By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 15, 2023
इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पूर्वोत्तर राज्य के कुकी बहुल जिलों के लिए अलग प्रशासन की 10 विधायकों की मांग सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दी कि ‘‘मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं कि ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन’ नामक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले उग्रवादी अपने निर्धारित शिविरों में लौट जाएं। सिंह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए रविवार को दिल्ली गए थे। मुख्यमंत्री ने लोगों से इस महीने की शुरुआत में बहुसंख्यक मेइती और कुकी समुदायों के बीच हुए जातीय दंगों के बाद राज्य के संवेदनशील दौर से गुजरने के मद्देनजर लोगों से धरना या रैलियां न करने की भी अपील की।
उन्होंने यह भी कहा कि दंगों के बीच राज्य में राजमार्गों पर कुछ समूहों द्वारा लगाए गए अवरोधकों को हटाने के लिए बल का प्रयोग नहीं किया जाएगा और इसके बजाय ‘‘इन प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के प्रयास किए जाएंगे।’’ यहां एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत में सिंह ने कहा, ‘‘मैं लोगों को आश्वस्त करता हूं कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (एसओओ) समूहों को उनके शिविरों में वापस भेजने तथा राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों को मजबूती देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निगरानी में कदम उठाए जा रहे हैं।’’ सिंह ने कहा कि उन्होंने तथा उनके साथ दिल्ली गए मंत्रियों ने शाह को राज्य में मौजूदा हालात के बारे में बताया और ‘‘वर्तमान स्थिति पर मणिपुर के लोगों की भावनाओं से भी अवगत कराया।’’
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को ‘‘हालिया हिंसा में सशस्त्र उग्रवादियों की संलिप्तता’’ की जानकारी भी दी गयी। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसक झड़पें हुईं थीं। आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने के बाद कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए, जिसके बाद झड़पें हुईं। मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय समुदायों नगा और कुकी समेत अन्य की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। पूर्वोत्तर राज्य में हालात काबू में करने के लिए सेना तथा अर्द्धसैन्य बलों के करीब 10,000 कर्मियों को तैनात करना पड़ा।