Manipur violence | मणिपुर के मोरेह में भीड़ ने घरों में आग लगाई, कांगपोकपी में बसों को निशाना बनाया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 26, 2023

इंफाल। मणिपुर के मोरेह जिले में बुधवार को भीड़ ने कम से कम 30 घरों और दुकानों को आग लगा दी और सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। खाली पड़े ये घर म्यांमा सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे। आगजनी के बाद भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी भी हुई। अधिकारियों ने बताया कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि घटना कोई हताहत हुआ है या नहीं। अधिकारियों ने बताया कि यह आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के एक दिन बाद हुई।

इसे भी पढ़ें: Vande Bharat Trains पर पथराव से Indian Railways को कितना हुआ नुकसान? रेल मंत्री ने संसद में बताया

यह घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं। इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मणिपुर की पंजीकरण संख्या वाली बस को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी। इस बीच, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि इंफाल के सजीवा और थौबल जिले के याइथिबी लोकोल में अस्थायी घरों का निर्माण पूरा होने वाला है। सिंह ने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘बहुत जल्द पीड़ित परिवार राहत शिविरों से इन घरों में जा सकेंगे।

इसे भी पढ़ें: आवारा कुत्तों से परेशान पुणे की सोसाइटी पहुंचे भाजपा नेता विजय गोयल, कहा-प्रशासन जरूरी कदम उठाए

राज्य सरकार हाल की हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहाड़ियों और घाटी दोनों में हर संभव उपाय कर रही है।’’ मुख्यमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के कारण अपना घर छोड़ने वाले लोगों के लिए तीन से चार हजार घर बनाएगी। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

प्रमुख खबरें

यहां आने में 4 घंटे लगते हैं, लेकिन किसी प्रधानमंत्री को यहां आने में 4 दशक लग गए, कुवैत में प्रवासी भारतीयों से बोले पीएम मोदी

चुनाव नियमों में सरकार ने किया बदलाव, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के सार्वजनिक निरीक्षण पर प्रतिबंध

BSNL ने OTTplay के साथ की साझेदारी, अब मुफ्त में मिलेंगे 300 से ज्यादा टीवी चैनल्स

नक्सलियों के 40 संगठनों के नामों का खुलासा किया जाये: Yogendra Yadav ने फडणवीस के बयान पर कहा