By प्रेस विज्ञप्ति | Jun 16, 2021
पर्यटन निदेशालय, उप्र, लखनऊ के सभाकक्ष में डॉ0 नीलकण्ठ तिवारी, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य उप्र की अध्यक्षता में जनपद अयोध्या के पर्यटन विकास के संबंध में बैठक आहूत की गई। बैठक में राज्यमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता मे अयोध्या का विश्व के सर्वोच्च पर्यटन एवं धार्मिक स्थल के रूप मे सर्वांगीण विकास किया जा रहा है, जिससे वहाँ आने वाले पर्यटकों व श्रृद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधा प्राप्त हो सके। मंत्री ने अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों (मठ, मन्दिर, धर्मशाला आदि) पर मूलभूत पर्यटक सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने एवं फसाड लाइटिंग के कार्ययोजना की समीक्षा की। उन्होंने मन्दिरों तक आने-जाने वाले रास्ते को सुविधाजनक बनाने तथा हर कार्य गुणवत्तापूर्वक कराये जाने के निर्देश दिए। डॉ.नीलकंठ तिवारी द्वारा यह सुझाव दिया गया कि अयोध्या परिक्षेत्र में आने वाले सभी मन्दिरों की सूची तैयार कर अयोध्या के समेकित विकास में उन्हें जोड़ लिया जाए तथा सभी मन्दिरों का डाक्यूमेण्टेशन भी कर लिया जाए, जिससे प्रत्येक मन्दिर का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व का विवरण भी सम्मिलित किया जा सके। राज्यमंत्री ने अयोध्या में प्रमुख पौराणिक कुण्डों (भरत कुण्ड, सूर्यकुण्ड, हनुमान कुण्ड, स्वर्णखनि कुण्ड, सीताकुण्ड, अग्नि कुण्ड, खुर्ज कुण्ड, गणेश कुण्ड, दशरथ कुण्ड) के सौन्दर्यीकरण एवं पर्यटन विकास कार्यों की अब तक की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। अयोध्या में पंचकोसी एवं चैदहकोसी परिक्रमा पथों का पर्यटन विकास का कार्य पर्यटन विभाग द्वारा कराया जा रहा है। प्रमुख सचिव पर्यटन द्वारा यह सुझाव दिया गया कि परिक्रमा पथ पर आने वाले सभी मन्दिरों के आस-पास कराये जाने वाले कार्यों का डी0पी0आर0 अलग-अलग बना लिया जाए, जिसमें उस मन्दिर का फसाड ट्रीटमेण्ट, वास्तु संरक्षण, पर्यटक सुविधाओं, लैण्ड स्केपिंग आदि का समायोजन हो। अयोध्या में सरयू नदी के तट पर गुप्तारघाट से रेलवे ब्रिज तक घाटों के निर्माण एवं सौन्दर्यीकरण के कार्य हेतु भारत सरकार की स्वदेश दर्शन स्कीम के अन्तर्गत रु0 298.84 करोड़ का प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति हेतु प्रेषित किया गया है।
रामकथा पार्क के सन्निकट पर्यटन विकास एवं अन्य परियोजनाओं हेतु 12,687 वर्ग मीटर भूमि का चयन कर क्रय/अधिग्रहण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अयोध्या में पर्यटन एवं सौन्दर्यीकरण के अन्तर्गत पर्यटन आकर्षण की दृष्टि से भगवान श्रीराम पर आधारित डिजिटल म्यूजियम, इण्टरप्रेटेशन सेन्टर, लाईब्रेरी, पार्किंग, फूडप्लाजा, लैण्डस्केपिंग एवं श्रीराम की मूर्ति एवं अन्य मूलभूत पर्यटक सुविधाओं की प्रायोजना स्वीकृत की गई है, जिसके लिए भूमि क्रय/अधिग्रहण हेतु उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद के माध्यम से कार्यवाही की जा रही है।
अयोध्या में छः प्रवेश द्वारों का निर्माण कराया जाएगा, जो प्रभु श्रीराम के मन्दिर की डिजाइन के अनुरूप होगा। प्रत्येक प्रवेश द्वार के पास धर्मशाला एवं पार्किंग एरिया का निर्माण भी कराया जाएगा। मंत्री जी द्वारा यह सुझाव दिया गया कि धर्मशाला एवं अवस्थापना सुविधाओं का निर्माण घरेलू पर्यटकों के दृष्टिकोण से किया जाए क्योंकि यह पवित्र भूमि करोड़ो लोगो के श्रृद्धा का केन्द्र है तथा यहाँ प्रतिदिन श्रृद्धालु एवं भक्तगण लाखों की संख्या में आकर भगवान श्रीराम के दर्शन पूजन कर पुण्य के भागी बनना चाहते है। क्वीन-होम मेमोरियल के समीप ही एक अत्यन्त पुराना एवं निष्प्रयोज्य बस स्टैण्ड है, जिसका ध्वस्तीकरण राजकीय निर्माण निगम द्वारा किया जाना था। यह कार्य अभी तक पूर्ण न होने की दशा में डॉ. नीलकंठ तिवारी द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त की गई तथा एक सप्ताह के अन्दर निष्प्रयोज्य बस स्टैण्ड के ध्वस्तीकरण का कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह सुझाव दिया गया कि अयोध्या के पर्यटन स्थलों के विकास के प्रस्तुतीकरण में स्थलों के वर्तमान स्वरूप को रूपान्तर करने के पश्चात का स्वरूप भी दर्शाये, जिससे भविष्य में अयोध्या नगरी के बदले हुए स्वरूप की कल्पना की जा सके।उनके द्वारा यह भी सुझाव दिया गया कि अयोध्या में जो भी विकास कार्य अथवा भवन निर्माण के कार्य कराये जाए, उनमें पौराणिक काल की छवि का भी समावेश किया जाए।
मंत्री जी द्वारा वर्तमान में चालू समस्त केन्द्रीय योजनाओं के अन्तर्गत किए जाने वाले सभी विकास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि अयोध्या को विश्व स्तरीय नगर के रूप में स्थापित किए जाने हेतु हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। अयोध्या में नवीन योजनाओं का विवरण उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए किया गया। इन योजनाओं से लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगें, जिससे उनके आर्थिक एवं सामाजिक स्तर का उन्नयन हो सकेगा। इसके साथ-ही-साथ देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को स्तरीय पर्यटक सुविधायें प्राप्त हो सकेगी और उनका पर्यटन-अनुभव बेहतर हो सकेगा। बैठक में मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, दीपक कुमार, प्रमुख सचिव आवास, अजय चैहान, आवास आयुक्त, शिवपाल सिंह, विशेष सचिव पर्यटन तथा अविनाश चन्द्र मिश्र, संयुक्त निदेशक पर्यटन एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
एक माह के भीतर दो लाख छुट्टा गोवंश का संरक्षण किया जाये
उत्तर प्रदेश के पशुधन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विकास कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने कहा है कि एक माह के भीतर दो लाख छुट्टा गोवंश का संरक्षण किया जाये और सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर अस्थायी/स्थायी गो-आश्रय स्थल की स्थापना हेतु स्थानीय प्रशासन के सहयोग से तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील जनपदों में पशुधन की सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबन्धन अभी से सुनिश्चित किया जाय। प्रत्येक बाढ़ चैकी पर पशुपालन विभाग की उपस्थिति एवं पशुधन की निगरानी में कोई शिथिलता न बरती जाय। श्री चैधरी ने कहा कि एक माह के भीतर निर्धारित लक्ष्य प्राप्त न करने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। पशुधन मंत्री चैधरी ने आज यहां योजना भवन में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के मण्डलीय अपर निदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को गोवंश के संरक्षण एवं छुटटा गोवंश की समस्या के पूर्ण निस्तारण के लिए समुचित दिशा-निर्देश दिए। उन्होंनें प्रदेश की प्रत्येक पंजीकृत गोशालाओं में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु गोशाला प्रबन्धक से वार्ता कर कम से कम 200 गोवंश संरक्षित कराये जाने, मुख्यमंत्री जी सहभागिता योजनान्तर्गत 20-20 इच्छुक पशुपालकों का चयन कर नजदीकी गो-आश्रय स्थल से गोवंश सुपुर्दगी में दिये जाने के निर्देश दिए हैं। पशुधन मंत्री ने कहा कि वृहद गो-संरक्षण केन्द्र में कम से कम 300 गोवंश को संरक्षित किये जाये और जिन जनपदों में क्रियाशील वृहद गो-संरक्षण केन्द्र में 300 से कम गोवंश संरक्षित पाये जायेंगे। उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। गोवंश की संख्या की पूर्ति सड़कों पर अथवा खेत में घूम रहे निराश्रित गोवंश को पकड़ कर संरक्षित की जाय। नन्दी अर्थात नर गोवंश हेतु पृथक गो-आश्रय की स्थापना एवं उनके संरक्षण हेतु कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। चैधरी ने विभागीय अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी जनपद में निराश्रित गोवंश घूमते पाये जाने, गोवंश के संरक्षण एवं सुरक्षा में कमी होने, गो-आश्रय स्थल में संरक्षित गोवंश की चारा/औषधि के अभाव में मृत्यु होने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं सम्बंधित पशु चिकित्साधिकारी/उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशुधन प्रसार अधिकारी एवं पशु औषधिक समान रूप से उत्तरदायी माने जायेंगे। गोवंश के मृत्यु होने की दशा में सम्बंधित विभाग/स्थानीय प्रशासन के सहयोग से शव के निस्तारण का उचित प्रबन्धन सुनिश्चित कराया जाये। समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन, सुधीर गर्ग ने निर्देश दिए कि एन0ए0आई0पी0 कार्यक्रम में कम प्रगति वाले जनपद समुचित कार्य एवं इनाफ पर डाटा अंकन करने की कार्यवाही समय से पूर्ण करें अन्यथा सम्बंधित अधिकारी को सीधे जिम्मेदार मान कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अपने जनपद में प्रत्येक दिन तथा पशु चिकित्साधिकारी/उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी स्थानीय गो-आश्रय स्थलों का अनिवार्य रूप से निरीक्षण करेंगे। समीक्षा बैठक में पशुधन विभाग की विशेष सचिव, मंजुलता, निदेशक प्रशासन, डॉ0एस0के0 मलिक,, निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र, डाॅ0 आर0पी0 सिंह, अपर निदेशक डॉ अरविंद कुमार सिंह एवं संयुक्त निदेशक, डॉ विद्याभूषण सिंह, गोशाला द्वारा भी प्रतिभाग किया गया।
निर्माण कार्याें से अपनी अलग पहचान कायम करने का प्रयास करे: जलशक्ति मंत्री
उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा0 महेन्द्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि उ0प्र0 प्रोजेक्ट कोरपोरेशन लि0 (यूपीपीसीएल) द्वारा कराये जा रहे कार्या में गुणवत्ता एवं समयबद्धता अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाय। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बरतने पर सम्बन्धित अधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कार्यस्थल पर कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन भी कराने की अपेक्षा की। जल शक्तिमत्री आज गोमती बैराज के निकट स्थित उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड, मुख्यालय के सभागार में कारपोरेशन को आवंटित कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने विभाग द्वारा नदियों के ड्रेजिंग कार्य, जल जीवन मिशन, विभिन्न चिकित्सालयों में आॅक्सीजन प्लान्ट तथा निर्माण सम्बन्धित सिविल कार्या की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि संस्था को गुणवत्तायुक्त एवं समय से कार्य संपादित करने से और अधिक कार्य मिलेगा। उन्होंने अधिकारियों, से कहा कि वे अधिक से अधिक कार्य लेने के लिए प्रयास करें। कारपोरेशन को निर्माण के मामले में नं0 एक बनाने का प्रयास करें। डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि यूपीपीसीएल को एक बेहतर कार्यदायी संस्था बनाने का लक्ष्य रखे। उन्हांेने अधिकारियों से कहा कि वे अपने दायित्वों को पूरी पारदर्शिता से पूरा करे। उन्होंने अधिकारियों से यह भी अपेक्षा किया कि वे मानक के अनुरूप एवं कार्य समय से पहले कार्य को पूर्ण करायें। उससे जहां कार्यदायी संस्था की पहचान बनेगी वहीं दूसरी तरफ और अधिक कार्य मिलने की संभावना बनेगी। जलशक्ति मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कराये जा रहे कार्यों को नियमित रूप से स्थलीय निरीक्षण किया जाना सुनीश्चित किया जाए। इसके साथ ही अपने अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों को मार्गदर्शन देते रहंे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी अधिकारी अपना एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाये तथा संस्था द्वारा कराये जा रहे कार्याें को सोशल मीडिया पर अपलोड करके उनका व्यापक रूप से प्रचार प्रसार कराये। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि निर्माण स्थलों पर कराये जा रहे कार्या को स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं संबधित विभाग के मा0 मंत्री जी को भी स्थलीय निरीक्षण कराये जाने का आग्रह करें। जलशक्ति मंत्री ने कहा कि मानसून से पूर्व बाढ़ से सुरक्षा के किये कराये जा रहे कार्यों को जनता के साथ ही जनप्रतिनिधियों द्वारा विभागीय अधिकारियों की सराहना की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हए कहा कि सभी कार्य समय से कराये जाये जिससे गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रदेश की जनता को बाढ़ की विभिषिका को सामना नहीं करना पड़ेगा। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव टी0 वेंकटेश ने मा0 मंत्री जी को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिये गये आदेशों का शत प्रतिशत अनुपालन कराया जायेगा। उन्होंने कहा है कि समय से कार्यों को गुणवत्ता पूर्वक पूरा कराना हमारी प्राथमिकता है। समीक्षा बैठक में यूपीपीसीएल के प्रबन्धक निदेशक नवीन कपूर, मुख्य महाप्रबन्धक गोपाल मिश्र तथा अन्य वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
कनहर सिंचाई परियोजना के अवशेष कार्यों हेतु 20 करोड़ रूपये की धनराशि अवमुक्त
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में कनहर सिंचाई परियोजना के लिए प्राविधानित की धनराशि 10180.00 लाख रूपये सापेक्ष 3879.64 तथा 5000.00 लाख रूपये के सापेक्ष 20 करोड़ रूपये परियोजना के अवशेष कार्यों पर व्यय हेतु अवमुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की गयी है। इस धनराशि के सम्बन्ध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 14 जून, 2021 को आवश्यक शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि अवमुक्त की जा रही धनराशि के सापेक्ष कराये जाने वाले कार्यों में मितव्ययिता के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का विशेष रूप से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा बजट मैनुअल के प्राविधानों के अनुसार व्यय का प्रमाण-पत्र शासन को समयान्तर्गत अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। उक्त सन्दर्भ शासनादेश द्वारा प्रश्नगत परियोजना हेतु निर्गत की गयी प्रशासकीय स्वीकृति में उल्लिखित प्रतिबन्ध एवं शर्तें यथावत् रहेंगे।
कैमरी बैराज रामपुर के जल यांत्रिक सयंत्रों के पुनरोद्धार की परियोजना हेतु 01 करोड़ 21 लाख 35 हजार रूपये की धनराशि अवमुक्त
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में कैमरी बैराज रामपुर के जल यांत्रिक सयंत्रों के पुनरोद्धार की परियोजना हेतु प्राविधानित बजट की धनराशि 182.82 लाख रूपये के सापेक्ष 121.35 लाख रूपये अवशेष कार्यों पर व्यय हेतु अवमुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की गयी है। इस धनराशि के सम्बन्ध में विशेष सचिव सिंचाई श्री मुश्ताक अहमद की ओर से 15 जून, 2021 को आवश्यक शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि अवमुक्त की जा रही धनराशि के सापेक्ष कराये जाने वाले कार्यों में मितव्ययिता के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का विशेष रूप से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा बजट मैनुअल के प्राविधानों के अनुसार व्यय का प्रमाण-पत्र शासन को समयान्तर्गत अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। उक्त सन्दर्भ शासनादेश द्वारा प्रश्नगत परियोजना हेतु निर्गत की गयी प्रशासकीय स्वीकृति में उल्लिखित प्रतिबन्ध एवं शर्तें यथावत् रहेंगे। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि परियोजना में कराये जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित के साथ ही समय से पूरा कराये जाने की जिम्मेदारी मुख्य अभियन्ता की होगी।
राजकीय महाविद्यालय जमानिया, गाजीपुर के भवन निर्माण हेतु तीन करोड़ रूपए स्वीकृत
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजकीय महाविद्यालय जमानिया, गाजीपुर के भवन निर्माण हेतु चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु 300.00 लाख रुपए (तीन करोड़ रूपए मात्र) की वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। जारी शासनादेश में निर्देश दिए गए हैं की स्वीकृति की जा रही धनराशि का उपयोग उसी कार्य में किया जाएगा जिस कार्य एवं मद हेतु धनराशि स्वीकृत की जा रही है। स्वीकृत की जा रही धनराशि का उपयोग 31 मार्च 2022 तक किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। प्रायोजना के अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों की डुप्लीकेसी को रोकने की दृष्टि से प्रायोजना की स्वीकृति से पूर्व विभाग द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि यह कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम के अंतर्गत ना तो स्वीकृत है और ना वर्तमान में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम में आच्छादित किया जाना प्रस्तावित है।
प्रदेश में अब तक की रिकॉर्ड गेहूँ खरीद की गयी
उत्तर प्रदेश सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2021-22 में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत अब तक 55.34 लाख मी0टन गेहूँ की खरीद कर ली हैै, जो कि प्रदेश मंे अब तक की रिकाॅर्ड खरीद है। इस योजना से 1265269 किसानों लाभान्वित करते हुए, 8960.92 करोड़ रूपये का भुगतान पी0एफ0एम0एस0 के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खाते में कराया गया।गेहूँ खरीद 22 जून, 2021 तक जारी रहेगी। यह जानकारी प्रदेश के खाद्य आयुक्त मनीष चैहान ने आज यहाँ देते हुए बताया कि प्रदेश में खाद्य तथा रसद विभाग एवं अन्य क्रय एजेंसियों से लगभग 5678 क्रय केन्द्र संचालित हंै। उन्हांेने बताया कि इससे पूर्व प्रदेश में वर्ष 2018-19 में 52.92 लाख मी0टन सर्वाधिक खरीद की गयी थी। वर्ष 2019-20 में 37.04 लाख मी0टन तथा गतवर्ष 2020-21 में 663810 किसानों से कुल 35.76 लाख मी0टन की खरीद की गयी थी। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष खाद्य विभाग ने 14.41 लाख मी0टन, पी0सी0एफ0 ने 26.25 लाख मी0टन, यू0पी0पी0सी0यू0 ने 6.31 लाख मी0टन, यू0पी0एस0एस0 ने 4.31 लाख मी0टन, एस0एफ0सी0 ने 1.11 लाख मी0टन, मण्डी परिषद ने 1.52 लाख मी0टन तथा भारतीय खाद्य निगम ने 1.38 लाख मी0टन खरीद की है।
नाबार्ड वित्त पोषित आरआईडीएफ योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख/अन्य जिला मार्गों के 23 चालू कार्यों हेतु रू0 01 अरब 04 करोड़ 27 लाख की धनराशि की गयी आवंटित
उप्र के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में नाबार्ड वित्त पोषित आरआईडीएफ योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख/अन्य जिला मार्गों के 23 चालू कार्यों के चैड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण हेतु रू0 01 अरब 04 करोड़ 27 लाख की धनराशि का आवंटन उ0प्र0 शासन द्वारा किया गया है। इस सम्बन्ध में आवश्यक शासनादेश उ0प्र0 शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। इन 23 चालू कार्यों में जनपद सुलतानपुर, बलरामपुर, मिर्जापुर व गौतमबुद्ध नगर में 02-02 तथा मथुरा, फिरोजाबाद, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, झांसी, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, मुजफ्फरनगर, बुलन्दशहर, रामपुर, चन्दौली व जौनपुर में 01-01 कार्य शामिल हैं। जारी शासनादेश में सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि नाबार्ड योजनान्तर्गत निर्माणाधीन मार्गों के गुणवत्तायुक्त निर्माण की प्रगति नियमित समीक्षा कर शासन को उपलब्ध करायी जाय। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने निर्देश दिये हैं कि इन कार्यों में वित्तीय नियमों का अक्षरसः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा जारी शासनादेशों में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाय।
वाह्य सहायतित परियोजना अन्तर्गत चैड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के 04 चालू कार्यों हेतु रू 01 अरब 70 करोड़ 63 लाख 97 हजार की धनराशि अवमुक्त
उप्र शासन द्वारा वाह्य सहायतित परियोजना अन्तर्गत चैड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के 04 चालू कार्यों हेतु रू0 01 अरब 70 करोड़ 63 लाख 97 हजार की धनराशि अवमुक्त की गयी है। इस सम्बन्ध में आवश्यक शासनादेश लोक निर्माण द्वारा जारी किया गया है। इन 04 कार्यों में जनपद झांसी में हमीरपुर राठ गुरसराय झांसी मार्ग के प्रथम पैकेज चैनेज 2.065 से 74.850 तक के भाग का उच्चीकरण कार्य तथा हमीरपुर राठ गुरसराय झांसी मार्ग के तृतीय पैकेज चैनेज 118.600 किमी0 से 167.745 किमी0 तक के भाग का उच्चीकरण कार्य, जनपद सीतापुर में गोला-शाहजहांपुर मार्ग (चैनेज 1.280 किमी0 से 58.580 किमी0) का उच्चीकरण कार्य, जनपद मुरादाबाद में बदायूं बिल्सी बिजनौर मार्ग (चैनेज 58.400 किमी0 से 137.820 किमी0) का उच्चीकरण कार्य। जारी शासनादेश में धनराशि का व्यय वित्तीय सुसंगत प्राविधानों व समय-समय पर शासन द्वारा निर्गत शासनादेशों एवं विश्व बैंक के प्राविधानों के अनुरूप करने के निर्देश दिये गये हैं। उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि कार्य की विशिष्टियां, मानक व गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय तथा कार्य ससमय पूर्ण किया जाना सुनिश्चित किया जाय।
सहकारी समिति, गन्ना समिति, ग्राम पंचायतों एवं उद्यानिकी समितियों के माध्यम से कृषि यंत्रों के क्रय पर 80 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री, सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु प्रमोशन आफ एग्रीकल्चरल मैकेनाईजेशन फाॅर इन-सीटू मैनेजमेन्ट आॅफ क्राॅप रेज्ड्यू योजनान्तर्गत चिन्हित 09 कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु 150 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान कर दी है। शाही ने बताया कि स्वीकार की जा रही धनराशि में से किसानों द्वारा व्यक्तिगत रूप से कृषि यंत्रों के क्रय हेतु 68 करोड़ रूपये, ग्राम पंचायतों, सहकारी समितियों, गन्ना समितियों एवं उद्यानिकी समितियों के माध्यम से कृषि यंत्रों के क्रय हेतु 45.40 करोड़ रूपये तथा एफ0पी0ओ0 व पंजीकृत किसान समितियों के माध्यम से कृषि यंत्रों के क्रय हेतु 36 करोड़ रूपये स्वीकार किये गये है। कृषि मंत्री ने बताया कि इन-सीटू योजनान्तर्गत किसानों को व्यक्तिगत रूप से रूपये 5.00 लाख तक के कृषि यंत्र की खरीद पर 50 प्रतिशत का अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। सहकारी समिति, गन्ना समिति, ग्राम पंचायतों एवं उद्यानिकी समितियों के माध्यम से रूपये 5.00 लाख रूपये तक के यंत्र के क्रय पर 80 प्रतिशत का अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है।
क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से उर्वरक विक्रेताओं के भौतिक स्टाॅक का सत्यापन सुनिश्चित किया जाए
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को गुणवत्तायुक्त रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराने एवं उर्वरक का शत् प्रतिशत वितरण सुनिश्चित करने के लिये प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि प्वाइंट आॅफ सेल (पी0ओ0एस0) मशीन के माध्यम से उर्वरक की बिक्री के उपरांत सभी किसानों को कैश मेमो या पर्ची उपलब्ध करायी जाय। साथ ही यह भी निर्देश दिये हैं कि डी0ए0पी0 एवं एन0पी0के0 उर्वरकांे की बिक्री बोरी पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक दर पर न की जाय। ऐसा करने वाले उर्वरक विक्रेताओं पर नियमानुसार कार्यवाही किये जाने के आदेश दिये गये हैं। यह जानकारी अपर मुख्य सचिव कृषि, डाॅ0 देवेश चतुर्वेदी ने देते हुये बताया कि थोक उर्वरक विक्रेता एवं थोक उर्वरक विक्रेता से फुटकर उर्वरक विक्रेता तक स्टाॅक प्राप्त होते ही आई0एफ0एम0एस0 पोर्टल एवं पी0ओ0एस0 मशीन में रीयल टाईम एक्नालेजमेन्ट की व्यवस्था की जाए। भौतिक रूप से जैसे ही उर्वरक का मूवमेंट होता है, वैसे ही आॅनलाईन प्रणाली को अद्यावधिक कराया जाना सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। पी0ओ0एस0 मशीन अथवा एन्ड्रायड फोन या कम्प्यूटर पर बायोमेट्रिक डिवाईस के माध्यम से ही उर्वरकांे की बिक्री की जाए। अपर मुख्य सचिव, कृषि ने बताया कि किसानों को पहचान पत्र के आधार पर उनकी जोत एवं फसल हेतु संस्तुत मात्रा के अनुसार ही उर्वरक उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं ताकि महंगे उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग एवं कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों में दुरूपयोग को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से जनपद में बफर गोदामों एवं थोक उर्वरक विक्रेताओं के भौतिक स्टाॅक का आईएफएमएस पोर्टल के अनुसार तथा फुटकर उर्वरक विक्रेताओं के भौतिक स्टाॅक का पी0ओ0एस0 मशीन से मिलान करते हुये सत्यापन की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
जून माह में अंत्योदय कार्डधारकों को 03 किलो चीनी 18 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से दी जायेगी
राज्य सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आच्छादित सभी अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी राशन कार्डधारकों को जून, जुलाई एवं अगस्त के महीने में मुफ्त राशन उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा अंत्योदय कार्डधारकों को जून माह में 03 किलोग्राम चीनी का वितरण 18 रू प्रति किलोग्राम की दर से किया जाएगा। इस सम्बन्ध प्रदेश के खाद्य आयुक्त श्री मनीष चैहान द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। यह जानकारी प्रदेश के अपर खाद्य आयुक्त, अनिल कुमार दुबे ने आज यहाँ देते हुए बताया कि माह जून, 2021 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अन्तर्गत आवंटित खाद्यान्न का द्वितीय चक्र में 20 जून से 30 जून के मध्य वितरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत वितरण की अन्तिम तिथि 30 जून, 2021 होगी, जिस दिन आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से खाद्यान्न प्राप्त न कर सकने वाले उपभोक्ताओं हेतु मोबाइल ओ.टी.पी. वेरीफिकेशन के माध्यम से वितरण सम्पन्न किया जा सकेगा। अपर आयुक्त ने बताया कि इस अवधि में अन्त्योदय कार्डधारकों को 35 किग्रा0 खाद्यान्न (20 किग्रा0 गेहूं तथा 15 किग्रा0 चावल) तथा पात्र गृहस्थी राशन कार्डों से सम्बद्ध यूनिटों पर 05 किग्रा0 खाद्यान्न प्रति यूनिट (03 किग्रा0 गेहूं व 02 किग्रा0 चावल) का निःशुल्क वितरण लाभार्थियों में सुनिश्चित कराया जायेगा। दुबे ने बताया कि चीनी के वितरण में पोर्टेबिलिटी की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। अन्त्योदय राशन कार्डधारक अपनी मूल उचित दर दुकान से ही चीनी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि मुफ्त वितरण का सत्यापन होने के बाद उचित दर विक्रेता को उसको अनुमन्य धनराशि उसके खाते में जिलाधिकारी द्वारा जमा कराये जाने की कार्यवाही की जाएगी।