प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे देश के दौरे पर पहुंचे जहां 17 सालों तक कोई भारतीय पीएम नहीं गया। कुछ घंटों की यात्रा के बाद पीएम मोदी ने उस देश में कदम रखा जो भारत के लिए सबसे बड़ा कूटनीतिक और रणनीतिक खजाना हो सकता है। इस देश को अफ्रीका का सऊदी अरब तक कहा जाता है। इस देश में तेल के बड़े भंडार मिलते हैं। ये देश अफ्रीकी महाद्वीप के 54 देशों में से सबसे ताकतवर और अमीर हैं। अब यही देश भारत को अफ्रीका महाद्वीप का बादशाह बना सकता है। पीएम मोदी नाइजीरिया के दौरे पर नजर आए। नाइजीरिया और पूरा अफ्रीकी महाद्वीप वो हीरा है जिसे चीन कब्जे में लेना चाहता है। मगर अब भारत रास्ते में आकर खड़ा हो गया है। अफ्रीकी महाद्वीप में भारत और चीन की सबसे बड़ी कूटनीतिक जंग शुरू होने वाली है।
भारतीय समुदाय को संबोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीन देशों के दौरे के पहले पड़ाव के दौरान नाइजीरिया में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ‘सन्नू, नाइजीरिया’ के साथ की। इस पारंपरिक नाइजीरियाई अभिवादन का मतलब ‘नमस्ते’ से है। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि आपका स्नेह मेरे लिए पूंजी का एक बड़ा स्रोत है। आपसे मिलने, आपके साथ समय बिताने के लिए- मैं इन पलों को जीवन भर संजोकर रखूंगा। प्रधानमंत्री के रूप में नाइजीरिया की यह मेरी पहली यात्रा है, लेकिन मैं अकेला नहीं आया हूं। मैं अपने साथ भारत की मिट्टी की खुशबू और भारतीयों का ढेर सारा आशीर्वाद लेकर आया हूं।
चीन की चालबाजी पर लगेगी लगाम
अफ्रीका के 54 में से 53 देशों में चीन का कोई न कोई प्रोजेक्ट चल रहा है। लेकिन अब ये अफ्रीकी देश चीन से परेशान हो चुके हैं। चीन के निवेश से अफ्रीकी देशों को एक तरह से गुलाम बना दिया है। ये सभी देश धीरे धाीरे कर्ज के जाल में फंसते चले जा रहे हैं। लेकिन चीन की इसी क्रूर व्यापारिक गलती का भारत ने फायदा उठा लिया। भारत अफ्रीका में चीन जैसी गलती नहीं कर रहा है। भारत ने एक बड़े भाई की हैसियत और जिम्मेदारी से अफ्रीका के 43 देशों में अपनी मौजूदगी बना ली है। भारत ने इतिहास में पहली बार अफ्रीकी देशों को वो सम्मान दिलवाया जिसे दुनिया नजरअंदाज करती रही। भारत की पहल के बाद ही अफ्रीकी संघ को जी20 के 21वें सदस्य के रूप में प्रवेश मिल गया। अब भारत इन्हीं अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर वैश्विक व्यापार पर कब्जा करना चाहता है।
कितना बड़ा खजाना है अफ्रीका
अफ्रीका कितना बड़ा खजाना है ये आपको कुछ आंकड़ों से पता चल जाएगा। अफ्रीकी महाद्वीप की जनसंख्या फिलहाल 150 करोड़ है। ये 2050 तक 250 करोड़ हो जाएगी। अफ्रीका के कई देश नैचुरल रिसोर्स के भंडार हैं। अफ्रीकी महाद्वीप में दुनिया की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या है। व्यापार के लिए इससे शानदार और बड़ा बाजार कहीं नहीं मिल सकता। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र में अफ्रीकी ब्लाक के 25 प्रतिशत वोट हैं। संयुक्त राष्ट्र में ये 25 प्रतिशत वोट किसी के पक्ष में हो जाएं तो वो देश कई प्रस्ताव पास करवा सकता है या गिरवा सकता है। सैन्य और रणनीतिक रूप से भी अफ्रीका के कई देश भारत के लिए बेहद जरूरी हैं। इसलिए दुनिया में अफ्रीका जैसा सुनहरा अवसर कहीं और नहीं मिल सकता।