By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 02, 2023
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बृहस्पतिवार को मंत्रियों से मुलाकात के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया और सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा। साथ ही जरांगे ने कहा कि जब तक सभी मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, वह तब तक अपने घर में प्रवेश नहीं करेंगे। इससे पहले एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान जरांगे ने मांग की कि मराठों को आरक्षण पूरे महाराष्ट्र में दिया जाना चाहिए। और अधिकारियों सहित अन्य लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे से उनके गांव में मुलाकात की थी। सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाले विधायक बच्चू कडू भी इस मौके पर मौजूद थे।
जरांगे मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 25 अक्टूबर से जालना जिले के अपने गांव अंतरवाली सरती में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे। जरांगे ने बुधवार शाम को कहा था कि वह अब से पानी भी नहीं पीएंगे, हालांकि इससे पहले दिन में एक सर्वदलीय बैठक में आरक्षण की मांग का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया था और उनसे अनशन समाप्त करने की अपील की गई थी। प्रतिनिधिमंडल के साथ बृहस्पतिवार को मीडिया के सामने हुई चर्चा के दौरान जरांगे ने मांग की कि सरकार को मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराना चाहिए और इसके लिए कई टीम लगानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने वाला एक सरकारी आदेश पारित किया जाना चाहिए और पूरे (महाराष्ट्र) शब्द को शामिल किया जाना चाहिए।
सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है, जो उन्हें या उनके पूर्वजों को कुनबी बताने वाले पुराने रिकॉर्ड पेश कर सकते हैं। कुनबी, एक कृषक समुदाय है जिसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण मिलता है। जरांगे ने सवाल किया, ‘‘जब अन्य जातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है तो मराठों को क्यों नहीं मिल रहा?’’ प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने उनसे कहा कि आरक्षण एक या दो दिन में नहीं दिया जा सकता, लेकिन मराठा समुदाय को यह जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा कि समुदाय का पिछड़ापन अभी तक स्थापित नहीं हुआ है और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार साक्ष्य इकट्ठा करने का काम चल रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे को बताया कि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय न्यायिक पड़ताल में टिक नहीं पाएगा और समुदाय के पिछड़ेपन को मापने के लिए एक नया आयोग बनाया जा रहा है।