मुंबई के मुजरिम को जेल, आतंकियों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन के पीछे क्या है पाकिस्तान का खेल?

By अभिनय आकाश | Jan 09, 2021

मसूद अजहर के खिलाफ वारंट जारी, अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद सलाखों के पीछे और अब मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जकीर उर रहमान लखवी की बारी। आतंक की पनहगाह पाकिस्तान इन दिनों अपने कुख्यात सरगनाओं के खिलाफ धड़ाधड़ एक्शन लेता नजर आ रहा है। आतंक के खिलाफ एक-एक कर इमरान सरकार की सक्रियता कई तरह की शंकाओं को बल दे रही है। आखिर इतना दिखावा क्यों कर रहा है पाकिस्तान? आतंकियों के खिलाफ एक्शन या फिर एफएटीएफ के लिए चल रहा है अलग ही प्लान। 

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अपने आप को हमने बचाना है, एक बंदा है जो हमेशा वहां पर है, जहां आपको मूवमेंट नजर आती है बंदा कोई छत पर चल रहा है। आ जा रहा है फायर ठोको, उसे पता लगे यहां क्या हो रहा है। ये इंटरनेशनल आतंकी जकीर उर रहमान लखवी के शब्द हैं। वो मुंबई पर हमला करने वाले आतंकियों को बता रहा था कि मुंबई में कैसे हमला करना है। पकड़े जाने पर क्या कहना है और कैसे आतंक का खेल खेलना है। 26/11 हमले के इसी मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयेबा के कमांडर जकीर उर रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक अदालत ने सजा सुनाई है। 

पाकिस्तान के हुक्मरानों का प्यारा और 26/11 का हत्यारा, आतंक का आका और 26/11 का मुंबई आतंकी हमले का सरगना जकीर उर रहमान लखवी को पाकिस्तान की अपराध विरोध कोर्ट ने तीन अलग-अलग मामलों में पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। ये तीनों सजाएं एक साथ चलेंगी। यानी लखवी पांच साल ही जेल में रहेगा। पाकिस्तान के अपराध विरोधक विभाग ने लखवी को गिरफ्तार किया था। हालांकि पाकिस्तान का ये कदम दिखावा ज्यादा लगता है क्योंकि अगले महीने एफएटीएफ की मीटिंग होने वाली है। पाकिस्तान लंबे वक्त से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। माना जा रहा है कि लखवी की कार्यवाई इसी दवाब के चलते और एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए की गई है। 

लखवी को किस बात की सजा हुई

पंजाब के आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) ने अतंकियों को धन मुहैया कराने के मामले में लखवी को गिरफ्तार किया है। लखवी पर दवाखाना चलाने के लिए जुटाए पैसे का उपयोग आतंकवाद के फलने फूलने मे किया। जिसके बाद लाहौर की आतंकवाद निरोधक अदालत में लखवी के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। अदालत ने लखवी को तीन अलग-अलग मामलों में पांच साल की सजा सुनाई और साथ ही तीन लाख का जुर्माना भी लगाया। 

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पहले भी हुई थी सजा फिर छोड़ा

पाकिस्तान के पेशावर में हुए आतंकी हमले के दो दिन भी नहीं बीते थे कि 2015 में पाकिस्तान की कोर्ट ने सबूतों के आभाव में लखवी को पांच लाख के मुचलके पर जमानत दे दिया था। 

डेढ़ लाख खर्च की मंजूरी

आतंकवादियों की लिस्ट में नाम आने के बाद लखवी की संपत्ति और बैंक खाते सीज कर दिए गए थे। पाकिस्तान की सरकार ने उसके खाते से मासिक भुगतान किए जाने का विचार करने का अनुरोध यूएनएससी से किया था। जिसपर सूएनएससी ने लखवी को हर महीने खर्च के लिए डेढ़ लाख रुपए देने पर अपनी सहमति दे दी थी। इसमें खाने के 50 हजार, दवाइयों के 45 हजार, वकील की फीस 20 हजार, सार्वजनिक उपयोगिता शुल्क के लिए 20 हजार और आने-जाने के लिए 15 हजार रुपये शामिल थे। 

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जेल में रहते हुए बना एक बच्चे का पिता

पाकिस्तान के लखवी पर कार्रवाई  दिखावा इसलिए लगती है कि इससे पहले भी जेल में रहते हुए हर सुविधाओं का इस्तेमाल करता रहा है। बैठकें करता रहा है और भारत विरोधी गतिविधियों को बी अंजाम देता रहा है। सबसे चौंकाने वाला मामला तो तब सामने आया जब वह रावलपिंडी की जेल में रहते हुए एक बच्चे का पिता भी बन गया। 

आतंकियों के खिलाफ एक्शन का खेल क्यों?

पाकिस्तान फरवरी में होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक में ग्रे लिस्ट से बाहर आना चाह रहा है। इसलिए आकंत के खिलाफ एक्शन लेने का दिखावा इमरान सरकार की ओर से किया जा रहा है। लखवी से पहले पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद, जैश प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डाॅन दाऊद इब्राहिम पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी।

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FATF क्या है?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ। यह विभिन्न देशों की एक अन्तरसरकारी संस्था है जो काले धन को वैध बनाने (मनी लांड्रिंग) को रोकने से सम्बन्धित नीतियां बनाने के लिए 1989 में हुई थी। साल 2001 में इसका कार्यक्षेत्र विस्तारित करते हुए आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरुद्ध नीतियां बनाने को भी सम्मलित किया गया। एफएटीएफ में 39 सदस्य हैं और इसमें 37 देश और दो रीजनल ऑर्गेनाइजेशन हैं। भारत भी इसका सदस्य है। 

FATF का क्या काम है?

एफएटीएफ कई देशों पर मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रख उसे लिए नियम बनाता है। आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये अन्य कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है। जब भी कोई देश आतंकी संगठनों को पनाह देकर या आतंकी गलिविधियों को बढ़ावा देते हुए आर्थिक मजबूत करता है तो इसे टेरर फंडिंग कहते हैं। 

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ग्रे और ब्लैक लिस्ट

एफएटीएफ ग्रे और ब्लैक लिस्ट जारी करता है। ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है जो मनी लाॅन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामलों की तरफ बढ़ रहा हो। इस लिस्ट में नाम करके एक तरह से इन देशों को चेतावनी दी जाती है कि वो समय रहते अपनी स्थिति को काबू कर लें। वहीं किसी भी देश का एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि उस देश को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी। 

विदेश मंत्रालय का बयान

भारत ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एवं लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में पाकिस्तानी अदालत द्वारा कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों से पहले ‘आडंबर करना’ पाकिस्तान के लिए आम बात हो गई है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि ये कदम साफ दिखाते हैं कि इनका मकसद फरवरी 2021 में एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) की पूर्ण बैठक और एपीजेजी (एशिया प्रशांत संयुक्त समूह) की बैठक से पहले अनुपालन की भावना को दर्शाना है।

बहरहाल, आतंक के आकाओं पर पाकिस्तान की कार्यवाई महज दिखावा मात्र है। पाकिस्तानी कोर्ट के सजा देने या गिरफ्तारी वारंट जारी करने का असर इन आतंकियों पर कितना पड़ने वाला है, ये तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन पाकिस्तान के पुराने रवैये को देखकर तो इतना साफ ही है कि जल्द ही नजरबंदी वाले नाटक का खेल खत्म हो जाएगा और इनकी संपत्ति भी लौटा दी जाएगी। - अभिनय आकाश

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