By अनुराग गुप्ता | Jun 21, 2022
मुंबई। एक तरफ मानसून दस्तक दे रहा है और दूसरी तरफ महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में संकट के बादल छा रहे हैं। मौसम का मिजाज तो बदला हुआ दिखाई दे ही रहा है कि मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल भी तेज हो गई। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे अन्य 12 विधायकों के साथ गुजरात चले गए हैं। जहां के एक रिजॉर्ट में विधायकों के साथ भविष्य की रणनीतियां तैयार की जा रही हैं और सभी विधायकों के फोन बंद हैं। लेकिन महाविकास अघाड़ी गठबंधन के साथ यह पहली दफा नहीं हो रहा।
साल 2019 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिसमें शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव परिणाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद की जिद को लेकर गठबंधन समाप्त कर दिया था और बाला साहेब ठाकरे के जमाने से चला आ रहा भाजपा-शिवसेना का गठबंधन 25 साल बाद ध्वस्त हो गया और नेता एक-दूसरे पर हमलावर हो गए।
भाजपा और शिवसेना के बीच पनपी समस्याओं को देखते हुए राजनीति के पितामह कहे जाने वाले शरद पवार एक्टिव हो गए और शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को साधने में जुट गए। इसके लिए तमाम बैठकें हुईं और महाविकास अघाड़ी गठबंधन तैयार किया गया। वक्त था महाविकास अघाड़ी गठबंधन की तरफ से उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का... शरद पवार के आवास पर बैठक हुए और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई।
अजित पवार ने दिया था झटका
अजित पवार 22 नवंबर, 2019 की रात को शरद पवार के साथ चल रही बैठक के बीच से अचानक गायब हो गए और 23 नवंबर को सुबह 8 बजे खबर सामने आई कि देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन भाजपा को समर्थन किसका मिला ? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में गूजने लगा लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस के बाद जब अजित पवार को शपथ दिलाई तो मामला सभी को समझ में आया। अजित पवार ने अपने चाचा और राजनीति के भीष्म पितामह को झटका देते हुए भाजपा के साथ सरकार बना ली लेकिन यह पूरी तरह से कभी स्पष्ट नहीं हो पाया कि भाजपा को एनसीपी के कितने नेताओं का समर्थन मिला।
इसके बाद एक बार से बैठकों का दौर शुरू हुआ। शरद पवार ने अपने नेताओं को एकजुट किया। महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और शरद पवार के प्रति भरोसा जताया। जिसके बाद शरद पवार ने एनसीपी के विधायकों को एकजुट किया और भाजपा के पाले में जाने वाले विधायकों पर वापस से अपनी पकड़ मजबूत की। जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
महाराष्ट्र में फिर छाये संकट के बादल
साल 2019 की घटना एकबार फिर से महाराष्ट्र में दोहरा सकती है लेकिन इस बार अजित पवार नहीं बल्कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे नेतृत्व कर रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे 20 विधायकों के संपर्क में हैं और भाजपा से भी उनका संपर्क बना हुआ है लेकिन शिवसेना उनसे बात नहीं कर पा रही है। शिवसेना नेता संजय राउत ने बयान दिया कि एकनाथ शिंदे और अन्य विधायक से संपर्क नहीं हो पा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह नेता नॉट रीचेबल हैं।
गौरतलब है कि 288 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 105 सीटें और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं, जो सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े को छू रही थीं। कांग्रेस और एनसीपी ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती थीं। लेकिन फिर एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली।