मोदी ने कहा, एससीओ को विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला बनानी चाहिए

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 17, 2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी और यूक्रेन संकट के कारण पैदा हुए व्यवधानों को दूर करने के लिए शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से भरोसेमंद एवं लचीली आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सदस्यों को संपर्क (कनेक्टिविटी) का दायरा बढ़ाने के लिए एक-दूसरे को पूर्ण पारगमन अधिकार देने चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक उज्बेक शहर समरकंद में आठ सदस्यीय समूह के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस साल 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और भारत एससीओ के सदस्य देशों के बीच ‘वृहद सहयोग एवं परस्पर विश्वास’ का समर्थन करता है। शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और समूह के अन्य नेता भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 और यूक्रेन में उपजे हालात के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है, जिससे विश्व के समक्ष ‘अभूतपूर्व’ खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा संकट पैदा हुआ। अफगानिस्तान जैसे अन्य देशों के साथ व्यापार के लिए भारत को ऐसी सुविधा प्रदान करने के प्रति पाकिस्तान की अनिच्छा के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्ण पारगमन अधिकारों पर जोर दिया। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि एससीओ आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी संगठनों की एक एकीकृत सूची बनाने की दिशा में काम करने के लिए सहमत है।

करीब 28 महीने पहले पूर्वी लद्दाख में भारत व चीन के बीच सीमा गतिरोध की शुरुआत होने के बाद से यह पहला मौका है जब मोदी और शी का आमना-सामना हुआ। मोदी ने कहा, ‘‘भारत एससीओ सदस्यों के बीच वृहद सहयोग और परस्पर विश्वास का समर्थन करता है। महामारी और यूक्रेन संकट के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में कई व्यवधान आए जिससे दुनिया को अभूतपूर्व ऊर्जा एवं खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है।’’

देर शाम मीडिया ब्रीफिंग में, क्वात्रा ने कहा कि मोदी ने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर भारत के दृष्टिकोण को साझा किया और एससीओ में मध्य एशियाई देशों की आकांक्षाओं को केंद्र में रखे जाने पर जोर दिया। आर्थिक सहयोग के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब पूरा विश्व महामारी के बाद आर्थिक संकट से उबरने की चुनौतियों का सामना कर रहा है, एससीओ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। एससीओ के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं, और विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या इन देशों में निवास करती है।’’

भारत के विकास का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस साल 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा होगी। चीनी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में भारत को उज्बेकिस्तान से एससीओ की अध्यक्षता संभालने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘‘हम, अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर भारत की अध्यक्षता के दौरान उसका समर्थन करेंगे।’’ विश्व भर में खाद्य असुरक्षा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समस्या का एक संभावित समाधान मोटे अनाज (मिलेट) की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना है।

उन्होंने कहा कि मिलेट एक ऐसा ‘सुपरफूड’ है, जो न सिर्फ एससीओ देशों में, बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है, और खाद्य संकट से निपटने के लिए एक पारंपरिक, पोषक और कम लागत वाला विकल्प है।’’ उन्होंने कहा कि हमें एससीओ के तहत ‘मिलेट फ़ूड फेस्टिवल’ के आयोजन पर विचार करना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘हम भारत को एक विनिर्माण हब बनाने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं।

भारत का युवा और प्रतिभाशाली कार्यबल हमें स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस साल 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोकोन्मुखी विकास मॉडल में प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग पर भी बहुत ध्यान दिया जा रहा है। हम प्रत्येक सेक्टर में नवाचार का समर्थन कर रहे हैं। आज भारत में 70,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं, जिनमे से 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। हमारा यह अनुभव कई अन्य एससीओ सदस्यों के भी काम आ सकता है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आज विश्व में मेडिकल पर्यटन के लिए सबसे किफायती गंतव्यों में से एक है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2022 में गुजरात में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक ‘डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर’’ का उद्घाटन किया गया जो पारंपरिक चिकित्सा के लिए एकमात्र ‘ग्लोबल सेंटर’ होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें समूह के देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग को बढ़ाना चाहिए। इसके लिए भारत एक नए कार्य समूह के संबंध में पहल करेगा।’’ शिखर सम्मेलन के बाद, नेताओं ने समरकंद घोषणा पर हस्ताक्षर किए।

एससीओ सदस्य देशों के प्रमुखों ने जलवायु परिवर्तन, विश्वसनीय, सतत व विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों में सहयोग के साथ ही वैश्विक खाद्य सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बयानों को स्वीकार किया। एससीओ की शुरुआत 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।

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