मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को निशाने पर लिया और कहा कि भारत ‘पड़ोस प्रथम’ की नीति को आगे बढ़ा रहा है लेकिन उसके समक्ष एक पड़ोसी की ‘अलग तरह की चुनौती’ है जिसे सामान्य व्यवहार करने और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।
जब कार्रवाई की बात जयशंकर ने कर ही दी तो संदेश सभी के जहन में स्पष्ट हो गया। लेकिन जिन लोगों को यह बात फिर भी समझ में नहीं आई उन लोगों को जयशंकर ने बताया कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी कि पीओके भारत का हिस्सा है और उम्मीद करते हैं कि एक दिन भारत के भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा। उन्होंने कहा कि पीओके पर हमारा रुख रहा है और हमेशा रहेगा कि यह भारत का हिस्सा है और हम उम्मीद करते हैं कि एक दिन यह हमारे भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा।
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PoK पर शाह ने स्पष्ट कर दी थी सरकार की मंशा
पाक अधिकृत कश्मीर का नाम आते ही अब उसे भारत में शामिल करने का परिदृश्य सामने आता है। ज्ञात हो कि 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त करने से पहले अमित शाह ने लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को जवाब देते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर, भारत का अभिन्न अंग है। जब भी मैं जम्मू-कश्मीर कहता हूं तो पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन भी इसके अंदर आते हैं। क्या कांग्रेस पीओके को भारत का हिस्सा नहीं मानती है ? हम इसके लिए जान दे देंगे। शाह ने अपने जवाब से विपक्षियों को मात दे दिया था साथ ही साथ कांग्रेस की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए थे।
बस सेना प्रमुख को है आदेश का इंतजार
PoK और अक्साई चीन पर केंद्र के मंत्रियों के बयानों पर पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्तान को चेता दिया था और कहा था कि अगर सरकार चाहती है तो सेना पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को भारत में शामिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा था कि कार्रवाई का फैसला सरकार को करना है और सरकार के निर्देश का पालन हर संस्था करेगी। इसी के साथ साफ शब्दों में कहा था कि सेना हमेशा कार्रवाई के लिए तैयार रहती है।
जब बोले थे राजनाथ कि PoK पर ही होगी बात
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तब तक संभव नहीं है जब तक वह आतंकवाद को सहयोग देना एवं उसको बढ़ावा देना बंद नहीं करता है और अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी तो केवल PoK पर होगी। राजनाथ सिंह ने यह बयान विधानसभा चुनाव की तैयारियों से पूर्व हरियाणा में दिया था।
पीओके को भारत में शामिल करना मोदी सरकार का मुख्य एजेंडा
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा था कि हमारा अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाना है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर जितेंद्र सिंह ने कहा था कि यह केवल मेरी या मेरी पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है बल्कि यह 1994 में पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सर्वसम्मति से पारित संकल्प है। यह एक स्वीकार्य रुख है।
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उपराष्ट्रपति ने भी दिया PoK पर जोर
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने प्रत्येक भारतीय के लिये सुरक्षा और देश की अखंडता को सर्वोपरि बताते हुए कहा था कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुद्दे पर ही होगी। उन्होंने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को पांच अगस्त को समाप्त किये जाने के बाद विभिन्न नागरिक सुविधाओं पर लगाये गये अस्थायी प्रतिबंधों का जिक्र करते हुये कहा था कि इसका उद्देश्य उपद्रव और अशांति फैलाने की शरारती तत्वों की मंशा को नाकाम बनाना है।
पाकिस्तान में उठी आवाज, अब बचाओ मुजफ्फराबाद
कश्मीर मुद्दे पर दुनिया के तमाम देशों से पाकिस्तान को मिल रही निराशा के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने कहा था कि इमरान खान की सरकार पूरी तरह नाकाम है। भुट्टो ने आगे कहा था कि मोदी ने कश्मीर छीन लिया और इमरान खान सोते रह गए। भुट्टो इतने में ही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि पहले हमारी नीति थी कि श्रीनगर कैसे हासिल करें लेकिन अब मुजफ्फराबाद बचाना भी मुश्किल हो गया है।