By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 12, 2019
चूरू (राजस्थान)। पारे के 30 डिग्री पर पहुंचते ही कूलर और 35 डिग्री पर पहुंचते ही एसी चला लेने वाले इस समय में लोग 50 डिग्री वाली गर्मी में दिन कैसे काटते होंगे? यह जानने के लिए आपको राजस्थान के इस शहर चूरू में आना होगा जहां की गर्म दुपहरियों की चर्चा दुनिया भर कर रही है। चूरू इलाके में इन्हीं गर्मियों में तीन बार पारा आधिकारिक रूप से 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। लेकिन दोपहर के कुछ घंटों को छोड़ दें तो यहां जनजीवन सामान्य ही चल रहा है। शादियां हो रही हैं, खेतों में काम हो रहा है और दफ्तर कार्यालय दुकानें भी आम दिनों की तरह ही खुलती और बंद होती हैं। हालांकि लोग मानते हैं कि इस बार गर्मी कुछ ज्यादा ही गर्म है।
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मौसम विभाग का कहना है कि एक जून को चूरू में पारा 50.8 डिग्री सेल्यियस दर्ज किया गया जो लगभग 25 साल का रिकॉर्ड है। इससे पहले 1993 की गर्मियों में चूरू में पारा 49.8 डिग्री सेल्सियस रहा था। चूरू कस्बे के राजवीर सिंह कहते हैं कि इस साल गर्मी कुछ ज्यादा ही तीखी है। वह कहते हैं, हमें गर्मियों में 47—48 डिग्री और सर्दियों में शून्य से कम तापमान की आदत है। लेकिन इस बार तो बला की गर्मी पड़ रही है।
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हालांकि फिर भी जीवन चल रहा है। काम हो रहा है। बस समय बदल गया है। अब दिन जल्दी शुरू हो जाता है क्योंकि 8-9 बजे तक तो सूरज अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है और तपन हो जाती है। इसलिए किसान खेतीबाड़ी का काम तड़के चार बजे शुरू कर आठ बजे तक निपटा लेते हैं। फिर तो वे दिन ढले छह सात बजे ही खेतों का रुख करते हैं। चूरू की रिकार्डतोड़ गर्मी के आगे कूलर एसी सब मानों फेल हैं। बचाव के रूप में लोग घर आंगन में बार बार पानी का छिड़काव करते हैं ताकि तपन कम हो। इसके अलावा अगर मजबूरी में बाहर निकलते हैं तो चेहरा व सिर पूरी तरह साफे गमछे से ढककर।
गर्मी की हालत यह है कि दोपहर एक बजे से चार पांच बजे के दौरान तो कस्बे में मानों कर्फ्यू लग जाता है। बहुत ही मजबूरी में लोग घरों से बाहर निकलते हैं और दुकानदार भी घर या दुकान में सुस्ता लेते हैं। चूरू में पड़ने वाली तेज गर्मी की एक वजह शायद इलाके में पेड़ों की कमी भी है। वन अधिकारियों का कहना है कि चूरू के केवल 0.44 प्रतिशत भूभाग में ही वन हैं।