By अनन्या मिश्रा | Jan 18, 2024
आज ही के दिन यानी की 18 जनवरी को विश्वप्रसिद्ध लेखक और कवि रुडयार्ड किपलिंग का निधन हुआ था। अगर 19वीं-20वीं सदी में यदि फेमस लेखक रूडयार्ड किपलिंग न होते, तो 'द जंगल बुक' किताब न होती और न ही बच्चों का प्यारा 'मोगली'। आपको बता दें कि किपलिंग अपनी बाल कहानियों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर रूडयार्ड किपलिंग के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...
जन्म
मुंबई में 30 दिसंबर को किपलिंग का जन्म हुआ था। लेकिन उनका अधिकांश बचपन दुखों से भरा रहा। बता दें कि किपलिंग के पेरेंट्स उन्हें महज 6 साल की उम्र में इंग्लैंड ले गए। जहां पर किपलिंग को 5 सालों के लिए एक फॉस्टर होम में छोड़ दिया। इस बात की जिक्र किपलिंग ने अपनी बुक 'बा-बा, ब्लैक शीप' में किया था। यहां से वह वेस्टवर्ड, नॉर्त डेवोन में युनाइटेड सर्विसेज कॉलेज गए। किपलिंग की बुक के मुताबिक यह एक सस्ता और घटिया बोर्डिंग स्कूल था। जहां पर छोटी सी गलती के लिए बच्चों को बुरी तरह से पीटा जाता था। जिसका किपलिंग पर बहुत गहरा असर पड़ा था।
करियर
आपको बता दें कि साल 1882 में जब किपलिंग भारत वापस लौटे, तो उन्होंने बतौर पत्रकार 7 साल काम किया। वहीं उनके पेरेंट्स एंग्लों इंडियन समाज से ताल्लुक रखते थे। जिसका रुडयार्ड को पूरा लाभ मिला। इसी दौरान साल 1894 में 'द जंगल बुक' उनकी एक कालजयी रचना साबित हुई। इसमें बुक से बच्चों को फेवरेट कैरेक्ट मोगली मिला। जिस पर न जाने कितने कार्यक्रम, टीवी शो, एनिमेशन और कार्टून बनें।
'द जंगल बुक'
रुडयार्ड किपलिंग द्वारा 'द जंगल बुक' में रचे गए किरदारों, बल्लू, शेर खान और मोगली ने दशकों तक बच्चों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। बताया जाता है कि जंगल में जानवरों के बीच पलने वाला मोगली का कैरेक्टर रुडयार्ड के बचपन के बोर्डिंग स्कूल की बुरी यादों से प्रभावित था। इसके अलावा भी रुडयार्ड ने कई किताबें लिखीं। साल 1907 में रुडयार्ड किपलिंग को साहित्य में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मौत
वहीं आखिरी समय में अल्सर हो जाने के कारण 18 जनवरी 1936 को रुडयार्ड किपलिंग का लंदन में निधन हो गया।