महबूबा, अब्दुल्ला सभी का डर एक, कश्मीर की सियासत को कैसे बदल सकता है इंजीनियर?

By अभिनय आकाश | Sep 12, 2024

न महबूबा न उमर न फारुक कश्मीर के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार इस बार सुर्खियों में हैं। निर्दलीय उम्मीदवार 40 साल के बाद एक बार फिर बड़ी संख्या में ताकतवर पार्टियों को सीधी टक्कर देते दिख रहे हैं। ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियां बीजेपी पर निर्दलीय उम्मीदवारों के कंधे पर चुनाव लड़ने का आरोप लगा रही है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के एक बयान ने सियासी पारा और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन 20 सीट और जीत जाती तो 400 पार का नारा देने वाले जेल में होते। जिस पर वार पलटवार जारी है। लेकिन सवाल यही है कि क्या कश्मीर में निर्दलयी किंग मेकर की भूमिका में होने वाले हैं? कश्मीर में सियासी इंजीनियरिंग की कवायद क्यों तेज हो गई है?

अबकी बार 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई। अपने सहयोगी दलों की मदद से सरकार बनाई। अब बीजेपी के 400 पार वाले नारे लेकर तंज कस रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू कश्मीर के अनंतनाद में बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि कहां गए 400 पार वाले। वो 240 सीट पर सिमट गए। अगर इंडिया गठबंधन की 20 सीट और आ जाती तो ये सारे लोग जेल में होते। ये जेल में रहने के लायक हैं। वहीं इंजीनियर राशिद की रिहाई को लेकर भी सियासत गर्माई है। महबूबा मुफ्ती ने इशारों इशारों में बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि जेल में बंद किसी गरीब व्यक्ति के माता पिता को उससे मिलने की इजाजत नहीं। लेकिन कुछ लोग जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। 

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पीडीपी और एनसी को निर्दलयी से डर लग रहा है?

कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की टेंशन इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि राशिद इंजीनियर ने 35 से 40 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। जम्मू कश्मीर में जिस तरह से राशिद इंजीनियर का कद बढ़ा है। इस्लामिक कट्टरपंथी और अलदाववादी विचारधारा ,से हमदर्दी रखने वाला एक तबका राशिद के पाले में जा सकता है। ऐसा होने पर घाटी के समीकरण पूरी तरह से बदल जाएंगे। बीजेपी को जम्मू की 43 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। वहीं अगर कश्मीर की 47 सीटों पर वोट अगर बंट जाते हैं तो उसके लिए और अच्छा होगा। लोकसभा चुनाव में इंजीनियर के हाथों शिकस्त खाने वाले उमर अब्दुल्ला यही प्रचारित करने में जुटे हैं कि राशिद बीजेपी से मिले हुए हैं। 

क्या इंजीनियर राशीद की पार्टी बीजेपी की बी टीम है?

इंजीनियर राशीद 2 अक्टूबर तक के लिए अंतरिम जमानत पर बाहर आए हैं। बारामूला सीट से लोकसभा चुनाव लड़ते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को 2 लाख से ज्यादा मतों से हरा दिया। अब विधानसभा चुनाव में भी वो अपने कई कैंडिडेट उतार रहे हैं। अतंरिम जमानत पर बाहर आने को लेकर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इन पर इतनी मेहरबानी क्यों? इससे पहले अदालत ने रशीद को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए पांच जुलाई को हिरासत के तहत पैरोल दी थी। मीडिया से बात करते हुए राशिद ने कहा कि कश्मीर के लोगों से ज्यादा किसी और को शांति की जरूरत नहीं है, लेकिन यह शांति हमारी शर्तों पर आएगी” न कि केंद्र सरकार की तय शर्तों पर।

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तीन चरणों में चुनाव होंगे

जम्मू-कश्मीर की 90-सदस्यीय विधानसभा के लिए 18 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच तीन चरणों में चुनाव होंगे। नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। रशीद की पार्टी अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। विधानसभा चुनाव के समय अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जे से लैस जम्मू-कश्मीर अब राज्य के दर्जे से भी वंचित है। उस चुनाव में दो सबसे बड़ी और मिलकर सरकार बनाने वाली पार्टियां पीडीपी और बीजेपी एक-दूसरे की धुर विरोधी हो चुकी हैं।

नए दौर की उम्मीद 

 जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में शुरू से विशिष्ट रहा है। इसकी तुलना अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों से नहीं की जा सकती। बड़ी बात यह है कि पार्टियां एक-दूसरे के बारे में चाहे जो भी कहें, ये सभी भारतीय संविधान के तहत लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव में हिस्सेदारी कर रही हैं और जनादेश को भी स्वीकार करेंगी। सबकी नजरें ईवीएम से निकलने वाले इसी जनादेश पर है। उम्मीद है कि यहां से जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक विकास और शांति-समृद्धि का नया दौर शुरू होगा।


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