भगवान भोलेनाथ हर तरह की इच्छाओं की पूर्ति करते है। रविवार 4 अगस्त से मन की इच्छाओं की पूर्ति करने वाला भगवान महादेव का मंशा महादेव व्रत प्रारंभ हो रहा है। जिसे मध्यप्रदेश और राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में कई महिला व पुरुषों द्वारा किया जाता है। यह व्रत कोई साधारण व्रत नहीं है। इस व्रत को करने से भगवान शिव मन की इच्छाओं को पूरा करते है। यह व्रत श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी से प्रारंभ होता है जो कार्तिक माह के शुल्क पक्ष की विनायक चतुर्थी को समाप्त होता है। चार माह तक चलने वाले इस व्रत को लेकर काफी कथाएं प्रचलित है। व्रत के दौरान चार माह में आने वाले हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा की जाती है। आज हम आपको भगवान शिव के मंशा महादेव व्रत के बारे में बताएंगे।
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कैसे करें मंशा महादेव व्रत-
मंशा महादेव व्रत को करने से भगवान शिव मन की इच्छाओं की पूर्ति करते है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी को यह व्रत प्रारंभ होता है। इस दिन शिव मंदिर पर शिवलिंग का पूजन करें। मंशा महोदव व्रत के लिए भगवान शिव या नंदी बना हुआ तांबा या पीतल का सिक्का बाजार से खरीद लाएं। इसे स्टील की छोटी सी डिब्बी रख लें। मंदिर पर शिवलिंग का पूजन करने से पहले सिक्के का पूजन करें फिर शिवलिंग का पूजन करें और सूत का एक मोटा कच्चा धागा लें। अपनी मन की इच्छा महादेव को कहते हुए इस धागे पर चार ग्रंथी (गठान) लगा दें। विद्वान ब्राह्मण से मंत्रोच्चार के साथ संकल्प छोड़ दें और कथा का श्रवण करें। जिसके बाद भगवान शिव का भोग लगाकर उनकी आरती उतारे। इस तरह कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी तक यह व्रत करें और इस दौरान आने वाले हर सोमवार को शिवलिंग और सिक्के की इसी तरह पूजा करें। व्रत का समापन कार्तिक माह की विनायक चतुर्थी के दिन करें। इस दिन धागे पर लगी हुई ग्रंथियां छोड़ दें और भगवान शिव को पौने एक किलो आटे से बने लड्डुओं का भोग लगायें और लड्डुओं को वितरित कर दें।
चार वर्ष तक करें व्रत, पूजन विधि-
भगवान शिव का यह व्रत चार वर्ष का रहता है। हर वर्ष यह व्रत सिर्फ चार महीने ही करना रहता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव बड़ी से बड़ी मन की इच्छा की पूर्ति करते है। श्रावण से कार्तिक माह तक के हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा करें। सोमवार को शिवलिंग को दूध दही से स्नान करायें। फिर स्वच्छ जल से स्नान करायें। शिवलिंग पर चंदन, अबिर, गुलाल, रोली, चावल चढ़ायें। जिसके बाद बेल पत्र और फूल-माला शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसी तरह व्रत की सिक्के की भी पूजा करें। व्रत के पहले दिन धागे पर ग्रंथी लगाई है उसे सिक्के के पास ही रखे। व्रत के समापन के दिन ही धागे की ग्रंथी खोल दें। हर वर्ष भिन्न -भिन्न इच्छाओं को लेकर भी यह व्रत कर सकते हैं।
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इन चीजों से रहें दूर, यह नियम रखें-
चार वर्ष के इस व्रत में चार महीने ही खास रहते है। इन चार महीनों में भगवान शिव की पूरे ध्यान से पूजा करें। व्रत के दौरान जमीन पर शयन करें, मांस, मदिरा और नशीली चीजों से दूर रहें। ब्रम्हचर्य का पालन करें और किसी स्त्री के बारे में बुरा ना सोंचे तथा व्रत के चार माह के दौरान अदरक, प्याज, लहसुन का सेवन बिल्कुल ना करें। यह नियम रखने से भगवान शिव आपकी इच्छाएं जल्दी ही पूरी कर देंगे। इन नियमों का पालन नहीं करने से भगवान शिव नाराज भी हो सकते हैं।
मंशा महादेव व्रत का इतिहास, कथा-
बताया जाता है कि यह मंशा महादेव व्रत देवी-देवताओं के द्वारा किया गया था। जिसे मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। बताया जाता है भगवान इंद्र जब चन्द्रमा के श्राप से कुष्ठ रोग से पीडित हो गए थे तो उन्होने यह व्रत कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। इसी तरह माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था तथा शिवजी के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने भी यह व्रत किया था। कार्तिकेय भगवान ने इस व्रत की महिमा मंशा राम ब्राह्मण नामक व्यक्ति को बताई थी। जिसके द्वारा व्रत करने से उसे अवंतिकापुरी के राजा की कन्या पत्नी रूप में प्राप्त हुई थी।
- कमल सिंघी