By अनन्या मिश्रा | Oct 02, 2024
हर साल 02 अक्तूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू कहकर भी संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी पूरा जीवन अहिंसा का महत्व बताते रहे। वह एक ऐसी शख्सियत थे, जिनके बारे में सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में पढ़ाया व बताया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 02 अक्तूबर 1869 को हुआ था। इनकी माता का नाम पुतली बाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था, जोकि दीवान थे। महज 13 साल की उम्र में उनकी शादी कस्तूरबा गांधी से हुई थी। वहीं गांधी जी ने अपनी शुरूआती शिक्षा पोरबंदर और राजकोट से की। फिर साल 1888 में कानून की पढ़ाई के लिए वह इंग्लैंड चले गए।
दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष
बैरिस्टर बनने के बाद साल 1893 में गांधी जी एक कानूनी मामले के लिए साउथ अफ्रीका पहुंचे। लेकिन इस दौरान वहां पर उनको नस्लभेदी टिप्पणियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उनके जीवन की दिशा बदल गई। भारतीय समुदाय को दक्षिण अफ्रीका में उनके रंग रूप के कारण संघर्ष करता देख महात्मा गांधी ने उनके लिए लड़ाई लड़ने का फैसला किया। यह उनके जीवन का वह मोड़ था, जब गांधी जी के अंदर सत्याग्रह की विचारधारा ने जन्म लिया।
गांधी जी के आंदोलन
महात्मा गांधी करीब 20 सालों से ज्यादा समय दक्षिण अफ्रीका में रहे। फिर साल 1915 में वह भारत वापस लौटे। इसके बाद वह आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। गांधी जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और जल्दी ही इसके प्रमुख नेता भी बन गए।
असहयोग आंदोलन
साल 1920 में ब्रिटिश शासन और उसके कानूनों के खिलाफ महात्मा गांधी ने असहयोग नीति अपनाई। इस आंदोलन के तहत भारतीयों ने ब्रिटिश सामानों और कपड़ों का बहिष्कार करना शुरूकर दिया। साथ ही स्वदेशी अपनाने पर भी जोर डाला।
दांडी यात्रा
ब्रिटिश सरकार के खिलाफ महात्मा गांधी ने साल 1930 में नमक कानून का विरोध करने के लिए 240 मील पैदल यात्रा की। इस आंदोलन ने राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोगों को जागरुक किया।
भारत छोड़ो आंदोलन
साल 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के सामने भारत की आजादी की मांग करते हुए तुरंत देश से हटने की मांग की। अंग्रेजों को देश से वापस भेजने के लिए इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया मोड़ दिया।
ऐसे बनें राष्ट्रपिता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 04 जून 1944 को सिंगापुर में एक रेडियो मैसेज देते हुए महात्मा गांधी को देश का पिता यानी राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने आगे चलकर इस नाम को मान्यता दी।
मृत्यु
देश को आजादी मिलने के सिर्फ 5 महीने बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्याकर दी गई। बता दें कि नाथूराम गोडसे ने दिल्ली में गांधी जी को गोली मार दी थी।