरोप लगाया, महंगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है और सरकार इन समस्याओं को लेकर आंख मूंद रही है। पटोले ने कहा कि यह ‘हल्ला बोल’ मार्च एक संकेत है कि राज्य एकजुट है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि राज्यपाल को एक मिनट के लिए भी पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘शिंदे सरकार फरवरी 2023 तक नहीं चलेगी। शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए मोर्चा पहला कदम है।’’ पदयात्रा में उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे और छोटे बेटे तेजस भी शामिल हुए। समाजवादी पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) और अन्य दलों ने भी मार्च में भाग लिया।