By अभिनय आकाश | Apr 02, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज दुनियाभर में रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा करेंगे। ट्रंप आज शाम रोज गार्डन में 'मेक अमेरिका वेल्दी अगेन इवेंट में भाषण देंगे। इसी इवेंट में रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर घोषणा होगी। टैरिफ को लेकर अस्पष्टता के बीच एक अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली। ट्रंप का मानना है कि इस फैसले से अमेरिका के ट्रेड डेफिसिट को कम करने और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। घरेलू शेयर बाजारों में पिछले सत्र की गिरावट के बाद आज शुरुआती कारोबार में तेजी लौटी। शेयर बाजार में आई तेजी के कारणों को आइए विस्तार से जानते हैं।
1. एशियाई बाजार में मिलाजुला रुख
एशियाई बाजारों में तेजी देखने को मिली है। घबराए हुए निवेशक डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, हालांकि इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनके पास क्या है, जिससे ट्रेडिंग फ्लोर पर अनिश्चितता बढ़ रही है। वॉल स्ट्रीट पर, एसएंडपी 500 21.22 अंक या 0.38 प्रतिशत बढ़कर 5,633.07 पर बंद हुआ, जबकि नैस्डैक कंपोजिट 150.60 अंक या 0.87 प्रतिशत बढ़कर 17.449.89 पर बंद हुआ। व्यापार नीतियों में पिछली अनिश्चिचता को देखते हुए अस्थिरता बनी रह सकती है।
2. लार्ज कैप शेयरों में निचले स्तर की खरीदारी
एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे ब्लू-चिप शेयरों में खरीदारी के कारण पिछले सत्र में तेज गिरावट के बाद बुधवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क सूचकांकों में उछाल आया। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, मारुति, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, जोमैटो और अदानी पोर्ट्स शामिल हैं। नेस्ले, अल्ट्राटेक सीमेंट, हिंदुस्तान यूनिलीवर और टाटा मोटर्स पिछड़ गए। । इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक की अगली मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग जल्द होने वाली है, जिससे बाजार को संकेत मिल सकते हैं।
3. बाजार में घबराहट कम हो रही
शेयर बाजार में डर का संकेत देने वाला इंडिया वोलेटिलिटी इंडेक्स आज कारोबार के दौरान 0.89% गिरकर 13.66 पर आ गया, जिससे संकेत मिलता है कि बाजार में घबराहट कम हो रही है।
भारत पर पड़ सकता है क्या असर
अमेरिका के भारतीय उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने से कृषि, बहुमूल्य पत्थर, रसायन, औषधि, चिकित्सकीय उपकरण, इलेक्ट्रिकल व मशीनरी सहित क्षेत्रों के सामान प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन क्षेत्रों में उच्च शुल्क अंतर के कारण अमेरिकी प्रशासन से अतिरिक्त सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। भारत और अमेरिका के बीच संभावित शुल्क अंतर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है। रसायनों तथा औषधि पर यह अंतर 8.6 प्रतिशत, प्लास्टिक पर 5.6 प्रतिशत, वस्त्र व परिधान पर 1.4 प्रतिशत, हीरे, सोने तथा आभूषणों पर 13.3 प्रतिशत, लोहा, इस्पात व आधार धातुओं पर 2.5 प्रतिशत. मशीनरी व कंप्यूटर पर 5.3 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक पर 7.2 प्रतिशत और वाहन तथा उसके घटकों पर 23.1 प्रतिशत है। एक निर्यातक ने कहा शुल्क अंतर जितना अधिक होगा, क्षेत्र उतना ही अधिक प्रभावित होगा।
किन-किन सेक्टरों पर पड़ेगा असर
भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक निर्यातक औषधि क्षेत्र, जो 2024 में 12.72 अरब अमेरिकी डॉलर का था, उसे 10.90 प्रतिशत शुल्क अंतर का सामना करना पड़ेगा। इससे जेनेरिक दवाओं और विशेष दवाओं की लागत बढ़ेगी। 11.88 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात वाले हीरे, सोने व चांदी पर 13.32 प्रतिशत शुल्क वृद्धि हो सकती है, जिससे आभूषणों की कीमतें बढ़ेंगी व प्रतिस्पर्धा कम होगी। इसी तरह, 14.39 अरब अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रिकल, दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक निर्यात पर 7.24 प्रतिशत शुल्क है।