चीन के करीबी मुइज्जू को अब सत्ता संभालने के बाद धीरे धीरे भारत की अहमियत समझ में आने लगी है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। इस यात्रा को रिश्तों में कड़वाहट के बाद द्विपक्षीय संबंधों को फिर से स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मामले से परिचित लोगों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मुइज़ू पिछली बार 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए छह अन्य क्षेत्रीय देशों के नेताओं के साथ नई दिल्ली आए थे। इस बार वो 7-9 अक्टूबर के दौरान द्विपक्षीय यात्रा के लिए भारत में रहने वाले हैं। नाम न बताने की शर्त पर ऊपर बताए गए लोगों ने बताया कि मोदी सहित भारतीय नेतृत्व के साथ उनकी बैठकें 8 अक्टूबर को निर्धारित हैं।
नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज़ू की यह पहली द्विपक्षीय भारत यात्रा होगी, जिसका उद्देश्य ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाना है। मालदीव की भारत पर निर्भरता कम करने के लिए उनकी सरकार के प्रयास और तीन विमानों को संचालित करने के लिए हिंद महासागर द्वीपसमूह में तैनात लगभग 85 भारतीय सैन्यकर्मियों को हटाने की मांग ने द्विपक्षीय संबंधों को नए निम्न स्तर पर पहुंचा दिया। हाल ही में भारत ने मालदीव को आपातकालीन वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए एक वर्ष के लिए 50 मिलियन डॉलर मूल्य के सरकारी ट्रेजरी बिलों का रोलओवर दिया। मालदीव सरकार ने भारत सरकार के रोलओवर के साथ बजटीय समर्थन बढ़ाने के लिए शुक्रिया अदा किया है। मालदीव के विदेश मंत्री मूजा जमीर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की घोषणा 'मालदीव और भारत के बीच दोस्ती के स्थायी बंधन' को दिखाती है।
पिछले दिसंबर में मुइज़ू की सरकार ने भारत के साथ संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के लिए 2019 के समझौते को समाप्त कर दिया। इसके बाद चीन और तुर्की के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए। मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने बीते दिनों स्वीकार किया था कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली सरकार के शुरुआती दिनों में भारत-मालदीव संबंध कठिन दौर से गुजरे, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों ने गलतफहमियां दूर कर ली हैं। जमीर ने श्रीलंका की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की।