अंग्रेजी में एक कहावत है 'Rising sun shows the day', ठीक उसी तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा सत्ता में आने के साथ ही कई ऐसे फैसले लिए हैं जो उनकी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिखाता है। यह शक्तियां उनके द्वारा की गई नियुक्तियों और प्रशासनिक कार्यों में भी दिखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर रही है, ऐसे में हम आपको यह बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर इन 100 दिनों में प्रधानमंत्री या फिर भाजपा सरकार के द्वारा जो नियुक्तियां की गई हैं वह कितने महत्वपूर्ण है और किस तरीके से आगे चलकर इस सरकार को यानि कि नरेंद्र मोदी की सरकार को फायदा पहुंचा सकती हैं। इन नियुक्तियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति भी दिखाई देती है जिसमें वह लगातार अपने किए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आते हैं। साथ ही साथ इन नियुक्तियों में एक और चीज भी देखने को मिली है, वह यह है कि जिन भी लोगों पर भ्रष्टाचार या लेटलतीफी करने का आरोप है उनको इस बार इन 100 दिनों में हुई नियुक्तियों से दूर रखा गया है। यानि कि 'काम करो और इनाम पाओ' की जो नीति है उस पर यह वर्तमान की सरकार चल रही है।
सबसे पहले बात सबसे अहम और महत्वपूर्ण नियुक्तियों की करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास एक बार फिर से दूसरे कार्यकाल में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अजीत डोभाल पर बना रहा। अजीत दोभाल को ना सिर्फ फिर से नियुक्त किया जाता है बल्कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया जाता है। इन 100 दिनों में हमने देखा है कि अजीत डोभाल सबसे ज्यादा एक्टिव नजर आए हैं, खास करके कश्मीर मसले पर। इसके अलावा अन्य बड़ी नियुक्तियों में सबसे महत्वपूर्ण थी प्रधानमंत्री कार्यालय में दो ऐसी नियुक्तियां जिन पर नरेंद्र मोदी एक बार फिर से विश्वास करते नजर आए। प्रधानमंत्री कार्यालय में भी एक बार फिर से मुख्य सचिव के रूप में नृपेंद्र मिश्रा की नियुक्ति की जाती है जबकि सलाहकार सचिव के रूप में एक बार फिर पीके मिश्रा की वापसी होती है। पिछले कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री कार्यालय में यह दोनों सबसे बड़े महत्वपूर्ण चेहरे थे। इस बार ना सिर्फ इनकी नियुक्ति की जाती है बल्कि इन्हें भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है। हालांकि नृपेंद्र मिश्रा सितंबर के दूसरे सप्ताह में सेवामुक्त हो जाएंगे पर उनकी महत्ता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उनके सेवामुक्त होने की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दी। अगस्त के आखिरी सप्ताह में प्रधानमंत्री कार्यालय में बड़ा फेरबदल हुआ। PMO में एक संयुक्त सचिव, तीन उप सचिव और एक निदेशक समेत पांच अधिकारियों की नियुक्तियां की गईं। इससे पहले पीके सिन्हा को PMO में विशेष कार्य अधिकारी (SDO) नियुक्त किया गया।
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अभी तक वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे IAS अधिकारी अरविंद श्रीवास्तव और हार्दिक सतीशचंद्र शाह को PMO में क्रमश: संयुक्त सचिव और उप सचिव नियुक्त किया गया। भारतीय विदेश सेवा के 2006 और 2007 बैच के अधिकारी अभिषेक शुक्ला को उप सचिव और कमेटी ने IFS अधिकारी प्रतीक माथुर को पीएमओ में डिप्टी सेक्रटरी के तौर पर नियुक्ती किया गया है। भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के 2005 के सौरभ शुक्ला को शीर्ष कार्यालय में निदेशक नियुक्त किया है। जुलाई में भी मोदी सरकार ने केंद्र में 33 नए संयुक्त सचिव नियुक्त किए, जिनमें से केवल सात भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से और चार भारतीय राजस्व सेवा (IRS) से हैं। इनमें सबसे बड़ा फैसला यह रहा कि सरकार ना हिम्मत दिखाते हुए निजी क्षेत्र के नौ विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव के रूप में तीन साल के लिए नियुक्त किया है। पीके सिन्हा के सेवानिवृत होने के बाद गृह सचिव रहे राजीव गौबा को कैबिनेट सचिव बना दिया गया। अजय कुमार को नया रक्षा सचिव नियुक्त किया गया। 1985 बैच के IAS अधिकारी बृज कुमार अग्रवाल को लोकपाल का सचिव नियुक्त किया गया। अजय कुमार भल्ला को नया गृह सचिव नियुक्त किया गया।
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जुलाई में हुए राज्यपालों की नियुक्ति में भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। हालांकि बाद में उन्हें राजस्थान भेजा गया। आचार्य देवव्रत को गुजरात का राज्यपाल नियुक्त किया गया। मध्य प्रदेश की राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को अब उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। लालजी टंडन को बिहार से मध्य प्रदेश भेजा गया। छत्तीसगढ़ के रायपुर से पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस को त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया है। फागु चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया है। आंध्रप्रदेश में विश्वभूषण हरिचंदन, छतीसगढ़ में अनुसुइया उइके, नगालैंड में आरएन रवि, पश्चिम बंगाल में जगदीप धनकड़ को नए राज्यपाल के रूप में जिम्मेदारी दी गई। सितंबर के पहले दिन सरकार ने बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल, भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया। आरिफ मोहम्मद खान को बड़ा इनाम देते हुए सरकार ने उन्हें केरल के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी दी। इसी प्रकार डा. तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त किया गया।