By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 25, 2022
नयी दिल्ली। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को पदभार संभालेंगे, हालांकि यह जिम्मेदारी उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ लेकर आने वाली है। उनके सामने एक तरफ राजस्थान का सियासी संकट तत्काल चुनौती बनकर खड़ा है, तो अगले कुछ हफ्तों में होने जा रहे गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी बड़ी चुनौती हैं। वहीं, 2024 का लोकसभा चुनाव उनके लिये सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी। खड़गे बुधवार सुबह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। कर्नाटक के दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 80 वर्षीय खड़गे ने 17 अक्टूबर को हुए ऐतिहासिक चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी 66 वर्षीय थरूर को मात दी थी। पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बना है।
खड़गे को 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के बेहतर करने की उम्मीदें बड़ी चुनौती है, वहीं राजस्थान व कर्नाटक में पार्टी के भीतर जारी रस्साकशी ने पार्टी की परेशानी और बढ़ा दी है। ऐसे में 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करना खड़गे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। शशि थरूर को मात देकर पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज होने वाले खरगे के पक्ष में भी कुछ चीजें नजर आ रही हैं। खड़गे की छवि सबको साथ लेकर चलने की रही है और उनकी यह खूबी यहां से आगे का सफर तय करने में उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
खड़गे के कार्यभार संभालने के कुछ सप्ताह बाद ही हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव उनके सामने पहली चुनौती होंगे, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मजबूत पकड़ है। इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। इस परीक्षा के बाद 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है। पार्टी में पीढ़ीगत आधार पर विभाजन भी एक चुनौती है और उन्हें अनुभवी नेताओं व युवाओं के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। यही नहीं, उन्हें गांधी परिवार के ‘रिमोट कंट्रोल’ से चलने की धारणा को भी गलत साबित करने की चुनौती का सामना करना होगा। उनके सामने एक चुनौती ‘उदयपुर नवसंकल्प’ को लागू करने और अपनी नयी टीम में सभी समीकरणों को साधते हुए किसी को नाराज नहीं करने की भी होगी।