By रेनू तिवारी | Feb 28, 2022
1975 में जब भारत में आपातकाल लागू हुआ था उसके बाद इंदिरा गांधी का विरोध पूरे देश में हो रहा था। आपातकाल में जिस तरह का वातावरण था उसे लेकर इंदिरा गांधी को लोग फिर से प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते थे। इंदिरा गांधी के विरोध के बाद जब जनता पार्टी को लोगों का समर्थन मिला और इस दौरान राजनीति के नये भविष्य के रूप में कई सितारे उभरे जिसमें से एक थे मोरारजी देसाई। मोरारजी देसाई लंबे समय से कांग्रेस के विरोधी थे। जनता पार्टी को बनाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मोरारजी रणछोड़जी देसाई भारत की राजनीति में एक बहुत बड़ा नाम है। उन्होंने 1977 और 1979 के बीच भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में जनता पार्टी द्वारा गठित सरकार का नेतृत्व किया। मोरारजी देसाई उस समय के इकलौते ऐसे नेता थे जो कई मंचों से प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर चुके थे और वह कभी इस पर बोलने से बचते भी नहीं थे।
मोरारजी देसाई कौन थे
मोरारजी देसाई एक स्वाधीनता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1977 और 1979 के बीच भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में जनता पार्टी द्वारा गठित सरकार का नेतृत्व किया। राजनीति में अपने लंबे कॅरियर के दौरान, उन्होंने सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया जैसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और भारत के दूसरे उप प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद प्रधानंमत्री पद पर किसे काबिज किया जाए। इस पर चर्चा तेज हो गए थी लेकिन फिर मोरारजी देसाई पर आकर चर्चा समाप्त हुई और उन्हें मजबूत दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था।
कांग्रेस की नीतियों का खुलकर किया था विरोध
मोरारजी देसाई 1969 तक इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 1969 के विभाजन के दौरान उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस (ओ) में शामिल हो गए। 1977 में विवादास्पद आपातकाल हटाए जाने के बाद, विपक्ष के राजनीतिक दलों ने जनता पार्टी की छत्रछाया में कांग्रेस के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी और 1977 का चुनाव जीता। देसाई प्रधान मंत्री चुने गए, और भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधान मंत्री बने।
भारत के चीन और पाकिस्तान से संबंध मजबूत देसाई ने उठाए थे ये कदम
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर मोरारजी देसाई ने अपनी शांति सक्रियता के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की और दो प्रतिद्वंद्वी दक्षिण एशियाई राज्यों, पाकिस्तान और भारत के बीच शांति शुरू करने के प्रयास किए। 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद, देसाई ने चीन और पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बहाल करने में मदद की, और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध जैसे सशस्त्र संघर्ष से बचने की कसम खाई। उन्हें 19 मई 1990 को पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया।
मोरारजी देसाई एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 81 वर्ष की उम्र में इस पद की गरिमा बढ़ाई थी। बाद में वे सभी राजनीतिक पदों से सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन 1980 में जनता पार्टी के लिए प्रचार करना जारी रखा। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1995 में 99 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
- रेनू तिवारी