By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 11, 2021
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भाजपा की राजनीति में ‘‘राष्ट्र नीति’’ सर्वोपरि है और ‘‘राजनीतिक स्वार्थ’’ तथा ‘‘राजनीतिक अस्पृश्यता’’ की बजाय वह‘‘सर्वसम्मति’’ को महत्व देती है। भाजपा के विचारक और भारतीय जन संघ के पूर्व अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 53वीं पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित ‘‘समर्पण दिवस’’ कार्यक्रम में पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुए उन्होंने देश की सीमाओं जितनी भाजपा की सीमाओं का विस्तार करने का भी आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उसी विचारधारा में पले हैं, जो राष्ट्र प्रथम की बात करती है। हमें राजनीति का पाठ राष्ट्र नीति की में पढ़ाया जाता है। हमारी राजनीति में भी राष्ट्र नीति सर्वोपरि है। राजनीति और राष्ट्रीय नीति में एक को स्वीकार करना होगा तो हमें राष्ट्र नीति को स्वीकार करने का संस्कार मिला है।’’ जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण संबंधी फैसलों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ‘‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’’ की सिर्फ बात ही नहीं करती बल्कि उसे जीती भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश में जब भी ऐसे काम हुए हैं तो तनाव हुआ है... संघर्ष हुआ है। उसी काम को हमने प्रेम और मेलजोल के वातावरण में किया है। क्योंकि राष्ट्र नीति सर्वोपरि है और राजनीति एक व्यवस्था है।’’ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड को अलग राज्य बनाए जाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि राज्यों का विभाजन जैसा काम राजनीति में बहुत खतरे वाला होता है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा की सरकार ने तीन नए राज्य बनाए तो उस समय हर राज्य में उत्सव का माहौल था। ना कोई शिकायत थी ना कोई गिला शिकवा। दोनों ही तरफ के लोग आनंद में थे। ’’ जम्मू एवं कश्मीर के साथ ही लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लद्दाख में जहां उत्सव का माहौल है, वहीं जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को भी पूरा करने में सरकार जुटी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक स्वार्थ के लिए हम निर्णय नहीं करते हैं।
इसका असर जनसामान्य के मन पर होता है। हम राजनीति में सर्वसम्मति को महत्व देते हैं, सहमति के प्रयास को करते-करते सर्वसम्मति तक जाना चाहते हैं।’’ मोदी ने कहा कि भाजपा राजनीतिक छुआछूत में भरोसा नहीं करती है और देश चलाने के लिए वह आम सहमति का सम्मान करती है। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार हमारा संस्कार नहीं है। आज देश भी इस विचार को अस्वीकार कर चुका है। यह बात जरूर है कि हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं, कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। इसलिए आज देश हमसे जुड़ रहा है। हमारे कार्यकर्ता भी हर देशवासी को अपना परिवार मानते हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों में भाजपा अपने विरोधियों के खिलाफ पूरी शक्ति से लड़ती है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि वह अपने राजनीति विरोधियों का सम्मान नहीं करती।
उन्होंने इस कड़ी में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और पूर्व राज्यपाल एस सी जमीर का नाम लिया और कहा, ‘‘इनमें से कोई भी राजनेता हमारी पार्टी या फिर गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे। लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अलग राजनीतिक दल हो सकते हैं, हमारे विचार अलग हो सकते हैं, हम चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान ना करें।’’
उन्होंने सुभाष चंद्र बोस, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसी राष्ट्रीय विभूतियों को सरकार द्वारा दिए गए सम्मान का उल्लेख करते हुए कहा कि दूसरी सरकारें ऐसा नहीं करतीं। उन्होंने संसद में दिए उस बयान का भी उल्लेख किया कि सरकारें बहुमत से चलती हैं लेकिन देश आम सहमति से चलता है। मोदी ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के ‘‘अंत्योदय’’ और ‘‘एकात्म मानववाद’’ के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाएं और ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ कार्यक्रम इन्हीं से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने विदेश नीति में ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ के सिद्धंत का हमेशा अनुसरण किया है और कभी भी किसी बाहरी दबाव में नहीं आया। उन्होंने देश भर की भाजपा इकाइयों से आग्रह किया कि देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है और वे इस अवसर पर समाज सेवा के 75 संकल्पों को पूरा करने का बीड़ा उठाएं।
उन्होंने पार्टी सांसदों को यह सुझाव भी दिया कि वे रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले सामानों की वह सूची बनाएं और विदेशी सामनों की जगह देशी उत्पादोंका अधिक से अधिक उपयोग करने पर जोर दें। पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से ‘‘सकारात्मक सोच और परिश्रम’’ के आधार पर जनता के बीच जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, ‘‘जनता इन छह सालों में हमारी नीतियों को भी देख चुकी है और सबसे बड़ी ताकत जो है वो देश ने हमारी नीयत को देखा है, परखा है और पुरस्कार भी दिया है। हमें उसी विश्वास को लेकर आगे बढ़ना है।’’
प्रधानमंत्री ने भाजपा सांसदों को बताया कि कोरोना काल के दौरान वह रोजाना सुबह 70-75 के उम्र के लोगों से फोन पर बात किया करते थे और उनका आशीर्वाद लिया करते थे। आने वाले दिनों में भाजपा संगठन का और विस्तार करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसे कभी नहीं भूलना चाहिए परिवार की ताकत ही एक राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत होती है। हमें हमारे परिवार का विस्तार करना चाहिए। जितनी हिंदुस्तान की सीमाएं हैं, उतनी ही भाजपा की सीमाएं होनी चाहिए। हमें अपने विचारों को व्यापक बनाने का कार्य भी लगातार करना चाहिए।