रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि भारतीय बैंकों की फंसी हुई आस्तियों में 2019 तक बढ़ोतरी होगी और सार्वजनिक बैंकों के लिए ऋण देने के मामले में यह उनकी मुख्य कमजोरी होगी। इसके साथ ही मूडीज ने कहा है कि सार्वजनिक बैंकों को अगले दो साल में 95000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने एक रपट में कहा है कि सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) की बाह्य पूंजी जुटाने की क्षमता सीमित है इसलिए उनके पूंजी आधार को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से इक्विटी डाला जाना ही व्यावहारिक स्रोत रहता है।
मूडीज से जुड़ी भारतीय रेटिंग कंपनी इ्रका का कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए आस्ति गुणवत्ता परिदृश्य कमजोर रहेगा। इसका कहना है कि बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 2017-18 के आखिर तक बढ़कर 8.2-8.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएंगी जो कि मार्च 2017 के आखिर में 7.65 लाख करोड़ रुपये थीं। मूडीज का कहना है, 'हमारा अनुमान है कि मूडीज जिन सरकारी बैंकों का विश्लेषण करती है उनमें 11 पीएसबी को 70000-95000 करोड़ रुपये की बाह्य शेयर पूंजी की जरूरत होगी।'