By नीरज कुमार दुबे | Apr 01, 2023
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन, राहुल गांधी और जी-20 से संबंधित मुद्दों पर कुछ अहम बातें देश के समक्ष रखी हैं जोकि चर्चा का विषय बन गयी हैं। एक टीवी चैनल के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ ‘अधूरे काम’ हैं और दोनों ओर की सेनाएं तथा राजनयिक मुद्दे का हल निकालने के लिए काम कर रहे हैं। इसके साथ ही जयशंकर ने चीन के साथ एलएसी पर हालात की तुलना यूक्रेन संघर्ष से करने के राहुल गांधी के प्रयास की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘आज यूक्रेन में जो हो रहा है, अगर आप दोनों पक्षों को सुनें तो, एक पक्ष कहेगा कि वह नाटो के विस्तार और यूक्रेन की सरकार की प्रकृति से खतरा महसूस कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम कहेगा कि रूस की विस्तारवादी मंशा है। भारत और चीन के बीच क्या है? यहां कोई नाटो नहीं है, सत्ता की कोई प्रकृति नहीं है। मुझे कहीं से तुलना नजर नहीं आती है।’’
जयशंकर ने चीन से संबंधित मुद्दे पर यह भी कहा कि ऐसी ‘‘बेबुनियाद अफवाहें’’ फैलायी जा रही हैं कि भारत के गश्ती इलाकों में ‘बफर जोन’ छोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गलवान संघर्ष 2020 के बाद से सेना और कूटनीति के संयोग से कुछ प्रगति हुई है, लेकिन उन्होंने माना कि दोनों पक्ष ‘‘सबकुछ सुलझाने में सक्षम’’ नहीं हुए हैं। एलएसी पर वर्तमान स्थिति के संबंध में जयशंकर ने कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ है वह परस्पर सहमति और बातचीत से हुआ है। लेकिन अभी भी काम अधूरे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ संबंध को समझने के लिए व्यक्ति को दोनों देशों के बीच की समस्या की प्रकृति को भी समझना होगा।
राहुल गांधी मुद्दे पर बयान
वहीं राहुल गांधी की संसद से अयोग्यता मुद्दे पर उन्हें मिल रहे विदेश से समर्थन के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि किसी विदेशी राजनयिक ने लोकसभा से राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किए जाने का मुद्दा नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को उसी कनून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है, जिसका उन्होंने खुद समर्थन किया था। जयशंकर ने कहा कि लोकसभा सदस्य के रूप में राहुल गांधी की अयोग्यता इसलिए हुई है क्योंकि उन्होंने चार साल पहले एक समुदाय के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर अफसोस जताने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘कानून तो कानून है, जब तक कोई यह ना मान ले कि कानून उसके लिए नहीं बना है।’’ यह पूछने पर कि क्या किसी राजनयिक ने उनके समक्ष यह मुद्द उठाया है, जयशंकर ने ‘ना’ में जवाब दिया।
यह पूछने पर कि वह अपने समकक्षों के सामने इस मामले को कैसे स्पष्ट करेंगे, जयशंकर ने कहा, ‘‘चार साल पहले राहुल गांधी ने सार्वजनिक सभा में एक समुदाय के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी। यह सार्वजनिक रिकॉर्ड में है। उस समुदाय के एक सदस्य ने इस पर तकलीफ माना और कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी के पास अफसोस जताकर इस मामले को खत्म करने का अवसर था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करना चुना। जयशंकर ने कहा कि यह कानून सत्तारुढ़ दल सहित करीब 10-12 निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर लागू हो चुका है।
जी-20 पर बयान
वहीं दूसरी तरफ जी-20 मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि भारत जी20 को वैश्विक समृद्धि और विकास के उसके असल मुद्दे पर वापस ले आया है, जबकि यह संगठन साल भर पहले तक यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर चर्चा कर रहा था और उससे प्रभावित हो रहा था। जयशंकर ने कहा कि जी20 वास्तविकता में वैश्विक शांति और सुरक्षा पर चर्चा करने वाला मंच नहीं था तथा भारत चाहेगा कि यह (जी20) दुनिया के कुछ 200 देशों से जुड़े मुद्दों पर लौट आए। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारा योगदान जी20 को जी20 के वास्तविक लक्ष्य पर वापस लाना है। जी20 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर चर्चा के लिए प्राथमिक मंच नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा जैसे मुद्दे मायने रखते हैं, लेकिन खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, देशों के लिए हरित वित्तपोषण जैसे गंभीर मुद्दे भी हैं।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने जी20 को भविष्य के लिए अच्छा विषय दिया है... वैश्विक कौशल मैपिंग। दुनिया में कहां-कहां कौशल है और दुनिया में किन-किन जगहों पर उसकी मांग है। वे दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में हैं। ऐसे में हम उन्हें साथ कैसे लाएं? मुझे लगता है कि विचार के लिहाज से हमने जी20 को यह बेहद दिलचस्प मुद्दा दिया है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि जी20 का वास्तविक लक्ष्य दुनिया की समृद्धि और विकास है। जयशंकर ने कहा, ‘‘पिछले साल यूक्रेन संघर्ष के कारण, मुझे लगता है कि बातचीत एक दिशा में होने लगी। उक्त मुद्दे का अपमान किए बगैर हम चाहेंगे कि वहां लौटा जाए जो 200 देशों के लिए मायने रखता है।’’ उन्होंने कहा कि जी20 के वित्त मंत्रियों की बैठक और विदेश मंत्रियों की बैठक में 95 फीसदी मुद्दों पर सहमति बनी। विदेश मंत्री ने ‘‘वैश्विक दक्षिण की आवाज बनने’’ के भारत के प्रयासों की प्रशंसा की और ‘जी20 की अध्यक्षता पाने के लिए की गई कड़ी मेहनत’ और संगठन को कुछ नया देने के बारे में बताया। जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं इस तथ्य में संतुष्टि देखूंगा कि बेंगलुरु में वित्त मंत्रियों की बैठक और दिल्ली में हमारी (विदेश मंत्रियों की) बैठक में हम जी20 को पटरी पर लाने में सफल रहे।’’