By अनन्या मिश्रा | Oct 05, 2023
मिजोरम जो कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, वह अब मिजो नेशनल फ्रंट द्वारा शासित है। लेकिन धीरे-धीरे ईसाई बहुल पहाड़ी राज्य में भाजपा भी अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। भूमिगत संगठन से राजनीतिक दल बना मिजो नेशनल फ्रंट साल 1987, 1998, 2003 में मिजोरम में विधानसभा चुनाव जीते हैं। जबकि साल 2008, 2013, 1993 और 1989 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
ऐसा रहा राज्य का सियासी समीकऱण
साल 1993 में दिग्गज कांग्रेस नेता ललथनहवला ने जनता दल के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। वहीं साल 1998 में पार्टी अध्यक्ष ज़ोरमथांगा के नेतृत्व में MNF ने सत्ता हासिल की और मिज़ो पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन की सरकार बनाई। लेकिन स्थानीय पार्टी ने कुछ समय बाद ही सरकार से नाता तोड़ लिया। साल 1998 और 2018 को छोड़कर कांग्रेस के दिग्गज लाल ललथनहवला ने सभी चुनावों में जीत हासिल की थी। साल 2018 में ललथनहवला राज्य के सीएम थे, लेकिन वह अपने गृह क्षेत्र सेरछिप और चम्फाई दक्षिण दोनों से हार गए थे।
बीजेपी बना रही बढ़त
साल 2018 के चुनावों के बाद से बीजेपी पार्टी लगातार अल्पसंख्यक कार्ड खेल रही है। स्वायत्त जिला परिषदों के चुनावों में बीजेपी को सकारात्मक परिणाम देखने को मिले थे। पिछले महीने पहली बार मारा स्वायत्त जिला परिषद के तहत बीजेपी ने ग्राम परिषदों (वीसी) के चुनावों में जीत हासिल की थी। ऐसे में बीजेपी की सफलता ने कांग्रेस और सत्तारूढ़ एमएनएफ सहित स्थानीय दलों के लिए टेंशन बढ़ा दिया है।