By अभिनय आकाश | Jun 27, 2019
दिल्ली में प्रधानमंत्री की ताजपोशी के 100 घंटे के भीतर ही नीतीश कुमार ने जब अपने कैबिनेट का विस्तार किया और आठ जदयू सदस्यों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। उस वक्त बिहार से लेकर दिल्ली दरबार तक यह चर्चा एक बार फिर उठने लगी थी कि जदयू और भाजपा गठबंधन में सब ठीक-ठाक नहीं है। लेकिन कहते हैं कि मुश्किल और परीक्षा की घड़ी में अपनों के साथ की बेहद जरूरत होती है। बिहार में बच्चों की मौत से उजड़ते परिवार और नीतीश कुमार पर उठते सवालों के बीच नरेंद्र मोदी ने खुलकर उनके सपोर्ट में सामने आते हुए न सिर्फ बयान दिया बल्कि जदयू-भाजपा के रिश्तों पर उठते ‘आल इज नॉट गुड’ जैसी खबरों को भी विराम दिया। पीएम मोदी ने राज्यसभा में चमकी बुखार से हो रही मौत पर दुख जताते हुए कहा कि यह हमारी 70 साल की विफलताओं में से एक है। हम इस समस्या का समाधान खोजेंगे। हम सबको इस बीमारी को गंभीरता से लेना होग। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में वह राज्य सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं व हेल्थ मिनिस्टर को भी वहां भेजा है। पोषण, टीकाकरण, आयुष्मान योजना के जरिये पीड़ितों को बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी। गौर हो कि बिहार में एईएस से अब तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में करीब 170 बच्चों की मौत होने की खबर है। चमकी बुखार से सबसे ज्यादा बच्चों की मौत मुजफ्फरपुर में हुई है। जिसके बाद से लगातार नीतीश सरकार को निशाने पर लिया जा रहा था।
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नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के बीच के तालमेल और खटास को लेकर कई खबरें हमेशा सामने आती रहती हैं। साल 2014 का लोकसभा चुनाव दोनों के बीच के राजनीतिक रिश्तों के बनने-बिगड़ने का साक्षी भी रहा है। लेकिन नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की दोस्ती के भी कई किस्से हैं जिसकी ज्यादा चर्चा होती नहीं है। साल था 1995 का जब दो सियासी दिग्गज नेताओं के राजनीति की शुरूआत हुई थी। नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के करीब आ रहे थे। उसी वक्त नीतीश कुमार की समता पार्टी भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बन रही थी। नरेंद्र मोदी उसी साल भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बनकर दिल्ली पहुंचे। साल 1996 में समता पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा हालांकि इसके बाद ही उसका जेडीयू में विलय हो गया। इसके बाद से दोनों पार्टियों को एक-दूसरे की दोस्ती इतनी रास आई की 17 सालों तक साथ रहा। इस दौर में बिहार के विकास को लेकर अपनी पहचान बनाने वाले नीतीश कुमार को 'सुशासन बाबू' कहा जाने लगा था और मोदी का गुजरात मॉडल, विकास का दूसरा नाम बन चुका था।
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