मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले 100 दिनों में कीं ये बड़ी कार्रवाई

By अंकित सिंह | Sep 11, 2019

लगभग 30 साल पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं तो गांव तक सिर्फ 10 पैसे ही पहुंच पाता है, 90 पैसे का भ्रष्टाचार हो जाता है। राजीव गांधी का यह बयान इस बात को साफ बतलाता है कि भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी पुरानी हैं। 2014 में अगर भाजपा सत्ता में आई थी तो इसका सबसे बड़ा कारण मनमोहन सिंह की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के कई दाग ही हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो मनमोहन सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को भुना कर ही भाजपा सत्ता में आई थी। भाजपा ने बकायदा नारा दिया था, "अपकी बार, भ्रष्टाचार मुक्त सरकार"। भाजपा जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में सत्ता में आई तो भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कानून बनाए गए। भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक-2018 संसद में पास कराया गया। काले धन के खिलाफ जांच के लिए SIT का गठन किया गया। इसके अलावा मोदी की ओर से भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने की कोशिश की गई। हालांकि विपक्ष सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगाता रहा जिसमें राफेल डील जैसा बड़ा मुद्दा शामिल है। सरकार पर एक सवाल और उठा। जिस कोयला और टेलीकॉम घोटाले को हथियार बना कर भाजपा सत्ता में आई थी, उसकी जांच में बहुत ज्यादा कुछ नहीं होता दिखा। जिन पर आरोप लगे थे वह फलते-फूलते दिखे। विपक्ष ने सरकार पर उद्योगपतियों की मदद करने का भी आरोप लगाया तो माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े सरकार के लिए सिरदर्द बने रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इन मुद्दों को विपक्ष ने खूब उठाया। 

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2019 में सत्ता वापसी के बाद ऐसा पहले दिन से ही लगने लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भ्रष्टाचार की लड़ाई में पहले से भी ज्यादा सक्रिय रहने वाले हैं। शुरूआत में ही प्रधानमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक कर यह साफ कह दिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टोलेरेंस की नीति जारी रहने वाली है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो बाद में देखने को मिला। सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री ने भ्रष्ट अधिकारियों पर भी नकेल कसने की कवायद की शुरूआत कर दी। इसकी शुरूआत तब हुई जब सरकार ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और दुर्व्यवहार के आरोप में 12 आयकर अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया था। इसके ठीक बाद केंद्र सरकार ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व कस्टम बोर्ड के 15 बड़े अधिकारियों को जबरन नियम 56 के तहत रिटायर कर दिया है। इस कार्रवाई में गाज जिन अधिकारियों पर गिरी उनमें प्रधान आयुक्त स्तर का भी अधिकारी था। यह सारे अधिकारी सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इन अधिकारियों के खिलाफ या तो पहले से ही सीबीआई की ओर से भ्रष्टाचार के मामले दर्ज थे या इन पर रिश्वतखोरी, जबरन वसूली और आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप हैं। खबरें यह भी आ रही हैं कि मोदी सरकार ने ऐसे अधिकारियों की सूची बनाई है जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्हें धीरे-धीरे नियम 56 के तहत सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को अभी भी कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में विभिन्न संगठनों की मंजूरी का इंतजार है। मोदी सरकार पार्ट 2 में सबसे ज्यादा जोर नौकरशाही के अंदर से भ्रष्टाचार के ट्यूमर को निकालने पर रहा।  

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केंद्र सरकार की इस कार्रवाई के बाद भाजपा शासित राज्यों में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक लिए अभियान की शुरूआत देखी गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने, अपराधों और भ्रष्टाचार के मामलों में तेजी से कार्रवाई करते हुए दोषियों को दण्डित करने के कड़े निर्देश तक दे डाले। भाजपा लगातार यह कह रही है कि हमारी सरकार की भ्रष्ट और ढीले ढाले अधिकारियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति है। मंत्री, सांसद और सचिवों के साथ प्रधानमंत्री ने लगातार बैठकें की हैं और कहा है कि काम से जुड़ी कोई भी फाइल ना अटकनी चाहिए और ना ही भटकनी चाहिए। इसका मतलब साफ है कि प्रधानमंत्री इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं कि फाइलों का अटकना कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। आम आदमी को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जुलाई में देशव्यापी अभियान के तहत कथित भ्रष्टाचार, आपराधिक कदाचार और हथियारों की तस्करी के नये मामलों के सिलसिले में 19 राज्यों में 110 स्थानों पर छापेमारी की थी। अगस्त के आखिरी सप्ताह में भी सीबीआई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में अचानक 150 जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई ने यह छापेमारी रेलवे, परिवहन, बैंक, बीएसएनएल समेत कई विभागों में की। सरकार की यह कार्रवाई भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ भी जारी है। पी चिदंबरम, भूपेंदर सिंह हुड्डा, मुकुल रॉय, डीके शिवकुमार जैसे नेताओं से भी लगातार पूछताछ की जा रही है। 

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भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार ने जो मुहिम चलाई है उसके तहत राजनीतिक, आर्थिक, प्रशासनिक और सामाजिक भ्रष्टाचार पर एक साथ प्रहार होता दिख रहा है। पिछले 100 दिनों में ऐसे कई मौके आए जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मौकों पर भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने आम लोगों से भी भ्रष्टाचार से खिलाफ लड़ाई लड़ने की अपील की है। अपने एक भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नया भारत है जहां भ्रष्टाचार कोई विकल्प ही नहीं है। हम भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करके रहेंगे। मोदी ने पेरिस में भी कहा कि भारत में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। हमारी सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। इन 100 दिनों में मोदी सरकार के मंत्रियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे। भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री डिजिटल लेन-देन पर जोर देते दिखे। भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत आम लोगों को मिलने वाली सहायता राशि भी सीधे उनके खाते में डालने पर जोर दे रही है।

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