क्या खिचड़ी पका रहे किसान ? राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से की मुलाकात

By अनुराग गुप्ता | May 07, 2022

नयी दिल्ली। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से शनिवार को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता समेत कई किसान नेताओं ने मुलाकात की। आपको बता दें कि कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चिंतिन शिविर के लिए गठिन किसान एवं कृषि समिति का संयोजक बनाया था और इस शिविर से पहले कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होने वाली है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है। ऐसे में किसान नेताओं ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर चर्चा की। 

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एमएसपी पर बने गारंटी कानून

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, राकेश टिकैत समेत तमाम किसान नेताओं ने एमएसपी पर गारंटी कानून को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ विस्तृत चर्चा की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने कहा कि एमएसपी से कम फसल को कोई भी खरीदता है तो उसके लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए। एमएसपी की गारंटी मिले। इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं। देशभर से कई राज्यों से किसान नेता यहां मुलाकात के लिए आए और अपने सुझाव दिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों की मांग है कि एमएसपी गारंटी कानून के तहत सरकार या फिर कोई निजी संस्था फसलों की खरीद करे और एमएसपी से कम कीमत पर किसी भी खरीदारी पर रोक लगनी चाहिए। इसके अलावा किसानों ने कहा कि सरकार की आयात-निर्यात नीति से उन्हें नुकसान नहीं होना चाहिए।

उदयपुर में होगा चिंतन शिविर

कांग्रेस का तीन दिवसीय चिंतन शिविर उदयपुर में आयोजित होगा। जिसमें देश भर के पार्टी नेता आंतरिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और संगठन को मजबूत बनाने के लिए समाधान सुझाएंगे। यह शिविर 13 से 15 मई तक चलेगा और इसमें पार्टी के करीब 400 शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना है, जो अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे और फिर साझा रणनीति बनाकर पार्टी को मजबूत करने के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने की कोशिश करेंगे। 

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गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 378 दिनों तक चला था। इस दौरान किसानों ने दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर धरना दिया था। हालांकि 11 दिसंबर, 2021 को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया और फिर उसे संसद के रास्ते वापस ले लिया गया था। इस दौरान किसानों को आश्वासन दिया गया कि एमएसपी को लेकर कमेटी का गठन किया जाएगा।

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