By ललित गर्ग | Sep 17, 2020
एक संकल्प लाखों संकल्पों का उजाला बांट सकता है यदि दृढ़-संकल्प लेने का साहसिक प्रयत्न कोई शुरु करे। अंधेरों, अवरोधों एवं अक्षमताओं से संघर्ष करने की एक सार्थक मुहिम हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 में शुरू हुई थी। वे एक अनूठा एवं विलक्षण इतिहास बना रहे हैं। वे राजनीति में शुचिता के प्रतीक, अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वयक, कुशल राजनेता, प्रभावी प्रशासक, विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं। उनके 70वें जन्म दिवस पर सुखद एवं उपलब्धि भरी प्रतिध्वनियां सुनाई दे रही हैं, जिनमें नये भारत एवं आत्मनिर्भर भारत के स्वर गूंज रहे हैं। हाल ही में हमने मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के मन्दिर के शिलान्यास का दृश्य देखा। मोदी ने अपने छह साल के कार्यकाल में जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे देश की दशा-दिशा बदल सकती है, कैसे कोरोना जैसी महाव्याधि को परास्त करते हुए जनजीवन को सुरक्षित एवं स्वस्थ रख सकती है, कैसे महासंकट में भी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होने से बचा सकती है, कैसे राष्ट्र की सीमाओं को सुरक्षित रखते हुए पड़ोसी देशों को चेता सकती है।
नरेन्द्र मोदी के प्रभावी एवं चमत्कारी नेतृत्व में हम अब वास्तविक आजादी का स्वाद चखने लगे हैं, आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रीयवाद, अलगाववाद की कालिमा धुल गयी है, धर्म, भाषा, वर्ग, वर्ण और दलीय स्वार्थो के राजनीतिक विवादों पर भी नियंत्रण हो रहा है। इन नवनिर्माण के पदचिन्हों को स्थापित करते हुए कभी हम मोदी के मुख से स्कूलों में शौचालय की बात सुनते हैं तो कभी गांधी जयन्ती के अवसर पर स्वयं झाडू लेकर स्वच्छता अभियान का शुभारंभ करते हुए उन्हें देखते हैं। मोदी कभी विदेश की धरती पर हिन्दी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को गौरवान्वित करते हैं तो कभी “मेक इन इंडिया” का शंखनाद कर देश को न केवल शक्तिशाली बल्कि आत्म-निर्भर बनाने की ओर अग्रसर करते हैं। नई खोजों, दक्षता, कौशल विकास, बौद्धिक संपदा की रक्षा, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन, श्रेष्ठ का निर्माण-ये और ऐसे अनेकों सपनों को आकार देकर सचमुच मोदी लोकतंत्र एवं राष्ट्रीयता को सुदीर्घ काल के बाद सार्थक अर्थ दे रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी एक कर्मयोद्धा हैं, उनके नेतृत्व में सरकार और सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक/एयर स्ट्राइक कर जबरदस्त पराक्रम का प्रदर्शन कर दिखाया है कि भारत की रक्षा शक्ति दुनिया के किसी विकसित देश से कम नहीं है। भारत पारंपरिक लड़ाई के साथ-साथ मॉर्डन लड़ाई में दुनिया की पेशेवर सेनाओं में से एक है। भारतीय जवानों द्वारा पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर देना भारत की बड़ी शक्ति एवं सामर्थ्य का परिचायक है। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे बड़ा एवं साहसिक ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया जो जनसंघ के जमाने से उसकी प्राथमिकता रहा है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने का कदम उठाने के साथ-साथ राज्य को दो हिस्सों में बांटने का काम भी इसी कार्यकाल में हुआ। मोदी सरकार के फैसले के बाद कश्मीर में एक देश, एक विधान और एक निशान लागू हो गया है।
विकास की योजनाएं, नीतियां, सिद्धान्त और संकल्प सही परिणामों के साथ सही लोगों तक पहुंच रहे हैं। जनता को बैंकिंग से जोड़ने के लिए जन-धन योजना की घोषणा हो या हर घर को बिजली पहुंचाने के लिए सौभाग्य योजना या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा जाना, आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवार के हर सदस्य को सरकारी या निजी अस्पताल में सालाना पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त देना- ये और ऐसी अनेक योजनाएं भारत के सशक्त एवं समृद्ध होने का परिचायक हैं। भारत में नया गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) देश में कर सुधार की दिशा में सबसे बड़ा कदम था। जीएसटी लागू करने का मकसद एक देश-एक कर (वन नेशन, वन टैक्स) प्रणाली है। सवर्ण आरक्षण की मांग देश में लंबे समय से हो रही थी, लेकिन किसी भी सरकार ने हाथ नहीं डाला। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के आखिरी समय 2019 के जनवरी में सवर्ण समुदाय को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया।
अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े कई अहम फैसले भी लिए गये हैं। 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावक के हज करने की इजाजत दी गई थी। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने का कदम भी उठाया। मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को 10 जनवरी 2020 को अमलीजामा पहनाया। इस कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और यहूदी को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं और देश का सिर सम्मान से ऊंचा उठा और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। मोदी ने अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में करीब 50 हजार लोगों को संबोधित किया। ऐसे ही इस साल फरवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप मोदी के न्यौते पर गुजरात के अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ में शामिल हुए और करीब 1 लाख लोगों को संबोधित किया। सऊदी अरब से लेकर यूएई सहित तमाम इस्लामिक देशों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित भी किया है। इसके अलावा इस्लामिक देशों के साथ भारत के संबंध भी मजबूत हुए हैं, जिसका नतीजा है कि कश्मीर मसले पर दुनिया भर के देशों ने भारत का साथ दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिवर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति दी। इससे दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ा है। मोदी उन लोगों के लिए चुनौती हैं जो अकर्मण्य, आलसी, निठल्ले, हताश, सत्वहीन बनकर सिर्फ सफलता की ऊंचाइयों के सपने देखते हैं पर अपनी दुर्बलताओं को मिटाकर नयी जीवनशैली की शुरुआत का संकल्प नहीं स्वीकारते। तभी तो मोदी की विचारधारा हमारी एकता, संगठन, सौहार्द, भाईचारा, समन्वय और मैत्री की बुनियाद बनने की क्षमता रखती है।
इसीलिए मोदी का संदेश है कि हम जीवन से कभी पलायन न करें, जीवन को परिवर्तन दें, क्योंकि पलायन में मनुष्य के दामन पर बुजदिली का धब्बा लगता है जबकि परिवर्तन में विकास की संभावनाएं सही दिशा और दर्शन खोज लेती हैं। मोदी-दर्शन कहता है- जो आदमी अभय से जुड़ता है वह अकेले में जीने का साहस करता है। जो अहिंसा को जीता है वह विश्व के साथ मैत्री स्थापित करता है। जो अनेकांत की भाषा में सोचता है वह वैचारिक विरोधों को विराम देता है।
मोदी इस बात की परवाह नहीं करते कि लोग क्या कहेंगे, क्योंकि वे अपने कर्म में निष्ठा से प्रयत्नशील हैं। पुरुषार्थ का परिणाम फिर चाहे कैसा भी क्यों न आए, वे कभी नहीं सोचते। उनको अपनी कार्यशक्ति पर कभी संदेह नहीं रहा। उनका आत्मविश्वास उन्हें नित-नवीन रौशनी देता है। यही पुरुषार्थ और निष्ठा उनको सीख और समझ देती है कि सिर्फ कुर्सी पर बैठने वालों का कर्तृत्व ही कामयाबी पर नहीं पहुंचता, सामान्य कागजों पर उतरने वाले आलेख भी इतिहास की विरासत बनते देखे गये हैं। समय से पहले समय के साथ जीने की तैयारी का दूसरा नाम है मोदी। दुनिया का कोई सिकंदर नहीं होता, वक्त सिकंदर होता है इसलिए जरूरी है कि हम वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीखें।
आज का जीवन अच्छाई और बुराई का इतना गाढ़ा मिश्रण है कि उसका नीर-क्षीर करना मुश्किल हो गया है। पर अनुपात तो बदले। अच्छाई विजयी स्तर पर आये, वह दबे नहीं। अच्छाई की ओर बढ़ना है तो पहले बुराई को रोकना होगा। इस छोटे-से दर्शन वाक्य में मोदी की ‘कल्पना का भारत’ का आधार छुपा है। और उसका मजबूत होना आवश्यक है। बहुत सारे लोग जितनी मेहनत से नरक में जीते हैं, उससे आधे में वे स्वर्ग में जी सकते हैं। यही मोदी का दर्शन है। इतिहास के दो प्रमुख राजा हुए। दृढ़ मनोबल के अभाव में एक ने पहले ही संघर्ष में घुटने टेक दिये और साला कहलाया। दूसरे ने दृढ़ मनोबल से संकल्पित होकर, घास की रोटी खाकर, जमीन पर सोकर संघर्ष किया और महाराणा प्रताप कहलाया। हमें साला नहीं प्रताप बनना है तभी राष्ट्रीय चरित्र में नैतिकता आयेगी, तभी हम राष्ट्र को वास्तविक प्रगति की ओर अग्रसर कर सकेंगे, जैसा माहौल इन दिनों नरेन्द्र मोदी निर्मित कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार अमेरिका में, जापान में, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, अफगानिस्तान, सऊदी अरब में आौर नेपाल में भारत की राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, सामरिक और आर्थिक सशक्तता की छाप छोड़ी है यह इतिहास के निर्माण का भाव है। निश्चित ही उनकी दृष्टि एवं दिशा भारत के नवशिल्प का आधार है।
-ललित गर्ग
(लेखक, पत्रकार, स्तंभकार)