मुस्लिम-दलित बाहुल्य सीटें बिगाड़ेंगी उत्तर प्रदेश में भाजपा का गणित

By अजय कुमार | Apr 03, 2019

पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए ‘सोने का अंडा’ देने वाली मुर्गी साबित हुआ था। 80 में से 73 सीटें भाजपा गठबंधन के खाते में गई थीं समाजवादी पार्टी को पांच और कांग्रेस को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था तो बसपा का खाता ही नहीं खुल पाया था। यूपी के बल पर बीजेपी ने केन्द्र में सरकार बनाई थी। इस बार भी भाजपा यूपी को लेकर काफी उत्साहित है। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह अबकी बार यूपी के लिए 74 पार का नारा दे रहे है, लेकिन लगता नहीं है कि भाजपा 2014 का इतिहास दोहरा पाएगी। इस बार हालात काफी बदले हुए हैं। एक बार को यह मान भी लिया जाए कि मोदी सरकार को लेकर जनता में कोई खास नाराजगी नहीं है, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन भाजपा के लिए दलित-मुस्लिम और यादव बाहुल्य सीटों पर परेशानी का सबब बनती दिख रही हैं। इस हिसाब से प्रदेश में लोकसभा की 20 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन का गणित भाजपा पर भारी पड़ता दिख रहा है। भाजपा गठबंधन ने 2014 लोकसभा चुनाव में 80 सीटों में से जिन भाजपा 73 सीटों पर फतह हासिल की थीं उनमें 20 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों की जीत का अंतर अधिकतम लाख-सवा लाख वोटों का था। इनमें भी भाजपा के करीब डेढ़ दर्जन उम्मीदवार एक लाख से कम मतों के अतंर से जीते थे।

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उक्त सीटों पर 2014 में सपा-बसपा को मिले कुल वोट का हिसाब लगाया जाए तो भाजपा इस हिसाब में पिछड़ती नजर आती है। गोरखपुर, फूलपुर और कैराना संसदीय सीटों के उप-चुनाव में भी सपा व बसपा अपने-अपने वोट एक-दूसरे को दिला ले गई तो इन 20 सीटों पर भाजपा की जीत की राह कठिन होती दिखाई देती है। भाजपा के रणनीतिकार भी इस बात को समझ रहे है। इसीलिए इन सीटों के चुनावी समीकरण दुरूस्त करने की कोशिश शुरू हो गई है। उधर, बसपा प्रमुख मायावती भी इस प्रयास में जुटी हैं कि मुस्लिम और दलित वोट बैंक उनके पाले से न खिसके। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मुस्लिमों समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह(सपा) ही भाजपा से टक्कर लेने की स्थिति में है। उत्तर प्रदेश में लगातार दौरे कर रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इसी कवायद में हैं कि कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक रहे मुस्लिमों और दलितों में पुरानी पैठ बनाई जाए।

 

बसपा सुप्रीमों दलित-मुस्लिम वोटरों को लुभाने में लगी हैं तो उन्हें भीम आर्मी से खतरा भी नजर आ रहा है। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की 38 सीटों में से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 12 पर मैदान में उतरेंगी। इस इलाके में मुस्लिम और दलित खासतौर पर जाटव वोट जीत के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। बहनजी को फिक्र सता रही है कि भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की वजह से अगर दलित वोट में सेंध लगी तो मुस्लिम भी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। इसी के मद्देनजर मायवती, न केवल कांग्रेस से दूरी बनाए रख रही है, बल्कि कॉडर को सपा से मिलजुल कर प्रचार करने का फरमान दिया गया है, ताकि दलित-यादव गठजोड़ का मुस्लिमों पर संदेश जाए कि यह दोनों भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस की अपेक्षा बेहतर और मजबूत विकल्प हैं।

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वैसे 2014 के लोकसभा चुनाव ने यह भी दिखा दिया है कि राजनीति में हमेशा दो और दो चार नही होता। वोटों का गणित कई मानकों पर तैयार होता है। मुस्लिम मतदाताओं का रूख हमेशा से ही भाजपा को हारने वाले उम्मीदवार को वोट देने का रहा है, उसे देखते हुए इन सीटों का गणित फिलहाल भाजपा की जीत राह मुश्किल बनाता दिख रहा है।

 

उधर, गठबंधन का गणित बिगाड़ने के लिए भाजपा भी कम पैतरेबाजी नहीं कर रही है। केन्द्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार अपनी-अपनी योजनाओं के लाभार्थियों को अपने वोटों में बदलने पर काम कर रहे हैं। पार्टी की तरफ से अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बात उन सीटें की कि जाए जो भाजपा के लिए हैं खतरे की घंटी साबित हो सकती है। उसमें सहारनपुर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, खीरी,कौशांबी आदि सीटें शामिल हैं। 

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2014 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम-दलित बाहुल्य 20 सीटों का आकलनः-

 

1. सहारनपुर

जीत का अंतर- 65090   

भाजपा- राधव लखनपाल- 427999

कांग्रेस- इमरान मसूद- 407909

बसपा- जगदीश राणा- 235033

सपा- शहजाद मसूद- 52765

 

2. नगीना

जीत का अंतर- 92390

भाजपा- यशवंत सिंह- 367825

सपा- यशवीर सिंह- 275435

बसपा- गिरीश चंद्र- 245685

 

3. मुरादाबाद

जीत का अंतर- 87504

भाजपा- कुंवर सर्वेश कुमार- 485224

सपा- डॉ. एसटी हसन- 397720

बसपा- हाजी मोहम्मद याकूब- 160945

 

4. रामपुर

जीत का अंतर- 23435

भाजपा- नैपाल सिंह- 358626

सपा- नासिर अहमद खान- 335181

बसपा- अकबर हुसैन- 81006

 

5. संभल

जीत का अंतर- 5174

भाजपा- सत्यपाल सिंह- 360242

सपा- शफीकुर्रहमान- 355068

बसपा- अकीलुर्रहमान- 252640

 

6. खीरी

जीत का अंतर- 110274

भाजपा- अजय मिश्र उर्फ टेनी- 398578

बसपा- अरविंद गिरि- 288304

सपा- रवि प्रकाश वर्मा- 160112

 

7. कौशांबी

जीत का अंतर- 42847

भाजपा- विनोद सोनकर- 331593

सपा- शैलेंद्र कुमार- 288746

बसपा- सुरेश पासी- 201196

 

8. संत कबीर नगर

जीत का अंतर- 97978

भाजपा- शरद त्रिपाठी- 348892

बसपा- भीष्म शंकर- 250914

सपा- भालचंद्र यादव- 97978

 

9. सीतापुर

जीत का अंतर- 51027

भाजपा- राजेश वर्मा- 417546

बसपा- कैसर जहां- 366519

सपा- भरत त्रिपाठी- 156170

 

10. मिश्रिख

जीत का अंतर- 87363

भाजपा- अंजू बाला- 412575

बसपा- अशोक कुमार रावत- 325212

सपा- जय प्रकाश--194759

 

11. कैसरगंज

जीत का अंतर- 78218

भाजपा- बृजभूषण शरण सिंह- 381500

सपा- विनोद पंडित- 303282

बसपा- कृष्ण कुमार ओझा- 146726

 

12. गाजीपुर

जीत का अंतर--32452

भाजपा- मनोज सिन्हा--306929

सपा- शिवकन्या कुशवाहा--274477

बसपा- कैलाश नाथ--241645

 

13. कुशीनगर

जीत का अंतर- 85540

भाजपा- राजेश पांडेय- 370051

कांग्रेस- आरपीएन सिंह- 284511

बसपा- संगम मिश्रा- 132881

सपा- राधेश्याम सिंह-111256

 

14. श्रावस्ती

जीत का अंतर- 85913

भाजपा- दद्दन मिश्रा- 345964

सपा- अतीक अहमद- 260061

बसपा- लालजी वर्मा- 194890

 

15. लालगंज

जीत का अंतर- 63086

भाजपा- नीलम सोनकर- 324016

सपा- बेपई सरोज- 260930

बसपा- डॉ. बलिराम- 233971

 

16. बस्ती

जीत का अंतर--33562

भाजपा- हरीश द्विवेदी--357680

सपा- बृजकिशोर सिंह--324118

बसपा- राम प्रसाद चैधरी--283747

 

17. हरदोई

जीत का अंतर--81343

भाजपा-अंशुल वर्मा--360501

बसपा-शिव प्रसाद वर्मा--279158

सपा-ऊषा वर्मा--276543

 

18. डुमरियागंज

जीत का अंतर-103588

भाजपा- जगदंबिका पाल- 298845

बसपा- मोहम्मद मुकीम- 195257

सपा- माता प्रसाद पांडेय--174778

 

19. बांदा

जीत का अंतर--115788

भाजपा-भैरों प्रसाद मिश्रा--342066

बसपा-आरके सिंह पटेल--226278

सपा-बाल कुमार पटेल--189730

 

20. बहराइच

जीत का अंतर- 95645

भाजपा-सावित्री बाई फुले- 432392

सपा-शब्बीर अहमद- 336747

बसपा-विजय कुमार- 96904

 

- अजय कुमार

 

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