By अनुराग गुप्ता | Jul 01, 2021
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक फैसले से सभी को चौंका दिया था। उन्होंने बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश का जिम्मेदारी सौंपी थी। उस वक्त नारा दिया था प्रियंका नहीं वो आंधी हैं दूसरी इंदिरा गांधी है। प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री से पार्टी कार्यकर्ता काफी खुश नजर आ रहे थे। कहा जा रहा था कि अब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस दोबारा से खड़ी होने वाली हैं।
उस वक्त राहुल गांधी ने कहा था कि मुझे काफी खुशी हो रही है कि अब मेरी बहन मेरे साथ काम करेगी। प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री को कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा था। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई। उलटा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पांरपरिक सीट अमेठी से चुनाव हार गए। जिसके बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में स्पष्ट कर दिया कि कोई भी नेता प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाने के बारे में सोचे भी नहीं।
UP में एक्टिव रहीं प्रियंका
भले ही कांग्रेस लोकसभा चुनाव हार गई हो लेकिन प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश पर अपनी पकड़ बनाना शुरू कर दिया था। उस वक्त उन्होंने साफ कर दिया था कि वो 2022 के चुनावों की तैयारी कर रही है। उनका लक्ष्य 2022 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का मुख्यमंत्री बनाना है।
उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर रणनीतियां तैयार की थी लेकिन करारी हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बाद पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है।
उम्मीदवारों के नाम पर लगेगी मुहर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रियंका गांधी ने पार्टी नेताओं को फोन लगाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस के 50 नेताओं से फोन पर बातचीत की और चुनाव की तैयारियों में जुट जाने के लिए कहा। प्रियंका गांधी ने कहा था कि अगस्त तक 200 उम्मीदवारों के नाम तय करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
लखनऊ में रहेंगी प्रियंका
आगामी चुनावों को लेकर प्रियंका गांधी लखनऊ शिफ्ट होने की तैयारियों में जुटी हुई हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय शीला कौल के स्वामित्व वाले बंगले में प्रियंका गांधी का कैंप बनेगा। यहीं से वो पार्टी के कामकाज को देखेंगी। हाल ही में इमारत में मरम्मत के कामकाज की तस्वीरें सामने आईं थीं। उम्मीद है कि जल्द ही प्रियंका लखनऊ में अपना डेरा जमा लेंगी। हालांकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से उन्होंने लखनऊ की यात्रा कई बार स्थगित की है। आखिरी बार दिसंबर 2019 में वो लखनऊ गईं थीं।
यूपी की कांग्रेस की कप्तान हैं प्रियंका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने दावा किया था कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा यह तय करेंगी कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह मतदाताओं के बीच खुद को कैसे पेश करेंगी, लेकिन यह जरूर है कि वह एक ‘बेहतरीन चेहरा’ हैं और राज्य में पार्टी की ‘कप्तान’ हैं। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि अगले साल होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस ही भाजपा के खिलाफ मुख्य प्रतिद्वंद्वी की भूमिका में होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए प्रियंका गांधी ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं तो पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जब तब वह हमें कोई संकेत नहीं देतीं, तब तक मैं इसका जवाब नहीं दूंगा। लेकिन वह एक अद्भुत, बेहतरीन चेहरा हैं।’
बनारस से लड़ सकती हैं चुनाव
उत्तर प्रदेश भाजपा में जारी अंर्तकलह के बीच में कहा जा रहा है कि एक बार फिर से नरेंद्र मोदी और प्रदेश के बड़े नेताओं के चेहरों पर भाजपा चुनावी मैदान में उतर सकती है। लेकिन भाजपा के सामने कौन होगा। राजनीतिक गलियारों में इस सवाल को लेकर बहस छिड़ गई है। अटकलें हैं कि प्रियंका गांधी सीधेतौर पर भाजपा को चुनौती दे सकती हैं। ऐसे में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के किसी विधानसभा इलाके से चुनाव लड़ सकती है। माना जा रहा है कि प्रियंका ने 2022 में जो सरकार बनाने का लक्ष्य रखा था और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में सेंधमारी करने का फैसला कर सकती हैं।
अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का प्रयोग विफल हो जाने के बाद कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। इस बार पार्टी पूर्व सांसदों और विधायकों को भी चुनाव का टिकट दे सकती है। हालांकि अगस्त तक स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी।
कांग्रेस ने प्रदेश नेतृत्व ने प्रत्येक विस सीट के लिए जिला व महानगर इकाइयों से तीन दावेदारों का पैनल मांगा था। पूर्वांचल के आजमगढ़, मिर्जापुर, वाराणसी, बस्ती और गोरखपुर आदि मंडलों की सीटों पर दावेदारों के पैनल मिल चुके हैं।