By अंकित सिंह | Dec 12, 2024
नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को वन नेशन वन वोट प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह बिल संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध किया। ममता बनर्जी ने आज दोपहर एक्स हैंडल पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं द्वारा उठाई गई हर जायज चिंता को नजरअंदाज करते हुए असंवैधानिक और संघीय-विरोधी एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को अपना रास्ता बना लिया है।
ममता बनर्जी ने आगे लिखा कि यह सावधानीपूर्वक सोचा गया सुधार नहीं है; यह भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को कमजोर करने के लिए बनाया गया एक सत्तावादी आरोप है। उन्होंने कहा कि हमारे सांसद संसद में इस कठोर कानून का पुरजोर विरोध करेंगे। बंगाल कभी भी दिल्ली की तानाशाही सनक के आगे नहीं झुकेगा। यह लड़ाई भारत के लोकतंत्र को निरंकुशता के चंगुल से बचाने की है! टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि हमारी नेता ममता बनर्जी पहले ही वन नेशन वन इलेक्शन पर हमारी पार्टी का रुख स्पष्ट कर चुकी हैं। हमारे देश में यह संभव नहीं है। इस बात की गारंटी कौन देगा कि एक बार वोट देने के बाद कोई सरकार पूरे कार्यकाल यानी 5 साल तक चलेगी।
कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक देश, एक चुनाव’ व्यवस्था लागू करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दिये जाने के बाद बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार चुनावी शुचिता पर उठ रहे सवालों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी और मसौदा कानून मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पार्टी के रुख में कुछ बदलाव नहीं हुआ है। खरगे ने समिति को इस साल 17 जनवरी को पत्र लिखकर ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार का पुरजोर विरोध किया था। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बृहस्पतिवार को कहा कि पहले भी उनकी पार्टी ने चुनाव, चुनावी प्रणाली और चुनावी शुचिता से संबंधित कई सवाल उठाए हैं।