By अभिनय आकाश | Mar 31, 2023
कोई भी देश हथियारों को उनकी खूबियों के दम पर नहीं खरीदता है। इसके पीछे कई जियो पॉलिटिकल कारण भी होते हैं। शायद इसलिए मलेशिया ने भारत के एलसीए तेजस की बजाए दक्षिण कोरिया के एफए50 लाइट अटैक एयरक्रॉफ्ट को प्राथमिकता दी है। मलेशिया ने भारत में बने लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट तेजस को नकार कर इसकी जगह दक्षिण कोरिया एफए 50 जेट खरीदने का प्लान बनाया है। दोनों देशों के बीच ये डील भी फाइनल हो चुकी है। अब दक्षिण कोरिया मलेशिया को 18 की संख्या में लाइट कॉम्बैट एयर क्रॉफ्ट बेचेगा।
साउथ कोरिया के एकलौते विमान निर्माता कोरिया एयरो स्पेस इंडस्ट्री यानी केएआई ने 24 फरवरी को मलेशिया के साथ हुई डील का ऐलान किया था। इसके मुताबिक इस कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू 1.2 ट्रिलियन पॉन्ड यानी की 920 मिलियन डॉलर है। मलेशिया को एफए50 विमानों की डीलिवरी 2026 से शुरू होगी।
आपको बता दें कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड यानी एचएएळ ने 2021 में रॉयल मलेशियाई वायु सेना (RMFA) द्वारा मंगाई गई एक वैश्विक निविदा के खिलाफ 18 फाइटर लीड-इन ट्रेनर (FLIT) एलसीए की आपूर्ति के लिए मलेशियाई रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। भारत का एलसीए तेजस और कोरिया का FA -50 को आरएमएफए को जवाब देने वाले आठ देशों में से चुना गया था। अन्य प्रतिभागियों में चीन-पाकिस्तानी JF-17, रूसी याक-130 और लियोनार्डो से इतालवी M-346 शामिल थे। एलसीए तेजस और कोरिया के एफए-50 दोनों को लाइट अटैक कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के तहत वर्गीकृत किया गया है। लाइट अटैक फाइटर जेट तेजी से दुनिया भर में वायु सेना के लिए विमानों की पसंद बनते जा रहे हैं, खासकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से। इसका कारण मामूली आकार और इसके हल्के और कॉम्पैक्ट संरचनात्मक फायदे हैं जो कम रडार सिग्नेचर में कटौती करते हैं।
मलेशिया चाहता है कि दक्षिण कोरिया के जरिए अमेरिका के साथ उसके संबंध अच्छे हो जाए। अगर मलेशिया सीधे तौर पर अमेरिका से नजदीकी बढ़ाता है तो इससे चीन नाराज हो सकता है। मलेशिया नहीं चाहता है कि चीन उसके प्रति शत्रुता वाला रवैया अपनाए। इसे भी दक्षिण कोरिया से विमान खरीदने के पीछे एक कारण माना जा रहा है।