नई दिल्ली। अगस्त से खाली पड़ी डिप्टी गवर्नर की पोस्ट अब भर चुकी है। इस पोस्ट को अब माइकल पन्ना सभांलेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के नए डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा इस पद पर तीन साल के लिए रहेंगे। जान लें कि माइकल पात्रा डिप्टी गवर्नर पद के साथ-साथ आरबीआई के कार्यकारी निदेशक व मौद्रिक नीति समिति के सदस्य भी हैं। डिप्टी गवर्नर के पद पर पहले विरल आचार्य थे लेकिन व्यकितगत कारणों से उन्होनें साल 2019, जुलाई महीनें में इस पद से इस्तीफा दे दिया था और तब से यह पद खाली पड़ा हुआ था। अब आचार्य की जगह पात्रा इस पद की जिम्मेदारी सभांलेंगे।
आरबीआई के तीन डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन, बीपी कनुनगो और एमके जैन के साथ चौथे डिप्टी गवर्नर का पद माइकल पन्ना को मिला है। जिस तरह आचार्य मौद्रिक नीति समिति के कार्यभार का संचालन करते थे उसी तरह अब पात्रा इस समिति के कार्यभार का संचालन करेगें।
28 सालों में पहली बार हुआ ऐसा
जान लें कि इस पद पर सालों से सेंट्रल बैंक के बाहर के अर्थशास्त्रियों का चुना जाता है लेकिन पहली बार ऐसा देखने को मिला कि इस पद के लिए आरबीआई के अंदर के ही सदस्य को चुना गया। आचार्य के इस्तीफे के बाद डिप्टी गवर्नर के इस पद की रेस में 10 लोगों के नाम थे जिसमें से एक माइकल पात्रा का भी नाम था और वही इस खास पद के लिए चुने गए।
माइकल पात्रा ने साल 2017 से ही अपने कॅरियर की शुरूआत आरबीआई से की और वर्तमान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास से उनकी सोच मौद्रिक नीति को लेकर काफी मिलती-जुलती है। बार-बार आरबीआई के रेपो रेट में हो रही कटौती में पन्ना ने हमेशा से ही शक्तिकांत दास के पक्ष में मतदान किया है और हमेशा से इस मामले में उनके समर्थक रहे हैं। इससे पता चलता है कि पात्रा और दास का एक-दूसरे के साथ काफी बेहतर तालमेल है।
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कौन हैं माइकल पात्रा?
माइकल पात्रा का पूरा नाम माइकल देवव्रत पात्रा है। इन्होंने IIT मुबंई से इकोनोमिक्स में पीएचडी की है। 1985 से पन्ना आरबीआई से जुड़े हुए हैं और उन्होंने तब से कई पदों में काम किया है। पात्रा आरबीआई में मौद्रिक नीति विभाग से पहले आर्थिक विभाग के सलाहकार थे।
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