ईरान में बड़ा हादसा, Helicopter Crash में राष्ट्रपति के बचने की नहीं कोई उम्मीद, जलकर खाक हो गया चॉपर

By रितिका कमठान | May 20, 2024

अजरबैजान से लौटते समय ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया है जिसमें उनकी मौत हो गई है। ईरानी मीडिया की माने तो दुर्घटना ग्रस्त हेलीकॉप्टर रेस्क्यू टीम को मिल चुका है। वहीं घटना स्थल से जो तस्वीर आ रही है उसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हादसे में किसी का बचाना काफी मुश्किल है। हालांकि अब तक आधिरारियक तौर भी ये पुष्टि नहीं की गई है कि ईरानी राष्ट्रपति जीवित है या नहीं। रेस्क्यू टीम 17 घंटे बाद घटना स्थल पर पहुंच सकी है, जहां रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है।

 

इस संबंध में ईरान के मीडिया ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को पहचान की गई है। रेस्क्यू टीम को अबतक कोई सुराग नहीं मिला है जिसमें कोई व्यक्ति जीवित हो। 

 

तीसरा हेलीकॉप्टर हुआ शिकार

बता दें कि ईरान के राष्ट्रपति के साथ कुल तीन हेलीकॉप्टर गए थे, जिसमे से दो हेलीकॉप्टर सुरक्षित लौट आए है। इन हेलीकॉप्टर में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, देश के विदेश मंत्री और अन्य अधिकारी उड़ान भर रहे थे। वहीं जो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है उसे बचावकर्मियों ने बरामद कर लिया है। बता दें कि ये हेलीकॉप्टर उत्तर पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। बचावकर्मियों ने हेलीकॉप्टर को 2 किलोमीटर की दूरी से सोमवार की सुबह देखा है। इसके अलावा बचावकर्मियों ने अबतक किसी के जीवितहोने की कोई जानकारी नहीं दी है। बता दे कि यह दुर्घटना ऐसे समय में हुई है जब रईसी और सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के नेतृत्व में ईरान ने बीते महीने ही इसराइल पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए थे।

 

इसके अलावा ईरान का यूरेनियम संवर्धन भी हथियार बनाने के लिए आवश्यक स्तर के करीब पहुंच गया है। ईरान को खराब अर्थव्यवस्था और महिला अधिकारियों को लेकर उसके शिया धर्मतंत्र के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन का सामना भी करना पड़ा है जिससे मद्देनजर इस हादसे के परिणाम तेहरान और देश के भविष्य के लिए कहीं अधिक गंभीर हो सकते हैं। रईसी ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत में यात्रा कर रहे थे। 

 

सरकारी टीवी ने कहा कि ‘‘हार्ड लैंडिंग’’ की यह घटना ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 600 किलोमीटर (375 मील) दूर उत्तर-पश्चिम में अजरबैजान देश की सीमा से सटे जुल्फा शहर के निकट हुई। बाद में हालांकि टीवी ने बताया कि यह घटना उजी के निकट हुई है लेकिन इससे जुड़ी जानकारियां अभी तक विरोधाभासी हैं। सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ की खबर के अनुसार, रईसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियन, ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर और अन्य अधिकारी तथा अंगरक्षक भी यात्रा कर रहे थे। एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने इसे दुर्घटना कहा, लेकिन अन्य ने या तो हार्ड लैंडिंग या घटना बताया। सोमवार की सुबह तुर्किये के प्राधिकारियों ने ड्रोन से ली एक फुटेज जारी की जिसमें जंगल में आग लगी दिखायी दी।

 

इसे उन्होंने ‘‘हेलीकॉप्टर का मलबा होने का संदेह’’ जताया। उन्होंने एक दुर्गम पहाड़ी पर अजरबैजान-ईरान सीमा से करीब 20 किलोमीटर दक्षिण में यह आग लगी होने की जानकारी दी। आईआरएनए द्वारा सोमवार को सुबह जारी फुटेज में दुर्घटना स्थल को एक हरित पर्वतीय क्षेत्र में एक दुर्गम घाटी बताया गया है। स्थानीय अजेरी में सैनिकों को यह बोलते हुए सुना गया, ‘‘यह वही है, हमने इसे ढूंढ लिया है।’’ इसके तुरंत बाद सरकारी टेलीविजन ने कहा, ‘‘हेलीकॉप्टर में सवार लोगों के जीवित बचने का कोई संकेत नहीं है।’’ 

 

उसने ज्यादा जानकारी नहीं दी लेकिन अर्द्धसरकारी तस्नीम समाचार एजेंसी ने बताया कि बचावकर्मियों ने दुर्घटनास्थल पर एक एक छोटा ड्रोन भेजा और उन्हें भी यही बात कहते हुए सुना गया। इससे पहले रविवार को खामेनेई ने लोगों से दुआएं करने का आग्रह किया था। खामेनेई ने कहा था, “हमें उम्मीद है कि अल्लाह के करम से राष्ट्रपति और उनके सहयोगी पूरी तरह स्वस्थ स्थिति में देश लौटेंगे।” बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि चाहे कोई भी स्थिति हो, ईरान की सरकार का कामकाज जारी रहेगा। ईरान के संविधान के तहत, यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है तो ईरान का प्रथम उप राष्ट्रपति पदभार संभालता है और 50 दिन के भीतर नया राष्ट्रपति चुनाव कराया जाएगा। सरकारी मीडिया के अनुसार, प्रथम उप राष्ट्रपति मोहम्मद मुखबीर को रईसी की अनुपस्थिति में अधिकारियों और विदेशी सरकारों की ओर से फोन भी आने लगे हैं। रईसी रविवार को तड़के अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ एक बांध का उद्घाटन करने के लिए अजरबैजान में थे। यह तीसरा बांध है, जिसे दोनों देशों ने अरास नदी पर बनाया है। ईरान देश में कई प्रकार के हेलीकॉप्टर उड़ाता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण उसके लिए इन हेलीकॉप्टर के पुर्जे हासिल करना मुश्किल हो गया है। उसकी सेना का हवाई बेड़ा भी 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले का है।

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