24 दिनों के सत्र में 24 बिल
संसद के 18 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान सरकार लोकसभा में चर्चा एवं पारित करने के लिये दो दर्जन नये विधेयक पेश करेगी। इसमें वन संरक्षण संशोधन विधेयक, ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक, परिवार अदालत संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने संबंधी विधेयक शामिल हैं।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक बुलेटिन के अनुसार, सत्र के दौरान सरकार 24 नये विधेयकों के अलावा चार ऐसे विधेयक भी पेश करेगी जिस पर संसद की स्थायी समितियों ने विचार किया है। इसमें बताया गया है कि सत्र के दौरान भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 फिर से पेश किया जायेगा। पहले, इस विधेयक को एक अप्रैल 2022 को पेश किया गया था।
सत्र के दौरान माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण संशोधन विधेयक, सहकारी समिति संशोधन विधेयक, नेशनल डेंटल कमीशन विधेयक, भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक 2022 पेश किया जायेगा। इस सत्र के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2022 भी पेश किया जायेगा जिसके माध्यम से राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है।
संसद में पेश होने वाले 10 बिल पर एक नजर
भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022: इसमें अंटार्कटिका में भारत की अनुसंधान गतिविधियों तथा पर्यावरण संरक्षण के लिये विनियमन ढांचा प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।
बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021: महिलाओं की विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रयास करता है। इस बिल को 21 दिसंबर, 2021 को शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी को भेज दिया गया। टीएमसी की सुष्मिता देव और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी समेत कई सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई थी।
डीएनए टेक्नोलॉजी विनियमन विधेयक, 2019: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन द्वारा 8 जुलाई, 2019 को लोकसभा में डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019 पेश किया गया था। इस विधेयक का एकमात्र उद्देश्य लोगों की पहचान करने के लिए डीएनए की जानकारी के उपयोग को विनियमित करना है।
समुद्री डकैती रोधी विधेयक, 2019: 9 दिसंबर, 2019 को पेश किया गया। विदेश मामलों की स्थायी समिति द्वारा इसकी रिपोर्ट 11 फरवरी, 2021 को लोकसभा में पेश की गई।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019: 11 दिसंबर, 2019 को पेश किया गया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर स्थायी समिति की इसकी रिपोर्ट 29 जनवरी, 2021 को प्रस्तुत की गई थी।
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक, 2021: 17 दिसंबर, 2021 को पेश किया गया। शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवाओं और खेल पर स्थायी समिति की इसकी रिपोर्ट 23 मार्च, 2022 को पेश की गई।
वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021: 17 दिसंबर, 2021 को पेश किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर स्थायी समिति द्वारा इसकी रिपोर्ट 21 अप्रैल, 2022 को लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी गई थी।
कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक, 2022: कॉफी उद्योग का संवर्धन और विकास, कॉफी बोर्ड के आधुनिक प्रचार और विकास के कामकाज को सक्षम बनाना।
उद्यम और सेवा हब का विकास (DESH) विधेयक, 2022: विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम का संशोधन और नियम बनाने के लिए।
बहु राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022: सरकार की भूमिका का युक्तिकरण और बहु-राज्य सहकारी समितियों के कामकाज में सदस्यों की भागीदारी बढ़ाना, ताकि जनता का विश्वास बढ़े और उनके विकास और विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो सके।
बैंकिंग अमेंडमेंट बिल
इस सत्र में सरकार बैंकिंग अमेडमेंट बिल को पारित कराने की तैयारी में है। जिसके जरिये सरकार बैंकिंग कंपनी एक्ट 1970 में बदलाव करेगी। सरकारी बैंकों में सरकार पूरी हिस्सेदारी बेच दे इस तरह का प्रावधान किया जाएगा। अभी इस कानून के तहत 51 प्रतिशत सरकार को अपने पास रखता होता है। ज्ञात हो कि सरकार ने दो सरकारी बैंकों के निजी करण का ऐलान किया था। उन दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि इन दो बैंकों का नाम औपचारिक तौर पर ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन नीति आयोग ने इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रैल बैंक ऑफ इंडिया के नाम की सिफारिश की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करते हुए विनिवेश कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण की घोषणा की थी। दूसरी तरफ ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन ने कहा कि वो बैंकों के निजिकरण का विरोध करेगा। उनका कहना है कि अगर सरकार निजीकरण करती है तो प्रायरिटी सेक्टर को आसानी से लोन नहीं मिलेगा।
इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल
बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 को जुलाई में शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किये जाने की संभावना है। इस विधेयक में अन्य बातों के अलावा ग्राहकों को दूरसंचार सेवाओं प्रदाताओं की तरह विभिन्न बिजली सेवा प्रदाताओं में से चुनने का विकल्प उपलब्ध कराने का प्रावधान है। जिसका मकसद आम लोगों को सुचारू रूप से बिजली पहुंचाना है।
प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक
केंद्र 155 साल पुराने ‘प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण कानून’ के स्थान पर एक सरल संस्करण वाले ऐसे विधेयक को पेश करने की योजना बना रहा है जो विभिन्न मौजूदा कानून के प्रावधानों को अपराध के दायरे से बाहर करता है और डिजिटल मीडिया को भी कानून के दायरे में लाता है। सरकार की सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में ‘प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2022’ पेश करने की योजना है। संसद को भेजे गए सरकारी संवाद में कहा गया है, ‘‘यह विधेयक ‘प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867’ के कानून का गैर अपराधीकरण करके उसे प्रतिस्थापित करता है। यह मौजूदा कानून की प्रक्रियाओं को मध्य/लघु प्रकाशकों के नजरिए से सरल बनाता है और प्रेस की स्वतंत्रता के मूल्यों को बरकरार रखता है।’’ सरकार ने सबसे पहले 2017 में प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक का मसौदा जारी किया था, जिसमें समाचार पत्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने और पीआरबी अधिनियम के तहत दंडात्मक प्रावधानों को समाप्त करने की बात की गई है।