By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 27, 2021
अहमदाबाद। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय के पिछले सप्ताह के उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी जिसमें धर्म परिवर्तन के खिलाफ विवादास्पद कानून की कुछ धाराओं, जिनमें मूल प्रवाधान भी शामिल हैं पर रोक लगाई गई है। गुजरात उच्च न्यायालय ने अन्य धाराओं समेत धारा 5 के उपयोग पर रोक लगा दी थी, जो मुख्य रूप से शादी के माध्यम से धर्मांतरण से संबंधित हैं। वहीं, राज्य की भाजपा सरकार के अनुसार, यही धारा पूरे अधिनियम का मूल है और इस पर रोक से पूरा कानून प्रभावित होता है।
पटेल ने यहां संवाददाताओं से कहा, गुजरात सरकार अपनी आय, जीवन शैली और धर्म के बारे में झूठ बोलकर लड़कियों को फंसाने की कोशिश करने वाले असामाजिक तत्वों से बेटियों को बचाने के लिए इस कानून को लायी जोकि लव जिहाद विरोधी कानून के रूप में लोकप्रिय है। लड़कियों को शादी के बाद पता चलता है कि पुरुष दूसरे धर्म का है और कुछ नहीं कमाता। उन्होंने कहा, चूंकि कुछ लोगों ने नए कानून के प्रावधानों को चुनौती दी है, उच्च न्यायालय ने हाल ही में कानून पर रोक लगा दी है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों और हमारे महाधिवक्ता से परामर्श करने के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस रोक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य के धर्मांतरण विरोधी नए कानून की अंतरधार्मिक विवाह संबंधी कुछ धाराओं के क्रियान्वयन पर 19 अगस्त को रोक लगा दी थी।
विवाह के माध्यम से जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के लिए दंडित करने वाले गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 को राज्य सरकार ने 15 जून को अधिसूचित किया गया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात शाखा ने पिछले महीने दाखिल एक याचिका में कहा था कि कानून की कुछ संशोधित धाराएं असंवैधानिक हैं। अदालत ने आगे की सुनवाई लंबित रहने तक धारा तीन, चार, चार ए से लेकर धारा चार सी, पांच, छह एवं छह ए को लागू करने पर रोक लगा दी थी।