By अनन्या मिश्रा | Jan 17, 2025
आज ही के दिन यानी की 17 जनवरी को तमिल इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता एम जी रामचंद्रन का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन था। एमजी रामचंद्रन ने अभियन के अलावा राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई थी। वह साउथ में एम जी आर के नाम से काफी पॉपुलर थे। दक्षिण की फिल्मों से लेकर राजनीति तक में उन्होंने अपनी हैसियत बुलंद की थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर एम जी रामचंद्रन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
नवलपिटिया में 17 जनवरी 1917 को एम जी रामचंद्रन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम गोपाल मेनन और माता का नाम मुरुथर सत्यभामा था। पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां एमजी रामचंद्रन और उनके भाई को लेकर भारत आ गईं। जहां पर उनके परिवार को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। अपने परिवार की मदद करने के लिए रामचंद्रन ने जल्दी ही स्कूल छोड़ दिया और मद्रास प्रेसीडेंसी में फलते-फूलते नाटक जगत में अपने लिए अवसर तलाशने चले गए। फिर साल 1920 के दशक में वह फेमस थिएटर मंडली मदुरै ओरिजनल बॉयज कंपनी में शामिल हो गए। इसके साल साल 1930 में वह नाटक से फिल्मों में चले गए।
फिल्मी करियर
बता दें कि साल 1936 में 'साथी लीलावती' के साथ एम जी आर ने अपने करियर की शुरूआत की थी। फिर साल 1950 में करुणानिधि द्वारा लिखित एक्शन रोमांस फिल्म में काम किया। इसके बाद साल 1954 में 'मलाइक्कलन' के साथ एम जी आर की पॉपुलिरिटी बढ़ी। एम जी आर ने मिल फिल्म उद्योग की पहली कलर फिल्म अलीबाबावुम 40 थिरुदारगलुन में काम किया था। फिर साल 1972 में रिक्षावकरण में भी काम किया। इस फिल्म के लिए एम जी रामचंद्रन को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। वह तमिल इंडस्ट्री के बहुत बड़े स्टार थे।
राजनीतिक सफर
साल 1953 में एमजीआर ने डीएमएक पार्टी को ज्वाइन किया था। फिर साल 1962 में वह राज्य विधान परिषद के सदस्य बनें और 50 साल की आयु में तमिलनाडु विधानसभा सदस्य चुने गए। वहीं डीएमके के संस्थापक अन्नादुरई के निधन के बाद साल 1969 में करुणानिधि राज्य के सीएम बनें और एमजीआर कोषाध्यक्ष बनाए गए। इस दौरान उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे और उनको पार्टी से निकाल दिया गया था।
इसके बाद एम जी रामचंद्रन तमिल अभिनेत्री जयललिता को राजनीति में लेकर आए। एम जी रामचंद्रन ने साल 1982 में अन्नाद्रमुक की सदस्यता ग्रहण की और 1983 में उनको प्रचार प्रमुख बनाया गया।
मृत्यु
बता दें कि 24 दिसंबर 1987 को मद्रास वर्तमान में चेन्नई में एमजी रामचंद्रन का लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मृत्यु हो गई थी। उनके अंतिम संस्कार में करीब 2 मिलियन शोक सभाएं हुई थीं।